सरकार ने फोन में ‘संचार’ ऐप अनिवार्य किया, तो कांग्रेस को दिखी जासूसी

Last Updated:December 02, 2025, 01:33 IST
सरकार ने मोबाइल में अनिवार्य ‘संचार ऐप’ लाने का आदेश दिया, जिसे हटाया नहीं जा सकेगा. कांग्रेस ने इसे निजता पर हमला और जासूसी का औजार बताया, सरकार ने सुरक्षा कारण गिनाए. सरकार की मंशा देश को साइबर अपराधियों से बचाने की है, जो कि वक्त की जरूरत है. प्रतिदिन हजारों करोड़ रुपये की ठगी हो रही है और राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में है. इस बीच कांग्रेस ने नया राग छेड़कर इसे विवादित बनाने की कोशिश की है.
केंद्र सरकार ने संचार साथी ऐप हर फोन में डालने को कहा है.
मोबाइल यूजर की सिक्योरिटी के लिए केंद्र सरकार ने सभी मोबाइल कंपनियों को एक आदेश दिया. इसमें कहा गया कि अब भारत में बिकने वाले हर मोबाइल फोन में सरकार का ‘संचार ऐप’ या संबंधित सुरक्षा सॉफ्टवेयर प्री-लोडेड यानी पहले से इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि यूजर चाहकर भी इस ऐप को अनइंस्टॉल (हटा) नहीं कर सकेंगे. सरकार का तर्क है कि यह देश के नागरिकों को साइबर फ्रॉड, स्पैम और डिजिटल अरेस्ट जैसे खतरों से बचाने के लिए एक ‘मास्टरस्ट्रोक’ है. लेकिन, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को इसमें जासूसी नजर आने लगी. कांग्रेस ने इसे निजता पर हमला बताते हुए इसे तुरंत आदेश वापस लेने की मांग कर डाली.
जैसे ही सरकार के इस फैसले की भनक लगी, कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ‘X’ पर इस फैसले को सीधे तौर पर संविधान के खिलाफ बताया. वेणुगोपाल ने लिखा, बिग ब्रदर (सरकार) हमें देख नहीं सकता. दूरसंचार विभाग (DoT) का यह निर्देश असंवैधानिक है. निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का एक आंतरिक हिस्सा है.
Big Brother cannot watch us. This DoT Direction is beyond unconstitutional.
The Right to Privacy is an intrinsic part of the fundamental right to life and liberty, enshrined in Article 21 of the Constitution.



