बेटी की मौत के गम में सरपंच ने लगाया 1 पेड़, अब गांव में हर बेटी के जन्म पर लगते हैं 111 पेड़

पिपलांत्री (राजसमंद). पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल की बेटी की जब 2006 में अचानक मौत हुई तो उन्होंने उसकी याद में एक पेड़ लगाया. बेटी की याद में लगाया गया ये पेड़ एक ऐसे विचार का जनक बनकर उभरा कि अब गांव में हर बेटी के जन्म पर 111 पेड़ लगाए जाते हैं. इसके अलावा किसी भी के भी घर बेटी के जन्म होने पर गांव वाले आपस में चंदा करके जो भी रकम इकट्ठा होती है, उसे बेटी के नाम डाकखाने में फिक्स डिपाजिट कर देते हैं. जिससे भविष्य में बेटियों को आर्थिक रूप से कोई तंगी नहीं रहती और वे परिवार पर बोझ भी नहीं बनती हैं. पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने केवल बेटियों की याद में पेड़ लगाने और उनके लिए फिक्स डिपॉजिट करने का ही काम नहीं किया है. उन्होंने पिपलांत्री गांव को एक आदर्श ग्राम के रूप में विकसित कर दिया है.
पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल के कई काम इतने जमीनी और असरदार रहे कि उनकी योजनाओं को आधार बनाकर केंद्र सरकार पूरे देश में कई योजनाएं चला रही है. लोग दूर-दूर से ये देखने आते हैं कि पिपलांत्री गांव के सरपंच ने आखिर ऐसा क्या किया कि उनके गांव का कायाकल्प हो गया है. पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल की गांव में थोड़ी बहुत खेती और छोटा सा संगमरमर का बिजनेस है. सरपंच बनने से पहले ही उनको कई सरकारी योजनाओं की जानकारी थी. उनके मन में इच्छा होती थी कि वे सरपंच बन कर अपने गांव में उन योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करें. 4 फरवरी 2005 को श्याम सुंदर पालीवाल सरपंच बने और उन्होंने अपने सपनों को जमीन पर उतार दिया. 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले श्याम सुंदर पालीवाल के कामों को देखते हुए महात्मा ज्योति राव फूले यूनिवर्सिटी, जयपुर और रामनारायण बजाज यूनिवर्सिटी, बीकानेर ने उनको डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है. इस समय उनकी पत्नी अनीता पालीवाल पिपलांत्री की सरपंच हैं.
खुदी को कर बुलंद इतना
पहली बार 2005 में सरपंच बनते ही श्याम सुंदर पालीवाल ने ये नारा दिया कि ‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से ये पूछे बता तेरी रजा क्या है.’ श्याम सुंदर पालीवाल का कहना था कि ‘हर योजना बनाने से पहले सरकार को गांव के लोगों से पूछना चाहिए कि वे क्या करना चाहते हैं?’ इसलिए उन्होंने गांव के विकास का एक मॉडल बनाया है. सरपंच बनने के बाद उन्होंने तय किया कि वे घर से पंचायत भवन खाली हाथ जाएंगे और पंचायत भवन से घर खाली हाथ ही लौटेंगे और इस तरह भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे. इससे पंचायत के फंड का लीकेज रोकने में मदद मिली. जब लोगों ने देखा कि सरपंच खुद भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हैं, तो सरकारी कर्मचारी भी योजनाओं के फंड के उपयोग को लेकर सजग हो गए. इससे गांव के विकास के लिए आने वाला पैसा उसी काम में लगा और थोड़े दिन में ही उसका असर भी दिखने लगा.
गांव को सूखे से उबारने की कोशिश में भागीरथ प्रयास
पिपलांत्री गांव में लगातार 7 साल तक सूखा पड़ा था. इसलिए उन्होंने सरपंच बनते ही 2005 में पेड़ लगवाने शुरू किए, तालाब बनवाए, बारिश का पानी रोकने के लिए चेक डैम बनवाए. इसके बाद जब बारिश हुई तो सारा पानी गांव में रुका और गांव में भूजल स्तर बढ़ने लगा. फिर पालीवाल ने कई बोरिंग करवाकर स्वजल धारा योजना का लाभ उठाया. सरपंच श्यामसुंदर पालीवाल ने अपनी पंचायत में हर घर नल का जल 2005 में ही पहुंचा दिया. सरकार की योजना थी कि स्वजल धारा में 10% पैसा ग्रामीण देंगे और 90% केंद्र सरकार देगी. पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने हर घर के लिए ग्राम पंचायत से पैसा जमा करा दिया. इस तरह प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में स्वजलधारा योजना को धरातल पर उतार दिया गया. इसी योजना को आजकल ‘हर घर नल का जल’ योजना कहा जाता है. इससे सूखे से परेशान पिपलांत्री गांव की पानी की समस्या काफी हद तक सुलझ गई.
पंचायत की कार्यशैली को बदला
इसके अलावा पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने पूरे देश में पहला एयर कंडीशन पंचायत भवन बनवाया. जहां महिलाओं और पुरुषों को बैठने के लिए बेहतर फर्नीचर, टॉयलेट और किचन था. इसमें सरपंच के सचिव को रहने के लिए क्वार्टर और अच्छा गेस्ट हाउस भी था. उन्होंने यह महसूस किया कि किसान सुबह जब पंचायत के काम से आता है तो कोई सरकारी कर्मचारी मौके पर मौजूद नहीं होता और फिर वह अपने काम पर चला जाता है. जबकि पंचायत के अधिकारी 10 बजे दफ्तर आते हैं और 4 बजे शाम को वापस लौट जाते हैं. इसलिए उन्होंने ‘पंचायत आपके द्वार’ कार्यक्रम शुरू किया. इसमें पंचायतों की रात्रिकालीन सेवा शुरू की गई. जिसमें सभी सरकारी कर्मचारी महीने में 4 दिन पंचायत भवन पर रुकते और रात में ग्रामीणों की समस्याओं को सुनकर उनका निराकरण करते थे. इसी कार्यक्रम को बाद में केंद्र सरकार ने पूरे देश में ‘राजीव गांधी सेवा केंद्र’ के नाम से लागू किया.
गांव के लोगों को दिया रोजगार
पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल के इन कामों से लोगों में उनका भरोसा जगा. उन्होंने जल, जंगल, जमीन, गोचर भूमि और बेटियों को सुरक्षित करने का नारा दिया. जिससे गांव में खुशहाली आई. जंगल बढ़ने से वन्यजीव और पशु-पक्षी गांव में आने लगे. पेड़ लगाने से रोजगार भी बढ़े. उन्होंने बांस, आंवला, हरड़, बरड़, आम, जामुन, नीम, शीशम, बरगद, पीपल जैसे पेड़ लगवाए. आज पिपलांत्री गांव में बांस के अनेक सामान बनते हैं. आंवला के कई प्रोडक्ट बनते हैं. उन्होंने बहुत जगह बंजर जमीन पर एलोवेरा लगवाया. जिससे जूस, शैंपू, जेल और साबुन बनाकर महिलाएं रोजगार हासिल कर रही हैं. अब तक पिपलांत्री गांव में 4 लाख पौधे लग चुके हैं. जिससे ये पूरा इलाका हरा-भरा हो चुका है.
गांव के समग्र विकास के लिए कई मोर्चों पर काम
पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने कोई नया स्कूल नहीं खेला. पहले से मौजूद सभी सरकारी स्कूलों को बेहतरीन स्कूलों में बदल दिया. जहां सभी बच्चों की अच्छी शिक्षा हासिल होती है. पिपलांत्री में जल संरक्षण हुआ तो कुओं में पानी बढ़ा. इससे खेती सुधरी. उन्होंने 400 किसानों को समझा-बुझाकर उनके खेतों तक चकरोड बनवाए. यह सारा काम मनरेगा के तहत किया गया. सरपंच पालीवाल ने गांव में एक बड़ी नर्सरी बनवाई है. जहां गांव की महिलाएं खुद पौधे तैयार करती हैं. इन फलदार पौधों को किसानों को बहुत कम दाम में दिया जाता है.
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए लिया फैसला
ऐसा नहीं है कि पिपलांत्री के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने केवल पेड़-पौधे, जल, जंगल और जमीन के लिए काम किया है. उन्होंने पशु-पालन पर भी ध्यान दिया. पालीवाल ने अपने गांव में यह फैसला करवाया कि कोई भी अगर किसी गाय को सीमन लगवाएगा तो वो गिर गाय का होगा और अगर भैंस को सीमन लगवाएगा तो मुर्रा भैंस का होगा. इससे उनके गांव के पशुओं की नस्ल सुधरी. आज उनके गांव में गिर गायों की बहुलता है और मुर्रा नस्ल की बहुत भैंस भी हो गईं हैं. इससे किसानों को ज्यादा दूध मिल रहा है और उनकी माली हालत भी सुधरी है.
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पिपलांत्री होगा टूरिस्ट विलेज
पिपलांत्री के पूर्व सरपंच श्यामसुंदर पालीवाल ने कई दूरगामी फैसले किए हैं. अब वे अपने गांव को टूरिस्ट विलेज बनाएंगे. जिससे गांव के लोगों को रोजगार मिलेगा और बाहर से लोग उनके गांव को देखने आएंगे. श्याम सुंदर पालीवाल ने 2007 में ही अपने गांव को खुले में शौच से मुक्त करा दिया था. इसके लिए उनको राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों स्वच्छता पुरस्कार मिला था. वृक्षारोपण और बेटियों की सुरक्षा के लिए किए गए कामों से भी उनको कई पुरस्कार मिले हैं. पिपलांत्री के पूर्व सरपंच श्यामसुंदर पालीवाल को 2021 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया.
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पालीवाल की कई योजनाओं को केंद्र और राज्य ने अपनाया
ऐसा नहीं है कि श्याम सुंदर पालीवाल के काम केवल उनके गांव तक ही सीमित हैं. राजस्थान सरकार ने उनके गांव के काम को देख कर कई सरकारी नीतियां बनाईं. राजस्थान की सरकार ने तय किया कि हर गांव में चारागाह विकसित किए जाएंगे. पिपलांत्री के मॉडल पर गांवों को विकसित करने के लिए वहां एक वॉटरशेड ट्रेनिंग सेंटर भी खोल दिया गया है. यहां पूरे देश के सरपंच गांव के विकास का मॉडल देखने और सीखने आते हैं. श्याम सुंदर पालीवाल की इच्छा है कि उनके गांव और पूरे देश का किसान प्राकृतिक और जैविक खेती करे और जहरयुक्त खेती से छुटकारा हासिल करे. पिपलांत्री के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल का कहना है कि अपने गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए उन्होंने कड़ी तपस्या की है और इसको वह लगातार जारी रखेंगे.
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FIRST PUBLISHED : May 16, 2022, 09:50 IST