National

जब इंसान और कुदरत साथ मिलकर काम करते हैं… 1.5 लाख से ज़्यादा जानवरों के ‘घर’ की कहानी

Last Updated:March 07, 2025, 21:43 IST

Vantara wildlife sanctuary: वनतारा दुनिया का सबसे बड़ा पशु बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र है, जहां दस लाख से ज़्यादा जानवरों को सुकून मिला है. अनंत अंबानी की पसंदीदा परियोजना वंतारा गुजरात के जामनगर रिफाइनरी …और पढ़ें1.5 लाख से ज़्यादा जानवरों के उस 'घर' की कहानी, जिसने दुनिया को सिखाया कि...

वनतारा में जीवों की हर तरह से देखभाल की जाती है.

जामनगर के विशाल कुदरती संसार में बसा वनतारा….समर्पण…करुणा और अत्याधुनिक सुविधाओं का एक अद्भुत संगम है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा ने एक बार फिर गुजरात के जामनगर रिफाइनरी परिसर में फैले 3,500 एकड़ के इस विशाल क्षेत्र को सुर्खियों में ला दिया है… वनतारा… दुनिया का सबसे बड़ा पशु संरक्षण और पुनर्वास केंद्र… केवल वन्यजीवों का आश्रय स्थल ही नहीं है… ये इंसान की इच्छा शक्ति और विज्ञान की ताकत का प्रतीक भी है… वनतारा… यानी ‘वन का तारा’… जीव जंतुओं के प्रति प्रेम और देखभाल की अनोखी मिसाल है.

अनंत अंबानी की परिकल्पना और नेतृत्व में आगे बढ़ रहा ये वन्यजीव अभयारण्य केवल एक पशु आश्रय केंद्र नहीं है… बल्कि ये वैश्विक वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक क्रांति है… भारतीय उपमहाद्वीप में चीतों की वापसी के बाद… प्रधानमंत्री ने एक बार फिर संदेश दिया है… कि बात जब प्राणियों के मित्र होने की आती है… तो वो और अनंत अंबानी एक ही विचार सोच के पूरक प्रतीत होते हैं…

यही वो जगह है… जहां 1.5 लाख से ज़्यादा बेबस और उपेक्षा के शिकार पशुओं को आश्रय मिला है… मुंबई में पशुओं के लिए एक छोटे आश्रयस्थल की स्थापना के बाद… अनंत अंबानी के जुनून ने… दुनिया के सबसे विशाल, अत्याधुनिक पुनर्वास और संरक्षण केंद्र के निर्माण के लिए प्रेरित किया… और ऐसा इसलिए क्योंकि अनंत अंबानी ने बचपन से ही पशुओं को अपने आत्मीय साथियों के रूप में देखा और पाया है…

वनतारा के संस्थापक अनंत एम अंबानी ने कहा, “मेरी मां हमेशा से मेरे लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा रही हैं. जब मैं लगभग 12 साल का था, हम जयपुर से रणथंभौर की यात्रा कर रहे थे. रास्ते में, हमने देखा कि एक महावत एक युवा हाथी को लेकर तेज़ गर्मी में सड़क पर जा रहा था, और वो हाथी अजीब तरीके से चल रहा था. मैंने अपनी मां से कहा कि हमें इसे बचाना चाहिए. वो हमारा पहला हाथी था, और हमें बिल्कुल नहीं पता था कि हाथी की देखभाल कैसे की जाती है. लेकिन हमने उसे अपने पास रखा और फिर सोचा कि धीरे-धीरे… बूंद-बूंद से सागर बनता है.”

आज वनतारा 2,000 से ज़्यादा प्रजातियों के जीवों को बचाने और उनकी देखभाल में बड़ी भूमिका निभा रहा है… अनंत अंबानी के इस सपने को नई सोच और प्रकृति के संतुलन की गहरी समझ से बनाया गया है… इसने दुनिया को यह सिखाया है… कि बेघर, बेसहारा और लुप्त होते जा रहे वन्यजीवों के साथ कैसा बर्ताव किया जाना चाहिए…

वनतारा…के चार आधार स्तंभ हैं… बचाव… देखभाल… स्वास्थ्य सुधार और उनकी जंगल में वापसी… ये सभी मिलकर वन्यजीवों को नया जीवन देने में मदद करते हैं.

वनतारा… अत्याधुनिक पशु चिकित्सा सेवाओं, कई शोध केंद्रों, विशाल प्राकृतिक आवासों के साथ संकटग्रस्त जानवरों को आजीवन सुरक्षित आश्रय देता है…

अनंत अंबानी… वनतारा के निर्माण का श्रेय अपने दादा धीरूभाई अंबानी और अपने माता-पिता को देते हैं. उन्होंने कहा, “मेरे पिता वन्यजीवों के बड़े प्रशंसक हैं. जब हम छोटे थे, तो वे हमें अक्सर जंगलों में घुमाने ले जाते थे. मुझे याद है कि 18 साल की उम्र तक मैंने अफ्रीका, रणथंभौर, कान्हा के जंगल, बांधवगढ़ और काज़ीरंगा के अलावा कहीं और पारिवारिक छुट्टियां नहीं बिताईं. हमारे लिए छुट्टियां… मतलब सिर्फ जंगल सफारी होती थी. वे इसे सेवालय कहते हैं… सेवा का एक पवित्र स्थान… जहां हर बचाए गए जानवर को देखभाल, सम्मान और सुरक्षा मिलती है…”

अनंत अंबानी ने आगे कहा, “और माता जी ने मुझे सिखाया कि बेज़ुबान जानवरों की सेवा सबसे बड़ी सेवा है. वही सबसे बड़ी पुण्य वाली सेवा है और वही धर्म है और वही एक ऐसी चीज़ है जो आदमी को बहुत सारा पुण्य प्राप्त करा सकती है.”

बचावदुनिया में जैसे-जैसे इंसानों की आबादी बढ़ रही है… वैसे-वैसे वन्यजीवों की तादाद घटती जा रही है. वनतारा के फाउंडर अनंत अंबानी ने कहा, “भारत में रोड एक्सिडेंट्स में तेंदुए घायल हो जाते हैं, कभी-कभी बाघ भी वाहनों की चपेट में आ जाते हैं. इस तरह की घटनाएं भालुओं के साथ भी देखी गई है.”

हर साल दर्जनों हाथी करंट लगने या ट्रेन से टकरा कर मारे जाते हैं, कई बार बाघ-तेंदुए या दूसरे वन्यजीव जहरीली चीजों का शिकार हो जाते हैं. जैसे-जैसे जानवरों का कुदरती आवास घटता जा रहा है, इंसान और वन्यजीव संघर्ष बढ़ता जा रहा है. अकेले भारत में ही 2019 से 2024 के बीच हाथियों के हमलों में 2,727 और बाघों के हमलों में 349 लोगों की जानें गई हैं.

दुर्घटनाओं में घायल वन्यजीवों को रखने या उनके इलाज और पुनर्वास की सुविधाएं वन विभाग या सीधे कहें तो सरकारी तंत्र के पास नहीं होती है… यहीं पर वनतारा अहम भूमिका निभाता है.

बचाव दल वनतारा के काम-काज की रीढ़ हैं… अत्याधुनिक एंबुलेंस से लैस ये टीमें अक्सर भारत ही नहीं… विदेशों तक के दूर दराज़ के इलाकों में जाती हैं, और वहां से पिंजरों में बुरी हालत में कैद या बेसहारा जानवरों को यहां लाया जाता है… हर मिशन पूरी प्लानिंग से होता है… हर आपात स्थिति का पूरा ख्याल रखा जाता है…

वनतारा में बाघ प्रजाति के जीव शायद इन बचाव अभियानों की सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण हैं… वे अब दुनिया के सबसे विशाल रेस्क्यू सेंटर का हिस्सा हैं. यहां शेर और बाघ, जो कभी पिंजरों में कैद थे और ये कहा नहीं जा सकता था कि उनका क्या होगा… पर ये अब विशाल कुदरती आवासों में आज़ादी से घूमते हैं… यहां उनकी देखभाल अनुभवी पशु चिकित्सकों और वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा की जाती है… वनतारा इन अभियानों को अंजाम देने के लिए अक्सर स्थानीय सरकारों और NGOs के साथ मिलकर काम करता है… क्योंकि रेस्क्यू अभियानों में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है…

यहां के बाघ प्रजाति जीव में से कुछ पिछले दिनों चलाए गये बचाव अभियानों की सफलता का प्रमाण हैं. इनमें से चौदह यानी ग्यारह बाघ और तीन शेर … कभी स्लोवाकिया में अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे थे… उनका जीवन ही खतरे में था… तब वनतारा ने तुरंत पहल की और तमाम राजनयिक बाधाओं को सुलझाते हुए सात समंदर पार से… इनको उनके नए घर तक सुरक्षित पहुंचाया गया……

ऐसे ही एक और मामले में, वनतारा ने अपनी कार्यकुशलता का नमूना दिखाया और विदेश में एक सर्कस में भूख से मर रहे बाघ प्रजाति के जीवों की जान बचाई…

अनंत अंबानी ने बताया, “मैं मेक्सिको गया तो मेक्सिको में तो ऐसा था कि शेर के लिए खाना नहीं था और शेर भूखे मर रहे थे. मैंने सोचा कि हमें कुछ करना चाहिए. वनतारा का बिग कैट रेस्क्यू सेंटर सिर्फ एक वन्यजीव आश्रयस्थल नहीं है… ये इस बात का प्रतीक भी है… कि जब करुणा और प्रयास साथ आते हैं… तो क्या-क्या संभव हो सकता है…”

यहां के प्रशिक्षक और पशु चिकित्सा विशेषज्ञ ये सुनिश्चित करते हैं… कि शेरों और बाघों को संतुलित आहार और मानसिक, शारीरिक सेहत के लिए ज़रूरी प्राकृतिक माहौल मिले… कोविड 19 महामारी के दौरान… कैद में रह रहे वन्यजीवों को इंसानों की वैश्विक बंदी का सबसे बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा…

कोविड के बाद बहरीन में एक प्राइवेट कलेक्टर ने 200 से ज़्यादा जानवरों को बेसहारा छोड़ दिया था… जिनमें ओरंगुटैन, चिम्पांज़ी और कई विडालवंशी जीव भी थे… वनतारा ने इस बचाव अभियान में कई बड़ी चुनौतियों को पार कर उनके लिए सुरक्षित आश्रय सुनिश्चित कराया.

वनतारा… में एप्स और वानर प्रजाति के दूसरे जीवों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं तैयार की गई हैं… अक्सर, इंसान के सबसे करीबी जीव यानी वानर अत्याचार का शिकार होते हैं… इन चिम्पांज़ियों को भी बेहिसाब यातनाओं से गुजरना पड़ा था… लेकिन वनतारा ने इन्हें एक नया जीवन दिया… बहुत से जानवर मांस के लिए या फिर नशे के लिए अवैध पशु व्यापार की क्रूरता का शिकार बने. इनमें से कई गहरे शारीरिक और मानसिक आघात से जूझ रहे थे.

वनतारा में ये बुद्धिमान जीव वैसे ही फल-फूल रहे हैं… जैसे कि वे अपने प्राकृतिक रूप में फलते-फूलते… विशाल और अनुकूल वातावरण में वे स्वच्छंद विचरण कर सकते हैं… खाने की तलाश कर सकते हैं… और अपने प्राकृतिक स्वभाव को दोबारा विकसित कर सकते हैं… पशु चिकित्सा देखभाल और व्यावहारिक थेरेपी उनकी ताकत और आत्मविश्वास वापस लाने में मदद कर रही है…

वनतारा का रेप्टाइल सेंटर भी इन बचाव प्रयासों का एक बड़ा प्रमाण है… कभी चेन्नई में संकरे, गंदे बाड़ों में रहने वाले कई मगरमच्छों को अब व्यवस्थित और उनके अनुकूल माहौल में रखा गया है…. ये सेंटर कई दुर्लभ सर्प प्रजातियों का भी घर है… जिनमें दो सिर वाला अजगर और दो सिर वाला कछुआ भी शामिल है…

पुनर्वासबचाए गए जानवर… जो कि अक्सर घायल होते हैं… या ठीक से खुराक न मिलने के कारण कमज़ोर हो जाते हैं, उनके लिए आगे का जीवन अनिश्चित होता है… लेकिन वनतारा बाकी अभयारण्यों से अलग है… यहां उनके लिए पूरी देखभाल और नई जिंदगी देने की पूरी व्यवस्था है.

अनंत अंबानी ने कहा, “यहां हमारे पास 50-60 से ज़्यादा संकटग्रस्त प्रजातियों के जानवर हैं, जिन्हें हमने अलग-अलग हालात से बचाया है… जैसे सर्कस, सड़क दुर्घटनाओं, मानव-पशु संघर्ष और ज़्यादा भीड़-भाड़ वाले चिड़ियाघरों से. हमने दक्षिण अफ्रीका की शिकारगाहों और दूसरी जगहों से भी जानवरों को बचाया है. जब हम उन्हें बचा रहे थे तब मुझे एहसास हुआ कि हमें बेहतरीन सुविधाओं वाले अस्पताल की ज़रूरत है. मैं उन्हें पिंजरों में नहीं रखना चाहता… मैं चाहता हूं कि उन्हें प्राकृतिक माहौल उपलब्ध कराया जाए. सच्चा पुनर्वास तभी संभव है… जब जानवरों को उन्नत चिकित्सा देखभाल मिले और वनतारा में ये ज़िम्मेदारी दुनियाभर के समर्पित विशेषज्ञों की एक बड़ी टीम निभा रही है…”

इस अभयारण्य में 22 अस्पताल और 17 क्लीनिक्स वाली दुनिया की सबसे विशाल वन्यजीव चिकित्सा सुविधा मौजूद है. घायल जानवरों की विशेष देखभाल के लिए वनतारा में अत्याधुनिक वन्यजीव रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब और विशेष ICU बनाए गए हैं. यहां आपातकालीन बचाव अभियानों के लिए 75 एंबुलेंस तैनात हैं, और 103 अनुभवी वेटरनरी डॉक्टर यहां काम करते हैं.

उन्होंने बताया कि इस केंद्र को बनाने से पहले, मैंने दुनिया भर में 30-40 से ज़्यादा ऐसी संस्थाओं का दौरा किया. हर जगह से कुछ न कुछ सीखा और वही सीख इस जगह को बनाने की प्रेरणा बनी. अत्याधुनिक CT स्कैन, MRI और लेजर थेरेपी मशीनों से लैस इन केंद्रों में वनतारा के पशु चिकित्सक मुश्किल और जीवनरक्षक इलाज कर पाते हैं… जो दुनिया में कहीं और शायद ही उपलब्ध हो… दुनिया में पहली बार हाथी के पैर का CT स्कैन वनतारा में ही किया गया…

अनंत एम अंबानी ने कहा, “यह बड़े जानवरों का ऑपरेशन थिएटर हैं. ये अस्पताल डेढ़ लाख वर्ग फीट में फैला हुआ है. यहां हमारे पास गैस एनेस्थीसिया मशीन, अत्याधुनिक ऑपरेशन टेबल, ऑपरेशन लाइट्स और एक रोबोटिक एंडोस्कोपी मशीन है, जिससे हम रोबोटिक सर्जरी भी कर सकते हैं. हमारे पास वेंटिलेटर और हर वो अत्याधुनिक सुविधा मौजूद है जो दुनिया में कहीं भी बेस्ट मानी जाती है.”

पंचम, एक शानदार बंगाल टाइगर है… ये बाघ मानव-वन्यजीव संघर्ष में घायल हो गया था… बुरी तरह से घायल… वनतारा की विशेषज्ञ पशु चिकित्सा टीम ने उसकी हड्डियों का बेहद मुश्किल ऑपरेशन किया. महीनों की देखभाल के बाद, अब पंचम ने अपनी खोयी ताकत फिर से हासिल कर ली है.

वनतारा में पुनर्वास सिर्फ शारीरिक उपचार तक सीमित नहीं है… ये मानसिक और भावनात्मक पुनर्वास भी सुनिश्चित करता है… खास देखभाल और आयुर्वेदिक उपचार से जानवरों को उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति और आत्मविश्वास वापस मिल पाता है… छोटे शावकों को उनके शारीरिक विकास के लिए खेलने और उछल-कूद का माहौल मिलता है और कई बार संगीत उन्हें सुकून और आराम देने का सबसे अच्छा तरीका होता है…

वनतारा का सवाना आवास अफ्रीका और भारत के विशाल घास के मैदानों जैसा माहौल देता है… जहां हिरण, विल्डरबीस्ट, ज़ीब्रा और जिराफ़ के लिए प्राकृतिक घर उपलब्ध हैं… ये खुला वातावरण कई एकड़ में फैला हुआ है… जिसमें रेस्क्यू किए गए शाकाहारी जीव आज़ादी से घूमते-फिरते हैं.

इनमें से कई जिराफ़ इंसानों के साथ घुलने-मिलने के स्वभाव वाले हैं…इन्होंने अपना ज़्यादातर जीवन कैद में, अक्सर विदेशी सफारी पार्कों में बिताया है… इन्हें सीधे जंगलों में छोड़ना इनके लिए खतरनाक हो सकता है… इसलिए, वनतारा का ये सुविधाओं से भरा सवाना क्षेत्र इनके लिए आदर्श है… जहां प्राकृतिक घास, जलस्रोत और छायादार जगह हैं… ये इन्हें सुरक्षित और प्रजनन के लिए आदर्श माहौल देती हैं…

वनतारा का हाथी देखभाल केंद्र… 250 से ज़्यादा बचाए गए हाथियों का घर है… जिससे ये दुनिया के सबसे बड़े हाथी पुनर्वास अभयारण्यों में से एक बन गया है… यहां आने वाले कई हाथी सर्कस या फिर लकड़ी काटने वाले गिरोहों की कैद में दशकों तक अत्याचार सह चुके होते हैं…

2,500 एकड़ में फैले ये ज़ंजीर-मुक्त बाड़े, इन हाथियों को प्राकृतिक रूप में झुंड बनाने और स्वतंत्र प्राकृतिक जीवन जीने का मौका देते हैं. उदाहरण के लिए, वनतारा की पहली बचाई गई हथिनी… गौरी से मिलिए… जिसे यहां गंगा और गोदावरी जैसे साथी मिले… अब ये तीनों एक-दूसरे से अलग नहीं होतीं… हाइड्रोथेरेपी और जैकुज़ी पूल गठिया से पीड़ित हाथियों को आराम और राहत देने में मदद करता है.

लीलावती…एक और हथिनी जिसे उसके पुराने मालिकों ने सेकेंड डिग्री बर्न के घाव दिए थे… उसे हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी और शानदार उपचार मिला. आज वो पीड़ा मुक्त जीवन जी रही है. और ये है टार्जन… जिसकी कैटरैक्ट यानी मोतियाबिंद की सर्जरी की गई… और अब वो फिर से सबकुछ साफ देख सकता है.

ऑबर्न यूनिवर्सिटी के डॉ. रिचर्ड मैकमुलन ने कहा, “हाथियों की मोतियाबिंद की सर्जरी करने का फायदा ये है कि सबसे पहले ये उसकी नज़र में सुधार लाएगा. दूसरा, आंख की रोशनी बेहतर बनाएगा और तीसरा, उसके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाएगा.”

वनतारा में पुनर्वास का सबसे क्रांतिकारी पहलू ये है… कि ये पशु कल्याण को समुदाय कल्याण से जोड़ता है… यहां न केवल जानवरों का पुनर्वास किया जाता है… बल्कि उनकी देखभाल करने वाले इंसानों का भी जीवन संवारने में मदद की जाती है…

अनंत अंबानी कहते हैं, “हमारे यहां 3000 से 4000 केयरटेकर हैं और इन सबको हम पिछड़े इलाकों, जहां इतना डेवलपमेंट नहीं हुआ है, नक्सल प्रभावित इलाकों या जो नॉर्थ ईस्ट के दूर दराज़ वाले इलाके हैं, हम वहां से लेते हैं. इनको एक अलग तरह की ट्रेनिंग दी जाती है क्योंकि ये, जो जंगल में रहते हैं, जो आदिवासी हैं, जानवरों के लिए उनका प्रेम अलग होता है और ये दिल से जानवरों की सेवा करते हैं. तो आप देखो कि करीब 3000 लोग हैं, जिनका पेट यहां पल रहा है जानवरों के कारण.”

पुनर्वासवनतारा केवल जानवरों को बचाने और पुनर्वास देने तक सीमित नहीं है… ये वन्यजीव संरक्षण की कहानी को एक नई दिशा दे रहा है…देखिए ये प्यारे शेर के शावक… जंगल में इनका ज़िंदा रहना कठिन होता… लेकिन वनतारा के नवजात देखभाल केंद्र में इन्हें दुनिया की सबसे बेहतरीन देखभाल मिलती है… ये केंद्र अनाथ और कमज़ोर नवजात जानवरों के लिए जीवन रेखा है… जहां क्लाइमेट कंट्रोल्ड बाड़े बनाए गए हैं और 24 घंटे निगरानी होती है… ताकि इनका संरक्षण सुनिश्चित हो सके…

कई नवजात यहां कमजोर या कुपोषित रूप में आते हैं… जिस वजह से उन्हें विशेष आहार और गहन चिकित्सा देखभाल की ज़रूरत होती है. वन्यजीव चिकित्सक और देखभाल करने वाले इनकी बिल्कुल वैसी ही देखभाल करते हैं जैसी प्राकृतिक माहौल में इनकी मां करती. जैसे इन नन्हें वानरों के मामले में… ये केंद्र इन अनाथ एप प्रजाति के बच्चों को पालने में सफल रहा है…

ये गैंडे का बच्चा… अपनी मां की मौत के बाद अनाथ हो गया था…वनतारा लगातार भारत की मूल वन्यजीव प्रजातियों को फिर से सुरक्षित अभयारण्यों में बसाने की कोशिशों में जुटा है… जैसे कि कैप्टिव-ब्रीड गैंडे… वास्तव में यहां, 7 ब्रीडिंग प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. जिनमें एशियाई शेर और कराकल (Caracals) जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों की ब्रीडिंग भी शामिल हैं…

सफेद शेर का ये शावक… जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने दूध पिलाया… ये वनतारा में ही पैदा हुआ था… इसकी मां को रेस्क्यू करके यहां लाया गया था… और अब ये सुरक्षित वातावरण में पल-बढ़ रहा है…

सीता और लक्ष्मण… ये जुड़वां ओकापी शावक… वनतारा के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि हैं… ओकापी, कांगो के घने वर्षा वनों में पाये जाते हैं… बहुत कम जुड़वां बच्चों को जन्म देते हैं… ये नन्हें जीव वास्तव में वनतारा के सुपरस्टार हैं…

नियंत्रित प्रजनन… उन्नत तकनीकों और विशेष नर्सरी के ज़रिए… वनतारा ये तय करता है… कि जानवर स्वस्थ और सुरक्षित रूप से जन्म लें…

वनतारा की सबसे बड़ी सफलता ये चीता शावक हैं… जो दिसंबर 2024 में स्वरा नाम की मां से जन्मे हैं… ये भारत के सबसे बड़े चीता संरक्षण अभियान का हिस्सा हैं…

सीनियर वेटरनरी ऑफिसर डॉ. एड्रियन टॉर्डिफ ने कहा, “स्वरा ने शावकों को जन्म देने में काफी समय लिया. कुल मिलाकर पांच शावकों के जन्म में लगभग नौ घंटे लगे थे.”

वनतारा भारत सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता के लिए अहम भूमिका निभा रहा है… इस परियोजना का उद्देश्य इन विलुप्तप्राय जीवों को 72 साल बाद भारतीय उपमहाद्वीप में फिर से बसाना है…

चीतों का पुनर्वास खासकर नये जन्मे शावकों का संरक्षण एक लंबी प्रक्रिया है… जिसमें उन्हें नए माहौल में रहना और खुद शिकार करना सिखाया जाता है… वनतारा के चीता संरक्षण कार्यक्रम ने इस सफर में बेहिसाब चुनौतियों को पार किया है…

सीनियर वेटरनरी ऑफिसर डॉ. बून ऑलविन ने कहा, “वोल्गा का फीमर फ्रैक्चर (जांघ की हड्डी टूटना) मेरे करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण मामलों में से एक था. ये मामला खास था क्योंकि हम दुनिया के सबसे तेज़ दौड़ने वाले जानवर की बात कर रहे हैं और उसी जानवर की सबसे अहम हड्डी टूट गई थी.”

अच्छे से की गई देखभाल के चलते… वोल्गा अब पूरी तरह ठीक हो चुका है… और जल्द ही उसे जंगल में छोड़ा जा सकता है… वनतारा के प्रजनन और प्राकृतिक आवास सुधार प्रयासों से एशियाई शेरों को नया जीवन मिलने की उम्मीद बढ़ रही है.

लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती… वनतारा सिर्फ प्रजातियों को बचाने का ही काम नहीं कर रहा है बल्कि जैव विविधता को आनुवंशिक स्तर पर संरक्षित करने की कोशिश भी कर रहा है… भारत जीनोमिक बायोडायवर्सिटी इनिशिएटिव (IGBI)… दुनिया की सबसे महत्वाकांक्षी जैव विविधता जीनोमिक परियोजना है…

Strand Life Sciences के साथ मिलकर वनतारा अब तक का सबसे बड़ा आनुवांशिक विविधता संरक्षण संग्रह बना रहा है… अगले कुछ वर्षों में वे 1,500 प्रजातियों, 2,25,000 जीवों और 22.5 लाख नमूनों का जीनोम परीक्षण करने की योजना बना रहे हैं… ये जैव विविधता अनुसंधान में एक क्रांतिकारी बदलाव होगा…

वनतारा के संस्थापक अनंत एम अंबानी ने कहा, “हमारा सपना है कि दुनिया भर से सैंपल्स यहां आएं और हम वन्यजीवों के लिए एक ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ बनाएं. ताकि अलग-अलग सरकारें और संस्थान अपने सैंपल्स यहां भेज सकें.” ये परियोजना इंसानों के लिए भी नई चिकित्सकीय खोजों के द्वार खोल सकती है… जैसे, हाथियों में कैंसर प्रतिरोधक क्षमता को समझकर, इंसानों के लिए नई दवाएं विकसित की जा सकती हैं…

उन्होंने कहा, “जैसे कोरोना इंसानों में आया, वैसे ही जानवरों में भी कई बीमारियां फैलती हैं, जो ज़ूनॉटिक होकर इंसानों तक पहुंच सकती हैं. हम इस पर अपनी लैब में शोध करना चाहते हैं. जानवरों को बचाने से लेकर संरक्षण के भविष्य को नया आकार देने तक, वनतारा ये साबित कर रहा है कि जब विज्ञान, समर्पण और अविष्कार साथ आते हैं, तो हम वास्तव में दुनिया को बदल सकते हैं…”

प्राकृतिक पुनर्वासवनतारा अपने अनोखे प्रजनन और संरक्षण कार्यक्रमों के ज़रिए संकटग्रस्त और दुर्लभ प्रजातियों को फिर से जंगल में लौटने का मौका दे रहा है… अनंत एम अंबानी ने कहा, “मेरा सपना है कि जामनगर में वनतारा को दुनिया का सबसे उन्नत वन्यजीव संस्थान बनाया जाए. हम गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण और प्रजनन करना चाहते हैं ताकि उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ा जा सके, क्योंकि अभी भी कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं.”

वनतारा में सुरक्षित माहौल में पली-बढ़ी प्रजातियों को तब तक रखा जाता है… जब तक वे अपने प्राकृतिक माहौल में स्वतंत्र रूप से जीवन जीने के लिए पूरी तरह तैयार न हो जाएं… और इसका सबसे अच्छा उदाहरण स्पिक्स मैकॉ (Spix’s Macaw) हैं… ये दुर्लभ नीले परिंदे कभी विलुप्त माने जा रहे थे… लेकिन वनतारा ने बर्लिन में एक प्रजनन केंद्र से 41 स्पिक्स मैकॉ को ब्राजील के बाहिया में एक सुरक्षित जगह पर दोबारा बसाने में मदद की… इसका ऐतिहासिक परिणाम देखने को मिला… दुनिया ने दो दशकों बाद पहली बार जंगल में जन्मे स्पिक्स मैकॉ के चूजों को देखा…

वनतारा हज़ारों परिंदों के लिए एक सुरक्षित स्वर्ग के समान है… ये फ्लेमिंगो पहले कुपोषण… तनाव और बिल्कुल विपरीत परिस्थितियों में फंसे हुए थे… लेकिन वनतारा में उनकी देखभाल की गई… जिससे उनके पंखों का रंग फिर से निखर आया… उन्हें साफ पानी, उचित आहार और विशेषज्ञों की देखभाल मिली… जिससे उनकी ताकत धीरे-धीरे वापस आ गई…

वनतारा रेस्क्यू किए गए इन परिंदों की ख़ास देखभाल करता हैप्राकृतिक परिवेश में छोड़े जाने से पहले… इन पक्षियों को एक तरह से इसके लिए प्रशिक्षित किया जाता है… और बड़ी उड़ानशालाओं में उनको उड़ान क्षमता बढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है… इनकी उड़ने की ताकत और सीमा का परीक्षण किया जाता है… पशु चिकित्सा दल उनके स्वास्थ्य की जांच करता है… ताकि बीमारियां न हों और हों भी तो उन्हें फैलने से रोका जा सके…

संरक्षण सिर्फ जानवरों के लिए नहीं होता… बल्कि ये पूरे पर्यावरण से जुड़ा होता है… वनतारा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम करता है… प्राकृतिक संसाधनों की देखभाल करता है… और ऐसी योजनाएं बनाता है… जिससे वन्यजीवों को सुरक्षित और स्थायी प्राकृतिक आश्रय मिल सके…

चीता संरक्षण कार्यक्रम के हेड क्यूरेटर डॉ. क्रेग गौस ने कहा, “हम ज़्यादा हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं. हमें ये तय करने की कोशिश करनी है कि उन्हें ऐसे वातावरण में पाला जाए जिससे एक दिन अगर मौका मिले, तो वे एक री-वाइल्डिंग कार्यक्रम का हिस्सा बन सकें. और हां, मुझे पूरी उम्मीद है कि हम ऐसे कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी ज़रूरी पहलुओं को पूरा करने में सक्षम हैं.”

सीनियर वेटरनरी ऑफिसर डॉ. एड्रियन टॉरडिफ ने कहा, “हां, मुझे लगता है कि शुरू से ही पूरी योजना यह थी कि चीतों के नये शावक जन्म लें और अंत में उन्हें फिर से जंगल में छोड़ा जा सके और इस तरह उनके संरक्षण में हम योगदान दे सकें. ये एक बेहद मुश्किल कार्यक्रम है. मुझे लगता है कि कई लोग मानते हैं कि इन जानवरों को शिकार सिखाना सबसे मुश्किल काम है, लेकिन असल में ये सबसे आसान हिस्सा है. उनके अंदर शिकार की स्वाभाविक प्रवृत्ति पहले से ही बहुत मज़बूत होती है. असली चुनौती ये करना है कि वे जलवायु के अनुकूल हो सकें, परजीवियों से लड़ने में सक्षम हों और सबसे महत्वपूर्ण बात, उनके साथ सामंजस्य बिठा सकें, जिनके साथ आगे चलकर उन्हें रहना है.”

वनतारा सिर्फ एक अभयारण्य नहीं… बल्कि एक आंदोलन है… ये प्रकृति और जीवों के संरक्षण की नई राह दिखाने वाला एक जीवंत उदाहरण है. वनतारा में अब तक 2.5 करोड़ से ज़्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं… जिससे जामनगर की बंजर ज़मीन हरे-भरे जंगल में बदल गई है… वनतारा ने हर प्रजाति के लिये उसके अनुकूल आवास विकसित करने पर ध्यान दिया है… ताकि अपने मूल निवास स्थान से विस्थापित हुए जानवर खुद को सुरक्षित महसूस करें… और उन्हें जंगल जैसा माहौल मिले…

यहां पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए खास तरह से पेड़-पौधे लगाए गए हैं… और जमीन को इस तरह तैयार किया गया है… कि प्रकृति को फायदा हो… इससे हवा साफ रहती है… पानी बचता है… और तरह-तरह के छोटे-बड़े जीव-जंतु पनप सकते हैं… नई तकनीकों की मदद से मिट्टी के कटाव को रोका जाता है… पानी को संचित किया जाता है… और बाढ़ के खतरे को कम किया जाता है… जिससे पर्यावरण को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके…

वनतारा जल संरक्षण को बेहद गंभीरता से लेता है… यहां पानी बचाने के लिए जलाशयों में पानी इकट्ठा किया जाता है… और उसका बहाव नियंत्रित रखा जाता है… यहां कृत्रिम झीलें बनाई गई हैं… और कम से कम सीमेंट का उपयोग किया गया है… ताकि ज़मीन के अंदर पानी का स्तर बना रहे.

अनंत एम अंबानी कहते हैं, “हम अपनी ज़रूरत की चीज़ें ज़्यादातर स्थानीय स्तर पर उगाते हैं, जिससे किसानों को बहुत फायदा होता है. हम उन्हें अपनी गौशालाओं से जैविक खाद और यहां तक कि हाथियों के गोबर से बनी खाद भी देते हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ती है. हाथियों को हर दिन 200 किलो चारे की ज़रूरत होती है और हमारे पास 200 हाथी हैं, ज़रा सोचिए, कितना बड़ा फीडिंग सिस्टम है! यहां हर चीज़ भारत में बनाई या उगाई जाती है, जितना संभव हो, स्थानीय स्तर पर. इसके अलावा, रेस्क्यू सेंटर के आसपास 10 से 12 हज़ार लोगों की पूरी एक अर्थव्यवस्था विकसित हो गई है.”

वनतारा… धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स से सटा हुआ है… जहां भारत की हरित ऊर्जा क्रांति तेज़ी से आकार ले रही है… यहां पांच गीगा फैक्ट्रियां स्थापित की जा रही हैं… जो रिलायंस को ग्रे हाइड्रोजन से ग्रीन हाइड्रोजन में बदलने की दिशा में आगे बढ़ाएंगी… ये एक समग्र ऊर्जा इकोसिस्टम है… जो 2030 तक 100GW सौर ऊर्जा पैदा करेगा… और 2035 तक रिलायंस को पूरी तरह कार्बन उत्सर्जन मुक्त बनाने में मदद करेगा…

भारत की पवित्र भूमि से, वनतारा पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है… ये धरती केवल इंसानों की नहीं है… बल्कि सभी जीवों की है… अनंत अंबानी ने कहा, “सनातन धर्म में हर देवी-देवता का एक प्रिय पशु या वाहन होता है. हर देवता का एक वाहन होता है, जो प्राय: कोई पशु ही होता है. ऋग्वेद और श्रीकृष्ण के संदेश में भी यही भाव प्रकट होता है. श्रीकृष्ण ने कहा है कि सभी जीव समान हैं, चाहे वो मनुष्य हो, मधुमक्खी हो या चींटी. हर जीवन मूल्यवान है.”

वनतारा सिर्फ एक संरक्षण केंद्र नहीं है… बल्कि ये एक ऐसी जगह है… जहां वन्यजीवों का इलाज और देखभाल भी की जाती है. अनंत एम अंबानी ने कहा, “मानव कल्याण के लिए बहुत से लोग काम कर रहे हैं, लेकिन पशु कल्याण के क्षेत्र में बहुत कम लोग सक्रिय हैं. मुझे लगता है कि इसके लिए मैं चुना गया था और यह भगवान की कृपा है कि मैं पशुओं की सेवा कर सका. आज के समय में हम भगवान को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देख सकते, लेकिन मैं हर पशु में भगवान का स्वरूप देखता हूं. ये मेरे लिए समाज को कुछ लौटाने का तरीका है.” वनतारा का मकसद संतुलन बहाल करना और ये साबित करना है… कि जब इंसान और कुदरत साथ मिलकर काम करते हैं… तो दोनों समृद्ध होते हैं…


Location :

Jamnagar,Gujarat

First Published :

March 07, 2025, 21:36 IST

homenation

1.5 लाख से ज़्यादा जानवरों के उस ‘घर’ की कहानी, जिसने दुनिया को सिखाया कि…

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj