अपने ही घर में राजस्थानी भाषा की लड़ाई, अमेरिका से संसद तक गूंज रही आवाज, कब खुलेगी सरकार की नींद?

Agency:Local18
Last Updated:February 21, 2025, 15:20 IST
आठ करोड़ राजस्थानियों की आवाज कब सुनेगी सरकार? अमेरिका और नेपाल तक ने राजस्थानी को मान्यता दे दी लेकिन अपने ही घर में ये भाषा उपेक्षित क्यों? 20 साल से संघर्ष, धरने, संसद में बहसें—फिर भी सिर्फ वादे. क्या राजनी…और पढ़ेंX
राजस्थानी भाषा मान्यता मामला
हेमंत लालवानी/पाली– राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहरों को संजोने वाली राजस्थानी भाषा को अमेरिका और नेपाल में तो मान्यता मिल गई लेकिन खुद राजस्थान में इसे राजभाषा का दर्जा नहीं मिल सका. आठ करोड़ से अधिक लोग इस भाषा को बोलते हैं, फिर भी ये आज तक संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं हुई.
अमेरिका में बैठे प्रवासी राजस्थानी कर रहे प्रयास राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए न केवल राजस्थान बल्कि सात समंदर पार बसे प्रवासी राजस्थानी भी पूरी ताकत से जुटे हुए हैं. एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ANA) के चेयरमैन प्रेम भंडारी, जो राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक भी हैं, इस मिशन को एक नई दिशा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. वे लंबे समय से भारत सरकार के आगे ये मांग उठाते आ रहे हैं और कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति से मिलकर अपनी बात रख चुके हैं. अमेरिका में रहते हुए भी वे राजस्थान की इस सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और इसे संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए विभिन्न मंचों पर आवाज उठा रहे हैं. उनके प्रयासों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को मजबूती मिली है, जिससे उम्मीद की किरण अब भी जिंदा है.
राजनीति के भंवर में फंसा राजस्थानी भाषा का मुद्दा राजस्थान के आठ करोड़ से अधिक लोग अपनी मातृभाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने का सपना देख रहे हैं, लेकिन यह मुद्दा राजनीति की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है. राजस्थान के 25 सांसदों से उम्मीद की जाती है कि वे इस मुद्दे को संसद में मजबूती से उठाएं लेकिन सच्चाई ये है कि ये मामला केंद्र और राज्य सरकार के बीच फुटबॉल बना हुआ है. दोनों ही सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालती रही हैं.
20 साल से लंबित है मान्यता का प्रस्ताव2003 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में विधानसभा से राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का प्रस्ताव पास हुआ था लेकिन आज तक ये हकीकत नहीं बन सका. लोकसभा और राज्यसभा में कई बार चर्चा हो चुकी है, जोधपुर राजघराने के गज सिंह, अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे और कई सांसद इस मुद्दे को उठा चुके हैं लेकिन अभी तक केवल आश्वासनों का ही दौर चल रहा है.
क्या मिलेगा राजस्थानी भाषा को संवैधानिक अधिकार? धरने, प्रदर्शन, सेमिनार और संगोष्ठियों के बावजूद राजस्थानी भाषा की मान्यता केवल कागजों में ही सिमट कर रह गई है. राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते ये संघर्ष लंबा खिंचता जा रहा है. आठ करोड़ राजस्थानियों को उम्मीद है कि जल्द ही उनकी मायड़ भाषा को उसका संवैधानिक हक मिलेगा.
Location :
Pali,Pali,Rajasthan
First Published :
February 21, 2025, 15:20 IST
homerajasthan
अपने ही घर में राजस्थानी भाषा की लड़ाई, अमेरिका से संसद तक गूंज रही आवाज