जहां जाने से डरते हैं लोग, यहां के हिंदू और मुस्लिम उस जगह की करते हैं पूजा
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मनीष पुरी/भरतपुर: देश के अलग-अलग क्षेत्रों और राज्यों में कई राजाओं ने राज किया और इसी धरती पर मरे और मारे भी गए. जिन जगहों पर उन्हें जलाया और दफनाया गया वो जगह अपने आप में ऐतिहासिक हैं. कई जगहों पर तो ऐसे लोगों के मंदिर और मजार भी बने हुए हैं. जहां लोग उनकी पूजा भी करते हैं. राजस्थान का भरतपुर एक ऐसा ही कस्बा है जहां पर कई मुस्लिम शासकों और जाने माने हकीमों की कब्र है.इन कब्रों को शाही कब्र कहते हैं. इन कब्रों में बड़े बड़े योद्धा दफन हैं इसीलिए इसका नाम शाही कब्र पड़ा. यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग पूजा करते हैं.
इस क्षेत्र पर लंबे समय तक लोधी वंश मुगल वंश और उससे पहले गुलाम वंश आदि का राज रहा है. इसी दौरान यहां शाही परिवार के लोग दफन किए जाते रहे हैं. यह कब्रिस्तान चर्चा में तब आया था जब यहां कब्र के सिरहने पर अरबी भाषा में लिखी इमारत को एक चर्चित मूर्ति तस्कर ने चोरी कर इंटरनेशनल मार्केट में बेच दिया था.कब्र के सिरहने लगी इमारत को आम बोलचाल की में ताबीज कहा जाता है.
इसे शाही कब्रिस्तान इसलिए कहा गया क्योंकि यहां पर कई मुस्लिम राजवंशों ने शासन किया और उनके सदस्यों की कब्र यहां स्थित है. इसमें अंदर जाने पर कब्रों को देखा जा सकता हैं. किसी कब्र को छातरी नुमा रूप दिया गया है तो किसी को विशेष प्रकार के प्लेटफॉर्म जैसा बनाया गया है. इतिहास के जानकार बताते हैं कि यहां पर एक अबू बकर कंदर जो की एक अफगानी लड़ाकू था.उसकी कब्र भी यहां पर मौजूद है. जिसकी लोग यहां पर पूजा भी करते हैं.ऐसे ही कई गुमनाम शख्सियत आज भी इस कब्रिस्तान में चैन की नींद सो रही हैं.
यह कब्रिस्तान कस्बे के बीचों बीच स्थित है और अब यहां एक मदरसा भी चलाया जा रहा है. थोड़ी बात कर लेते हैं भरतपुर की जहां यह कब्रिस्तान है.भरतपुर की स्थापना 1733 में महाराज सूरजमल ने की थी. यह एक रियासत थी इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है. लक्ष्मण इस राजपरिवार के कुलदेव माने गये हैं. पहले यह जगह सोगरिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में थी, जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 ई. में भरतपुर नगर की नींव डाली.
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FIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 19:23 IST