किस कौम से आते हैं सीरिया के अल असद, भारत में इनकी कितनी आबादी? खुद ‘मुसलमान’ भी मानते हैं दुश्मन!
नई दिल्ली: सीरिया में गृहयुद्ध अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है. राष्ट्रपति अल असद को विद्रोहियों ने सत्ता से बेदखल कर दिया है. सत्ता से बेदखल होने के बाद वह रूस भाग चुके हैं. लेकिन यह लड़ाई अचानक से नहीं शुरू हुई है. इसके इतिहास में जाएंगे तो कई चीजें सामने आएंगी. दरअसल सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद शिया इस्लामी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. अल-असद परिवार सीरिया में अल्पसंख्यक शिया समुदाय से आता है, जबकि सीरिया की अधिकांश आबादी सुन्नी मुस्लिम है. यह धार्मिक विभाजन सीरिया के गृहयुद्ध का एक प्रमुख कारण रहा है.
यह सवाल उठता है कि एक अल्पसंख्यक समुदाय से आते हुए अल-असद परिवार इतने लंबे समय तक सत्ता पर कैसे काबिज रहा? इसके पीछे कई कारण हैं. अल-असद परिवार ने हमेशा सेना पर अपना कड़ा नियंत्रण रखा है. सेना में अधिकतर अलावित्स (सीरिया में एक शिया समुदाय) थे, जिसने उन्हें सत्ता में बने रहने में मदद की. उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष को कुचलने और अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए किया. रूस और ईरान जैसे देशों ने हमेशा अल-असद सरकार का समर्थन किया है.
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क्यों सुन्नी मुसलमान असद को मानता है दुश्मन?सीरिया में सुन्नी और शिया समुदायों के बीच लंबे समय से धार्मिक विभाजन रहा है. ऐसा दावा किया जाता है कि अल-असद के शासनकाल में सुन्नी समुदाय को कई तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. सीरिया में गृहयुद्ध के दौरान अल-असद सरकार ने सुन्नी विद्रोहियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा का प्रयोग किया. अल-असद सरकार को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जिसे कई सुन्नी मुसलमानों द्वारा शिया इस्लाम का केंद्र माना जाता है. इस कारण दुनिया भर के सुन्नी मुसलमान अल असद को अपना दुश्मन मानते हैं.
भारत में शिया मुसलमानों की क्या है स्थिति?अब आइए बात करते हैं भारत में रह रहे शिया मुसलमानों की स्थिति के बारे में. भारत में शिया मुस्लिमों की संख्या लगभग 20% है. वे देश के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं, लेकिन उनकी अधिकांश आबादी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में निवास करती है. भारत में शिया मुस्लिमों को आम तौर पर अन्य धर्मों और समुदायों के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए जाना जाता है. लेकिन सुन्नी मुसलमानों और शिया मुसलमानों के बीच तनाव बना रहता है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों में क्यों होता है मतभेद? शिया और सुन्नी मुस्लिमों में मतभेद की जड़ें काफी गहरी हैं. शिया मुसलमानों का मानना है कि इमामों की नियुक्ति पैगंबर मुहम्मद द्वारा ही की गई थी और यह पद वंशानुगत होता है. जबकि सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि इमामों की नियुक्ति समुदाय द्वारा की जाती है. दोनों समुदायों के बीच कुरान और हदीस की व्याख्या को लेकर भी मतभेद हैं.
दोनों समुदायों के धार्मिक रीति-रिवाजों में भी कुछ अंतर हैं. जैसे कि मोहर्रम मनाने के तरीके, नमाज पढ़ने के तरीके आदि. इतिहास में दोनों समुदायों के बीच कई बार संघर्ष हुए हैं जिसके कारण दोनों के बीच अविश्वास और नफरत पैदा हुई है. कई बार राजनीतिक कारणों से भी दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ा है. कई देशों में शिया मुसलमानों को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर माना जाता है, जिसके कारण दोनों समुदायों के बीच असमानता और नाराजगी पैदा होती है. हालांकि दोनों समुदायों के बीच कई लोग ऐसे भी हैं जो एक-दूसरे के साथ शांति से रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 09:48 IST