Which mask better protect Omicron corona epidemic N95 cloth or surgical mask nodakm

SEHAT KI BAAT: ओमिक्रॉन के साथ-साथ कोरोना के पुराने वैरिएंट के मामलों में इजाफा दिखने लगा है. इसी बीच, अमेरिकन जनरल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में एक स्टडी प्रकाशित हुई है. इस स्टडी में कहा गया है कि मास्क पहनने की अच्छी आदत के चलते कोरोना से होने वाली मौतों में कमी आई हैं. ऐसे में, एक बार फिर यह समझना जरूरी हो गया है कि कोरोना से बचाव के लिए हमें किस तरह के एहतियात बरतने होंगे. कोरोना से बचाव में मास्क किस तरह से उपयोगी है. क्या ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचने के लिए हमें कुछ नया करना होगा? इन सभी मसलों पर हमने बात की वसंतकुंज फोर्टिस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर कंसलटेंट डॉ. मनोज शर्मा से.
कोरोना से बचाव में मास्क की अहमियत को लेकर डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि कोरोना की दस्तक के साथ हम सबको बचाव के कुछ उपाय बताए गए थे, जिसमें मास्क के सही इस्तेमाल के साथ-साथ हैंड सेनेटाइजेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और बंद जगहों पर जाने से परहेज की बात शामिल थी. अब चाहे कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट हो, डेल्टा वैरिएंट हो या भविष्य में कोई नया वैरिएंट आए, ये सभी हमारे नाक और मुंह के रास्ते शरीर में दाखिल होते हैं. ऐसे में, कोरोना वायरस का कोई भी वैरिएंट हो, बचाव के लिए हमें इन्हीं उपायों की मदद लेनी होगी. जहां तक मास्क का सवाल है तो कोरोना से बचाव के लिए हमारे पास इससे बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
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साधारण कपड़े से बने मास्क कितने सुरक्षित
डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, वर्तमान समय में हम तीन तरह के मास्क लोगों को इस्तेमाल करते हुए देखते हैं, जिसमें पहला है साधारण कपड़े से बना हुआ मास्क, दूसरा है सर्जिकल और तीसरा एन-95 मास्क है. साधारण कपड़े से बने हुए मास्क वायरस को रोक पाने में सक्षम नहीं हैं. लिहाजा, इनको पहनना या ना पहनना एक सी बात है. सर्जिकल मॉस्क नॉन वूवन मैटेरियल से बनते हैं, इनकी फिल्टरेशन कैपेसिटी अच्छी होती है. वहीं, एन-95 मास्क नॉन वूवन मैटेरियल से बना हुआ फाइव लेयर मास्क है, इस मास्क के जरिए किसी भी वायरस से बेहतर बचाव किया जा सकता है. हमारी सलाह यही होती है कि कोरोना काल में आपको घर से बाहर निकलना पड़ रहा है तो एन-95 मास्क का ही इस्तेमाल करें.
सुने PODCAST: कोरोना से बचाव में कौन सा मास्क कितना कारगर?
उन्होंने बताया कि एन-95 मास्क पूरा एयर टाइट मास्क होता है, जो चारों तरफ से एक लेयर बना देता है और पूरे चेहरे की सीलिंग कर देता है. नाक और चेहरे का हिस्सा पूरी तरह से सील हो जाता है. हम हवा में सांस लेते हैं, वह मास्क से फिल्टर होकर आती है. ऐसे में, अगर वातावरण में वायरस है भी या सामने कोई खांस या छींक कर गया है तो भी हम काफी हद तक उससे सुरक्षित रहेंगे. अगर वहीं, एन95 मास्क बहुत अच्छी क्वालिटी का है और हमने उसे बेहद लापरवाही से पहना हुआ है तो हमारे मास्क पहनने का उद्देश्य पूरा नहीं होगा, वायरस हमारी सांस के साथ हमारे शरीर में दाखिल हो जाएगा और हमें संक्रमित कर देगा.
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क्या है मास्क पहनने का सही तरीका
डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, कोरोना वायरस से रेस्पेटरी वायरल इंफेक्शन होता है. जब भी कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या झींकता है तो उसके सेक्रीशन्स के साथ वायरस वातावरण में आ जाता है. ऐसे में, हम बिना मास्क के वहां से गुजरते हैं तो हमारी सांस के साथ वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कर सकता है. इसके अलावा, हमारे हाथ ऐसी किसी जगह पर पड़ जाते हैं, जहां पर किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या झींकने के सेक्रीशन्स गिर गए थे. यदि हम उस संक्रमित हाथ को अपने चेहरे पर लगा लेंगे, तो वायरस से संक्रमित होने की पूरी संभावना बन जाएगी.
इन परिस्थितियों में हमने यदि N-95 मास्क सही तरीके से पहन रखा है तो संक्रमण की संभावनाओं को नकारा जा सकता है. सही तरीके से मास्क महनने का मतलब है कि उससे हमारा मुंह और नाक अच्छी तरह से ढंकी हो. इसके अलावा, जब भी हम मास्क को हाथ लगाएं, उससे पहले हाथ को सेनेटाइजर से सेनेटाइज कर लें या साबुन से हाथ को अच्छी तरह से धुल लें. यदि आप सही तरीके से मास्क लगाते हैं और अपने हाथों के सेनेटाइजेशन का पूरा ध्यान रखते हैं तो आपके संक्रमित होने की संभावना न के बराबर हो जाती है.
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