होली पर क्यों निभाई जाती है ढूंढोत्सव रश्म? नवजात बच्चों से क्या है कनेक्शन, जानें परंपरा निभाने का खास मकसद

Last Updated:March 15, 2025, 15:39 IST
Udaipur Holi Dhundhotsav Ritual: उदयपुर में होली के अवसर पर अनूठी रस्में निभाई गई. इस रश्म को ढूंढोत्सव के नाम से जाना जाना जाता है. ढूंढोत्सव बच्चों के स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और निर्भीकता के लिए किया जाता है, …और पढ़ेंX
title=श्रीमाली समाज ने धूमधाम से मनाया सामूहिक ढूंढोत्सव />
श्रीमाली समाज ने धूमधाम से मनाया सामूहिक ढूंढोत्सव
हाइलाइट्स
उदयपुर में होली पर ढूंढोत्सव रस्म निभाई गई.ढूंढोत्सव बच्चों के स्वास्थ्य और निर्भीकता के लिए होता है.समारोह में पारंपरिक लोक गीत भी गाए गए.
उदयपुर. होली का पर्व उल्लास और परंपराओं से भरपूर होता है, जिसमें विभिन्न अनूठी रस्में निभाई जाती हैं. इन्हीं में से एक विशेष रस्म ढूंढोत्सव भी है, जिसे नवजात शिशुओं की सुख-समृद्धि और निडरता के लिए किया जाता है. उदयपुर में श्रीमाली नवयुवक सेवा संस्थान द्वारा सामूहिक ढूंढोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के सैकड़ों लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. नवजातों के लिए शुभ अवसरइस समारोह के दौरान 7 बच्चों और 5 बच्चियों की सामूहिक रूप से ढूंढ की गई.
होली पर ढूंढोत्सव का हुआ आयोजन
आमतौर पर यह आयोजन लड़कों के लिए किया जाता है, लेकिन श्रीमाली समाज में बेटियों के जन्म पर भी विशेष आनंद मनाया जाता है, इसलिए हर साल बच्चियों के लिए भी यह आयोजन किया जाता है. कार्यक्रम में बच्चों के परिवारजन और समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे. संस्थान के अध्यक्ष प्रकाश श्रीमाली ने इस अवसर पर ढूंढोत्सव की परंपरा और इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे सामूहिक आयोजन समाज को एकजुट करने और कम खर्च में पारंपरिक संस्कार निभाने में सहायक होते हैं. उन्होंने बताया कि ढूंढोत्सव बच्चों के स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और निर्भीकता के लिए किया जाता है, ताकि वे निडर होकर समाज में आगे बढ़ सकें.
क्यों मनाया जाता है ढूंढोत्सव?
बच्चों के जन्म के बाद पहली होली पर ढूंढोत्सव का आयोजन किया जाता है. परंपरा के अनुसार, होलिका दहन के अवसर पर नवजात शिशु को गोद में लेकर उसकी बुआ परिक्रमा करवाती है और समाज के लोग लकड़ी बजाते हैं, जिससे माना जाता है कि बच्चे का भय दूर होता है और वह शोर-शराबे से नहीं डरता. संस्थान के प्रमुख सदस्य पंकज लटावत ने इस सफल आयोजन के लिए सभी कार्यकर्ताओं और उपस्थित जनसमूह का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होते होते रहेंगे. इस अवसर पर पारंपरिक भक्ति गीत भी गाए गए, जिनमें समाज की महिलाओं और बुजुर्गों ने एक विशेष लोकगीत भी प्रस्तुत किया गया.
हरिया बाग रे हरिया बाग
वागा जा रे बागा जा
हरिया विचे तोर तुरंगी
जा विच वावे चंपा डाली
जू जू चंपा मोटा वेवे
मारो बालक (नवजात बच्चे का नाम) मोटा वेवे
Location :
Udaipur,Rajasthan
First Published :
March 15, 2025, 15:38 IST
homerajasthan
जानें क्यों निभाई जाती है ढूंढोत्सव रश्म? नवजात बच्चों से क्या है कनेक्शन