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अंधेरे में ही क्यों आती है अच्छी नींद? लाइट जलाकर सोने में क्यों आती है परेशानी, जानें क्या कहता है साइंस

How Light Affects Sleep Quality: अधिकतर लोग रात को सोने से पहले लाइट बंद कर देते हैं और अंधेरे में सोना पसंद करते हैं. हालांकि कई लोग रात में लाइट जलाकर सोने की कोशिश करते हैं. यह बात सच है कि अंधेरे में लोगों को जल्दी नींद आ जाती है और लोग अच्छी नींद ले पाते हैं. इन बातों पर कई लोग ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंधेरा हमारी नींद के लिए जरूरी होता है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि खुद वैज्ञानिक भी मानते हैं. अब तक कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि अच्छी नींद के लिए अंधेरा जरूरी होता है. इससे हमारी सर्केडियन रिदम ठीक रहती है. आज आपको विस्तार से बताएंगे कि रात में अंधेरा करके सोना बेहतर क्यों होता है.

स्लीप फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी नींद के लिए अंधेरा बहुत जरूरी होता है. रोशनी से नींद का सीधा कनेक्शन होता है. हमारे शरीर के अंदर काम करने वाली एक नेचुरल क्लॉक होती है, जिसे सर्केडियन रिदम (Circadian rhythm) कहा जाता है. यह घड़ी हमारे शरीर के अंदर 24 घंटे के चक्र में काम करती है और हमें दिन-रात के बदलाव के अनुसार काम करने में मदद करती है. जब यह घड़ी सही तरीके से काम करती है, तब अच्छी नींद आती है. अंधेरे में सोने से सर्केडियन रिदम अपने नेचुरल पैटर्न पर काम करती है और गहरी नींद आती है. अगर हम लाइट जलाकर सोते हैं तो सर्केदिन रिदम बिगड़ जाती है और लोगों की नींद में रुकावट होने लगती है. यही वजह है कि सोने से पहले लाइट ऑफ कर देनी चाहिए.

जब कोई व्यक्ति लाइट जलाकर सोता है, तब उस लाइट से मेलाटोनिन नामक हार्मोन प्रभावित होने लगता है. मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है, जो नींद को बढ़ावा देता है. अंधेरे में इसकी मात्रा बढ़ जाती है, जिससे नींद का एहसास होता है और हम आसानी से सो जाते हैं. जब रोशनी होती है, तो मेलाटोनिन का प्रोडक्शन रुक जाता है और इससे नींद की क्वालिटी बुरी तरह प्रभावित होने लगती है. हमारे ब्रेन के अंदर एक हिस्सा होता है, जिसे सर्केडियन पेसमेकर कहा जाता है. यह पेसमेकर शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे- नींद, भूख और हार्मोन लेवल को कंट्रोल करता है. जब हमारी आंखों में जाता है, तो यह पेसमेकर सक्रिय होता है और ब्रेन को संकेत भेजता है कि यह दिन का समय है. इससे शरीर जागता रहता है और नींद नहीं आती है.

आर्टिफिशियल लाइट जैसे- कमरे की लाइट, टीवी या मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट खासतौर से सर्केडियन रिदम को प्रभावित करती है. यह लाइट ब्रेन को मैसेज भेजती है कि यह दिन का समय है, जबकि यह रात का समय होता है. ऐसे में हमारे शरीर की नेचुरल क्लॉक कंफ्यूज हो जाती है और नींद आने में परेशानी होती है. यही वजह है कि मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन का इस्तेमाल सोने से पहले नहीं करना चाहिए. रात में अंधेरे में सोने से हमारी सर्केडियन रिदम सही काम करती है, जिससे हमें जल्दी नींद आती है और हमारी नींद गहरी होती है. अंधेरे में सोने का एक और फायदा यह है कि यह मानसिक शांति प्रदान करता है. जब कमरे में अंधेरा होता है, तो शरीर और ब्रेन को आराम मिलने लगता है.

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Tags: Better sleep, Health, Trending news

FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 14:07 IST

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