Rajasthan

Why is Holi played for 40 days in this thousands of years old temple – News18 हिंदी

कृष्णा कुमार गौड़/जोधपुर. वैसे तो पूरे देशभर में अलग-अलग इलाकों की होली प्रसिद है, चाहे वो मथुरा या वृंदावन की होली हो या फिर राजस्थान की लठमार होली,लेकिन इन सब के बीच एक ऐसी होली भी है जो एक दिन होली का आनंद नहीं देती बल्कि पूरे 40 दिन न केवल होली का आनंद देती है. बल्कि उस होली में भगवान की भक्ति का रस भी होता है. जी हां,हम बात कर रहे है राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी सूर्यनगरी जोधपुर के उस हजारों साल पुराने घनश्याम मंदिर की जहां आज भी 40 दिन होली खेली जाती है. जहां का नजारा हर रोज एक नए उत्साह भर देता है.

हर वर्ष बसन्त पंचमी से रंग पंचमी तक दोपहर 12 बजे से 2 बजे और शाम 8 से रात 10 बजे तक गुलाल से होली खेली जाती है। फाल्गुन माह में हर रोज यहां 200 से 300 किलो गुलाल की खपत होती है. गुलाल के साथ यहां फूलों से होली खेलने का भी आयोजन किया जाता है. आख़िरी दिन रंग पंचमी को यहां रंग दसे होली खेली जायेगी साथ ही शाम को पण्ड्या नृत्य का आयोजन होगा. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि घनश्याम जी का मंदिर एक ऐसा ऐतिहासिक स्थान है जहा 40 दिनों तक लगातार होली महोत्सव चलता है. जहां प्रेम से भक्ति से और अपनेपन के भाव से भगवान श्री कृष्ण के समुख होली का त्यौहार मनाया जाता है.

विदेशी भी रंग जाते है इस रंग में
जोधपुर के भीतरी शहर में जूनी मण्डी स्थित घनश्याम जी के मंदिर में इन दिनों फागोत्सव बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा है.यहां रोजाना दोपहर और शाम को श्रद्धालु होली के उल्लास में डूबे नज़र आते हैं.घनश्याम जी को गुलाल-अबीर अर्पित करने के बाद मंदिर परिसर में ही श्रद्धालु एक दूसरे को गुलाल लगाकर रोमांचित हो उठते हैं. इस मंदिर में होली से पहले ही होली खेलना शुरू हो जाता है और यह सिलसिला धुलंडी के बाद भी तीन चार दिनों तक जारी रहता है.

फाल्गुन माह के शुरू होते ही मंदिर में ढोलक की थाप पर होली के गीत गातों पर महिला, पुरुष और बच्चों को नाचते हुए देखा जा सकता है. ‘सांवरिया संग होली खेलो’ गीत की धुन और हवा में उड़ता गुलाल इस मंदिर के वातावरण को रंगीन कर रहा है. इस वातावरण में जहां स्थानीय लोग एक दूसरे को गुलाल लगाने से अपने को रोक नहीं पाते वहीं विदेशी पर्यटक भी यहां खिंचे चले आते हैं.

कृष्ण मंदिरो में यह है होली की परपंरा
यूं तो मान्यता है कि भगवान कृष्ण गोकुल से वृंदावन फागुन मास मैं होली खेलने की परंपरा रही है उसी तर्ज पर आज भी कृष्ण मंदिरों में फागुन मास जो कि पूरे महीने भगवान के सन्मुख होली गीतों पर भक्तजन आज भी वृंदावन शहर के कृष्ण मंदिरों में होली खेली जाती है. इसी तर्ज पर शहर के पौराणिक गंगश्याम मंदिर मैं भी पौराणिक परंपरा अनुसार भगवान कृष्ण के सन्मुख उनके भक्तों द्वारा जमकर अबीर गुलाल उड़ा कर उसकी धूली मैं अपने व पूरे मंदिर प्रांगण को रंग दिया जाता है. पुजारी अबीर गुलाल की थालियां भर-भर कर फागुन भजनों पर झूम रहे भक्तों पर यह रंग डाला जाता है.

हजारों साल पुराना है कुंजबिहारीजी का यह मंदिर
पहले तो राव गांगा ने मूर्ति को मेहरानगढ़ में रखवाया. कुछ समय बाद में जूनी मंडी में विशाल मंदिर का निर्माण करवाने के बाद उसमें मूर्ति की प्रतिष्ठा करवा दी. गांगा की ओर से निर्मित श्याम जी का मंदिर ही बाद में गंगश्यामजी का मंदिर कहलाया. वैष्णव परंपरा के अनुसार मंदिर में कुल छह बार आरती होती है जिनमें मंगला, शृंगार, राजभोग, उत्थापन, संध्या और शयन आरती प्रमुख है. कलात्मक दृष्टि से मंदिर अत्यंत सुंदर तथा शहर के मध्य स्थित होने के कारण श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

Tags: Holi, Holi celebration, Jodhpur News

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