बाबा श्याम के पास बने इस क्यों कहतें हैं “इच्छा पूरी करने वाला धाम”? जाने पंच मूर्ति मंदिर के दर्शन का सीक्रेट

Last Updated:October 22, 2025, 13:02 IST
Rajasthan Lakshminath Mandir: खाटूश्याम जी के पास स्थित भगवान लक्ष्मीनाथ का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बहुत चमत्कारी माना जाता है. मंदिर में पंच मूर्तियों के दर्शन होते हैं और भक्तों का आस्था का केंद्र है. यहाँ हर दिन श्रद्धालु दर्शन और पूजा के लिए आते हैं, जिससे मंदिर का माहौल हमेशा दिव्य और पवित्र बना रहता है.
राहुल मनोहर/सीकर. राजस्थान के सीकर जिले के बाय गांव में भगवान लक्ष्मीनाथ का एक प्राचीन और चमत्कारी मंदिर स्थित है. यह मंदिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है. मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले पहला दीपक भगवान लक्ष्मीनाथ के सामने जलाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रवासी लोग भी अपने नए व्यापार की शुरुआत से पहले यहां दर्शन करने आते हैं.

यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है और करीब 400 वर्ष पुराना बताया जाता है. इसकी स्थापत्य कला बहुत आकर्षक है. मंदिर में पंच मूर्ति के दर्शन होते हैं, जो राजस्थान में अद्वितीय मानी जाती हैं. इसमें लक्ष्मीजी गरुड़ पर सवार हैं और भगवान विष्णु के बाएं अंग में विराजमान हैं. नीचे जय-विजय द्वारपाल खड़े हैं, जो इस मंदिर की सुंदरता और धार्मिकता को और बढ़ाते हैं.

लक्ष्मीनाथजी की इस दिव्य प्रतिमा में शंख, चक्र, गदा और पद्म के सुंदर शिल्प उकेरे गए हैं. खास बात यह है कि लक्ष्मीजी को यहां अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए रूप में दर्शाया गया है, जो सामान्यतः अन्य मंदिरों में देखने को नहीं मिलता. विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी मंदिर से इस मंदिर की दूरी 8 किलोमीटर होने के कारण भक्तों में अद्भुत श्रद्धा और आस्था का केंद्र बनी हुई है. मंदिर में कई वर्षों से अखंड ज्योत जल रही है, जो निरंतर जलती रहती है.

मंदिर में पूजा-अर्चना पाराशर गोत्र के ब्राह्मणों द्वारा की जाती है. श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर प्रबंधक समिति इस मंदिर की देखरेख का कार्य करती है. गर्भगृह और आंतरिक भाग की दीवारों पर सुंदर कांच की जड़ाई की गई है, जो इसे और भव्य बनाती है. भक्त जब परिक्रमा करते हैं, तो दीवारों पर बने भगवान के 24 अवतारों की झलक उन्होंने देखने को मिलती है. मंदिर के गर्भगृह के आगे का भाग भी कांच से सुसज्जित है. छत पर देवी-देवताओं की अद्भुत चित्रकारी की गई है, जो देखने वालों को आकर्षित करती है.

हर वर्ष यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और लक्ष्मीनाथजी के दर्शन कर जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं. मंदिर समिति के अनिल कुमार वैद्य और रामचंद्र व्यास बताते हैं कि बाय गांव का दशहरा मेला अत्यंत प्रसिद्ध है. इस मेले में रावण और राम के बीच युद्ध का जीवंत मंचन किया जाता है, जो दर्शकों को वास्तविक दृश्य का अनुभव कराता है. इस आयोजन में गांव के ही लोग सभी किरदार निभाते हैं. पूरे गांव में त्योहार जैसा माहौल रहता है और श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुटते हैं.

बाय गांव में दशहरा मेला पिछले लगभग 150 वर्षों से भर रहा है. 24 घंटे तक चलने वाले राम-रावण युद्ध के मंचन को देखने के लिए आसपास के कई गांवों से लोग आते हैं. यह परंपरा आज भी उसी उत्साह और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है. मंदिर के धार्मिक आयोजन और मेले की सांस्कृतिक झलक राजस्थान की समृद्ध परंपरा और आस्था का प्रतीक मानी जाती है.
First Published :
October 22, 2025, 11:50 IST
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बाबा श्याम के पास बने इस क्यों कहतें हैं “इच्छा पूरी करने वाला धाम”?



