झुंझुनूं के इस बलिदान पर आप करेंगे नाज, ऐसा जिला कहां मिलेगा, अब तक शहीद हो चुके हैं 485 लाल

देश के हर युवा के मन में अपनी मिट्टी के लिए मर मिटने की इच्छा होती है. देश के लिए कुछ कर गुजरने, देश की सेवा कर अपने प्राण न्यौझावर कर देना गर्व की बात माना जाता है. इंडियन आर्मी का हिस्सा बनने के बाद युवा अपने माता-पिता का ही नहीं, देश का बेटा बन जाता है. उसके बाद देश की हिफाजत भी उसकी जिम्मेदारी बन जाती है. राजस्थान का झुंझुनूं देश के उन जिलों में से एक है, जहां पैदा होने वाला हर युवक देश के लिए मर मिटने को तैयार होता है.
झुंझुनूं में पैदा होने वाले हर युवा का एक ही सपना होता है, देश की हिफाजत के लिए आर्मी ज्वाइन करना. अभी तक इस जिले के कुल 485 सैनिक शहीद हो चुके हैं. ये जिला भी इन शहीदों की कुर्बानी को नहीं भूलता. झुंझुनूं का नाम ऐसे जिले में गिना जाता है, जिसकी हर सड़क का नाम शहीदों के नाम पर रखा गया है. साथ ही यहां इन शहीदों को भगवान की तरह पूजा जाता है. तभी तो गांव-गांव में शहीदों की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा की जाती है.
हर गांव की एक ही कहानीझुंझुनूं के कई गांवो में जैसे ही आप एंटर करेंगे, वहां आपको मूर्तियां नजर आ जायेंगी. ये मूर्तियां किसी भगवान की नहीं होती. गांव का जो भी लाल शहीद होता है, उसकी मूर्तियां बनाकर स्थापित की जाती है. इसके बाद पूरा गांव उसकी भगवान की तरह पूजा करता है. यहां जितनी भी सड़कें हैं, सभी के नाम शहीदों के नाम पर रखे गए हैं. लगभग हर गांव की एक ही कहानी आपको देखने के लिए मिल जाएगी.
ऐसा रहा है रिकॉर्डझुंझुनूं ने अभी तक अलग-अलग जगहों पर अपने 485 लाल खोए हैं. देश के लिए सबसे ज्यादा शहादत देने वालों में ये जिला सबसे आगे है. 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में इस जिले ने अपंने एक सौ आठ लाल खोए थे. इसके बाद कारगिल युद्ध में भी जिले के 19 जवान शहीद हो गए थे. वहीं 1962 और 1965 में हुए युद्ध में भी इस जिले के सैनिक सबसे आगे थे. दुश्मनों के दांत खट्टे करने में जिले के युवाओं को काफी मजा आता है. आज भी इस जिले की हर मां अपने लाल को सेना में भेजने से नहीं हिचकती. ये उनके लिए गर्व की बात है.
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FIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 15:13 IST