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Wisdom teeth related problems and treatment, wisdom teeth pain | अक्लदाढ़ सम्बंधित परेशानियां एवं उपचार, जानिए क्या होती है अक्लदाढ़

wisdom teeth pain : अक्लदाढ़ मुख में सबसे अंतिम दाढ़ ( प्रथम एवं द्वितीय दाढ़ को छोड़कर) को कहते हैं जो कि सामान्यतः 17 से 25 वर्ष की उम्र में निकलती है| परन्तु कभी कभी 25 वर्ष के बाद भी निकल सकती है अक्लदाढ़ मुख्यतया चार, जिनमें 2 उपरी जबड़े (maxilla)में एवं 2 निचले जबड़े (mandibel) में होती हैं|

अक्लदाढ़ मुख में सबसे अंतिम दाढ़ ( प्रथम एवं द्वितीय दाढ़ को छोड़कर) को कहते हैं जो कि सामान्यतः 17 से 25 वर्ष की उम्र में निकलती है| परन्तु कभी कभी 25 वर्ष के बाद भी निकल सकती है अक्लदाढ़ मुख्यतया चार, जिनमें 2 उपरी जबड़े (maxilla)में एवं 2 निचले जबड़े (mandibel) में होती हैं|

बहुत से लोगों के मन में यह प्रशन उठता है कि इसे अक्लदाढ़ क्यों कहते हैं?
क्या इस का अक्ल से कोई कनेक्शन है? इन सब का उत्तर है जी नहीं | इस का निकलना (eruption) तब होता है जब व्यक्ति अक्लमंद या समझदार होता है (सामान्यतः 17 से 25 वर्ष की उम्र में)

जब अक्लदाढ़ आती है तब तक मुॅह में सारे सारे दांत एवं दाढ़ आ चुके होते हैं इसलिए उनके लिए जगह (स्पेस) बहुत कम रहता है अतः अक्लदाढ़ या तो पूरी तरह से आती (fully impacted) ही नहीं है या टेढी-मेढी आती है अथवा आधी-अधूरी (partially impacted) आकर रह जाती है जो कि परेशानी का कारण बनती है |

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आजकल की युवा पीढ़ी में अक्लदाढ़ या तो आती ही नहीं है (मतलब हड्डी अथवा मसूड़े में दबी रह जाती है अथवा आधी-अधूरी या टेढी-मेढी आती है | इस का मुख्य कारण हमारा आधुनिक खानपान है जिसकी वजह से हमारे जबड़े का आकार शनैः शनै छोटा होता जा रहा है|

पुरातन समय में हमारे पूवर्ज रेशेदार एवं मुख्यतः ऐसे खाध पदार्थ (गन्ना,गाजर,मूली,चने)खाने में काम लेते थे जिससे जबड़े की कसरत होती थी| इस के उलट वर्तमान समय में युवा पीढ़ी ऐसे खाध पदार्थ ( पिज़्ज़ा, बर्गर, सॉफ्टड्रिंक्स, वेफरस, प्रोसेसड एवं डिब्बाबंद फूड्स) खाने में काम लेते हैं जो कि चिपचिपे एवं दान्तों की कम सक्रियता से भी खाये जाते हैं जिससे संम्पूर्ण जबड़े की कसरत नहीं हो पाती है| इन के अलावा आनुवंशिक कारण एवं जबड़े में कोई चोट भी एक वजह हो सकती है|

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अक्लदाढ़ में संक्रमण की वजह से तीव्र एवं असहनीय दर्द , सूजन आना, मुँह का कम खुलना, खाने एवं निगलने में परेशानी, संम्बंधित मसूड़े में खून आना ( bleeding gum) , मसूड़े में सूजन ( swollen gum) या मसूड़ों का फूलना , मुंह में दुर्गन्ध( bad breath)अथवा बदबू का आना, मसूड़े की अतिवृद्धि (gum hypertrophy) बुखार एवं थकान का आना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं| कभी – कभी इस की वजह से संबंधित हिस्से के कान, कनपटी (temporal region) एवं गले में रेफरड पेन (referred pain) भी होता है| कई दफा नीचे की दोनों अक्लदाढ़ में गंभीर संक्रमण होने पर गले एवं मुंह में सूजन की वजह से मरीज का जीवन खतरे में पड़ सकता है जो कि इमरजेंसी अवस्था होती है जिसे सैल्यूलाइटिस(cellulitis) कहते हैं|

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