Women Advice Safety Centre Mahila west police station of Udaipur support for broken relationships 737 families got houses
जोधपुर. आपसी गलत फहमियों से लेकर ईगो और पूरे दिन इंटरनेट पर व्यस्त रहने के कारण दूरियां बढ़ती जा रही है. इन्हीं बदली परिस्थितियों के चलते पति और पत्नी के संबंध में दरार आने की वजहसे संबंध भी टूटते जा रहे हैं. इन्हीं संबंधें को जोड़ने के लिए महिला पुलिस लगातार काम कर रही हैं. उजड़ रहे घर को बसाने के लिए महिला पुलिस थाना पश्चिम की टीम ने इस क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है. एक साल के अंदर 943 परिवाद महिला पश्चिम थाने तक पहुंचा. जिसमें 737 मामलों को केवल परिवाद लेवल पर ही समझाइश कर परिवार को टूटने से बचा लिया.
कहने और सुनने में जितना ही अजीब लगे, बड़ी हकीकत है कि कानून और शांति व्यवस्था संभालने वाली पुलिस घर बसाने में भी पीछे नहीं है. बात अगर महिला पुलिस थाना पश्चिम की करे तों यहां पुलिस कमिश्नर राजेन्द्र सिंह और डिप्टी पुलिस कमिश्नर राजर्षि राज वर्मा के निर्देशन में महिला थानाधिकारी रेणू ठाकुर ने अपनी टीम के साथ महिला सलाह सुरक्षा केन्द्र के काउंसलर्स को अपने साथ बेहतर काम किया है. इसी का नतीजा है कि तीन साल में दर्ज किए गए प्रकरणो में से 80 प्रतिशत मामलो में घर बसा दिए गए है.
737 मामलों में पुलिस ने बसाए घर
खास बात यह है कि इस वर्ष थाने में 943 परिवाद सामने आए, जिसमें महिला थाने की टीम द्वारा 737 मामलो को परिवाद लेवल पर पति-पत्नी के साथ काउंसलिंग करते हुए घर बसाने का काम किया गया. वहीं जिन मामलों में लगा कि पीडिता सच में परेशान है और परिवार बसने के कोई चांस नहीं है तो, ऐसे टाइम पर फिर मजबूरन 155 मुकदमे दर्ज किए गए. हालांकि 100 प्रतिशत कोशिश यही की जाती है कि मामला परिवाद लेवल पर ही निपट जाए, ताकि किसी का घर नहीं टूटे. कुल मिलाकर देखा जाए तो जो शिकायतें प्राप्त हुई है, उसमें 80 प्रतिशत तक घर बसाने में हम सफल रहे. बांकी 20 प्रतिशत जो मामले हैं, उनको न्यायालय भेजा गया. थानाधिकारी रेणू ठाकुर परिवार बसाने के लिए विशेष रूप से उनके घर पहुंचते हैं और साथ बैठकर काउंसलिंग करती है.
सार्थक प्रयास से घर बसाने में मिल रही सफलता
पश्चिम थानाध्यक्ष रेणू ठाकुर ने लोकल 18 को बताया कि जब परिवार बस जाते हैं और दोनों परिवार खुशी-खुशी यहां से जाते हैं तो, उस वक्त लगता है कि ड्यूटी के दौरान किया गया प्रयास सार्थक रहा. काम में सफल होने के बाद सुकून का एहसास होता है. महिला थाना पश्चिम की टीम का विशेष फौकस यही रहता है कि जो भी मामले महिला थाने में तक पहुंचे, उनमें समझाइश कर घर बचाने का प्रयास ज्यादा किया जाए, क्योंकि जब घर टूटता है तो बच्चे को काफी अधिक सफर करना पडता है. उसी लिहाज से छोटी-छोटी बातों पर होने वाले झगडे और बाद में विवाद के बढने के बाद जब मामला थाने तक पहुंचता है तो, पति-पत्नी यह मन बनाकर ही आते है कि उनको एक-दूसरे के साथ नहीं रहना है. मगर महिला पुलिस टीम द्वारा प्रयास करते हुए 5 से 6 बार भी काउंसलिंग कर घर को टूटने से बचाने का काम किया जा रहा है.
घर बसाने से मिलती है खुशी
काउंसलर रेखा शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का अच्छा प्रोविजन है कि एफआईआर से पहले काउंसलिंग होनी चाहि, जिससे एफआईआर कम होती है. महिला थाना पश्चिम में रेणू ठाकुर के निर्देशन में हम भी कोशिश करते हैं कि महज काउंसलिंग से ही किसी का घर बस जाए. छोटी-छोटी बातों को लेकर गलतफमियों की वजह से घर टूटते हैं. उसमें हम काउंसलिंग करते हैं, जिसमें दोनों पक्षों को बुलाकर बातचीत करते हैं. वहीं 5 से 6 बार काउंसलिंग भी करते हैं, ताकि घर बस जाए. किसी का घर बस जाए, इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 13:00 IST