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Women Changing Society – समाज में बदलाव आ रही महिलाएं

समाज में बदलाव आ रही महिलाएं

औरत चाहे तो समाज में बदलाव ला सकती है। यदि खुद अपनी ताकत को पहचाने और खुद को आत्मनिर्भर बना ले तो परिवार में भी बदलाव संभव है। कुछ एेसा ही कर दिखाया है लेहरो देवी और सुगना देवी ने। जिन्होंने न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनी।
एक के बाद एक जब लेहरो देवी ने तीन बेटियों को जन्म दिया जो पति ने दूसरी शादी कर ली। दूसरी पत्नी ने दो बेटों को जन्म दिया। बेटा पैदा न कर पाने के सामाजिक दबाव ने लेहरो अछूत बना दिया और उन्‍होंने अपने पति और परिवार की खुशी के लिए दूसरी शादी करने की अनुमति दी। पति के रिटायरमेंट के बाद अपने परिवार को पालना लेहरो देवी के लिए आसान नहीं था। वह यह जानती थीं कि अपने परिवार की जिम्‍मेदारी उठाने का वक्‍त आ गया है। इस काम में उनकी बेटियों ने भी उनका साथ दिया। उन्होंने खुद आत्मनिर्भर बनने का निर्णय किया। लेहरो ने स्किल ट्रेनिंग प्राप्‍त की और विभिन्‍न प्रदशर्नियों में भाग लेने के लिए पूरे देश की यात्रा करती है। अपने जीवन के १०साल उन्होंने शिल्प को समर्पित कर दिए और दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया। लेहरो देवी ने न केवल अपनी आजीविका और जीवनशैली को बेहतर बनाया बल्कि अपने व्‍यक्तित्‍व को भी निखारा है।वह कहती हैं कि शुरुआत में यह मुश्किल था लेकिन अब वह अपने जीवन से खुश हैं और अच्‍छी जिंदगी जी रही हैं।

एक शरणार्थी के रूप में प्रवासी का जीवन बहुत मुश्किल होता है। सुगदी देवी एक ऐसे ही परिवार से संबंध रखती हैं, जो बंटवारे के वक्‍त पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत से राजस्थान आया था। अपने पति और बच्‍चों के अलावा सुगदी देवी को जिसके साथ समय बिताना सबसे ज्यादा अच्छा लगता था वह थे सुई और धागा। उन्‍हें कढ़ाई का काम करना पसंद था और इसे करने में उन्‍हें बहुत मजा आता था। धीरे.धीरे उन्‍हें लगने लगा कि यही वह काम है जिसे करने में उन्‍हें खुशी मिलेगी। वो यह बात अच्‍छी तरह से जानती थीं कि अकेले पति की कमाई से बच्‍चों को पढ़ाना संभव नहीं होगा। जब उन्‍हें बाड़मेर की एक बहुत प्रसिद्ध पारंपरिक हस्तशिल्प कारीगर रूमा देवी के काम के बारे में पता चला तो उन्‍हें लगा कि पारंपरिक कला में उनका कौशल उनके लिए कमाई का एक साधन बन सकता है और वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में कुछ मदद कर सकती हैं।
अपनी इस सोच को साकार करने के लिए सुगदी देवी ने कौशल.विकास प्रशिक्षण हासिल किया और हाथ से कढ़ाई करना सीखा। ट्रेनिंग के बाद सुगदी देवी एक कलाकार से एक मास्‍टर प्रशिक्षक बन गईं। कुछ ही समय में विभिन्‍न फैशन शो में अपने कलेक्‍शन के साथ रैम्‍प पर वॉक करके उन्‍होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली।
उनके इन अथक प्रयासों और समर्पण को देखते हुए 15 अगस्‍त 2019 को उन्‍हें पुरस्‍कार भी मिला। उन्‍होंने साबित कर दिखाया कि आकाश की बुल‍ंदियों को छूना असंभव नहीं है। वह विभिन्न संस्थानों में वर्कशॉप का आयोजन कर चुकी हैं साथ ही उन्होंने एनआईएफटी जैसे संस्‍थानों के कई छात्रों को संबोधित भी किया है। उनका मानना है कि समाज की सदियों पुरानी प्रथाओं की रूढि़वादी सोच पर जीत हासिल करना भारतीय महिलाओं के लिए कभी भी आसान नहीं है लेकिन यदि हम चाहे तो इसमें बदलाव कर सकते हैं।

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