Rajasthan

जालोर: बलवंत लखाणी की वर्मी कम्पोस्ट से जैविक खेती में वृद्धि

Last Updated:October 31, 2025, 14:23 IST

जालौर में जैविक खेती की दिशा में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है, इस परिवर्तन के केंद्र में हैं किसान बलवंत लखाणी, जो ऑस्ट्रेलियाई केंचुओं की मदद से उच्च गुणवत्ता वाली वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) तैयार कर रहे हैं. यह प्राकृतिक खाद मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में सुधार करती है. बलवंत बताते हैं कि उनकी खाद में 16 आवश्यक पोषक तत्व मौजूद हैं, जो मिट्टी की सेहत के लिए जरूरी हैं.

जालोर. जिले में जैविक खेती का रुझान तेजी से बढ़ रहा है और इस बदलाव के केंद्र में हैं किसान बलवंत लखाणी, जो ऑस्ट्रेलियाई केंचुओं की मदद से उच्च गुणवत्ता वाली वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) तैयार कर रहे हैं. यह खाद खेतों की मिट्टी को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाती है और फसल की उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ा देती है. बलवंत बताते हैं कि उनकी तैयार की गई खाद में 16 आवश्यक पोषक तत्व शामिल होते हैं, जो मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं. रासायनिक खादों की तुलना में यह खाद पूरी तरह प्राकृतिक है और पर्यावरण के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है.

किसान बलवंत लखाणी ने लोकल 18 को बताया कि यह खाद तैयार करने की प्रक्रिया बिल्कुल वैज्ञानिक और सरल है. हम कच्चे गोबर से खाद तैयार करते हैं. गोबर को पहले 10 से 15 दिन तक अच्छी तरह भिगोया जाता है, इसके बाद लगभग 20 फुट लंबा बेड तैयार किया जाता है, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई केंचुए डाले जाते हैं. ये केंचुए गोबर को धीरे-धीरे खाकर उसे महीन और पोषक तत्वों से भरपूर खाद में बदल देते हैं, लगभग दो महीने में यह खाद तैयार हो जाती है.

स्थानीय किसान इसे फसलों के लिए कहते हैं “काला सोना” 

यह खाद जालौर के कई क्षेत्रों जैसे जीवाणा, बावतरा, बागोड़ा और आसपास के गांवों में खूब पसंद की जा रही है. स्थानीय किसान इसे फसलों के लिए “काला सोना” कहते हैं, क्योंकि यह न केवल पैदावार बढ़ाती है बल्कि मिट्टी की जीवन शक्ति को भी लंबे समय तक बनाए रखती है. बलवंत की मेहनत और गुणवत्ता की वजह से यह खाद अब राजस्थान के बाहर गुजरात तक भी भेजी जा रही है, जहां किसान इसकी भारी मांग कर रहे हैं. वर्मी कम्पोस्ट डालने से मिट्टी नरम होती है, उसमें पानी रोकने की क्षमता बढ़ती है और फसल में रोग कम लगते हैं. खास बात यह है कि इस खाद से उगाए गए अनाज, सब्जियां और फल ज्यादा सुरक्षित और पोषक माने जाते हैं. यही कारण है कि जालौर के किसान तेजी से रासायनिक खादों से दूरी बनाते हुए जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं.

Monali Paul

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें

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Location :

Jalor,Rajasthan

First Published :

October 31, 2025, 14:23 IST

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जानिए जालोर के बलवंत लखाणी की वर्मी कम्पोस्ट से जैविक खेती में कैसे आई वृद्धि

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