Rajasthan

Women Writing A Hope – Dr. Sharda Krishna – महिला लेखन एक उम्मीद- डॉ.शारदा कृष्ण

भाषा हमारी पहचान
राजस्थानी भाषा लेखिकाओं का सम्मेलन आयोजित

 

जयपुर/बीकानेर राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से प्रकाशित राजस्थानी पत्रिका राजस्थली के प्रकाशन के ४५वर्ष पूरे होने के अवसर पर किया गया। जिसमें पुस्तक के प्रकाशित महिला लेखन विशेषांक का लोकार्पण किया गया। उद्घाटनकर्ता डॉ. दिव्या चौधरी ने राजस्थानी भाषा को जीवन का अंग बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि भाषा हमारी पहचान है। हमारी बोलचाल में मातृ भाषा का होना जरूरी है। अध्यक्षता करते हुए डॉ.शारदा कृष्ण ने कहा कि महिला लेखन एक उम्मीद है। जो पड़ाव दर पड़ाव अपना सफर करते हुए विश्वास के साथ मंजिल की ओर अग्रसर है। मुख्य अतिथि प्रोफेसर विमला डूकवाल ने कहा कि मातृ भाषा को बचाने के लिए सबल पैरोकार महिला ही हो सकती है, क्योंकि वह सात पीढियों को संस्कारित करने वाली होती है। महिला लेखन अंक की अतिथि सम्पादिका किरण राजपुरोहित नीतिला ने कहा कि इस तरह के आयोजन महिलाओं के साहित्यिक हस्तक्षेप को रेखांकित करते हैं। विजयलक्ष्मी देथा ने भाषा को मां बताते हुए सन्तान के कर्तव्य बताए। समारोह संयोजक मोनिका गौड़ ने स्त्री विमर्श व योगदान की चर्चा को सुखद बताते हुए कहा कि यह महिला का होना प्रमाणित करती है। प्रधान संपादक श्याम महर्षि ने कहा कि किसी भी साहित्यिक संस्था को चलाने के लिए साहित्यकारों का जुड़ाव होना जरूरी है। साहित्य समारोह में कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ.धनंजया अमरावत ने की। यहां कविता पाठ के माध्यम से कवयित्रियों ने देश भक्ति, भाषा व संस्कृति से रूबरू करवाया।

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