Rajasthan

अद्भुत नृत्य! दादा पोता एक साथ करते हैं यहां यह डांस, देखने में तलवारबाजी युद्ध जैसा लगता

Last Updated:March 17, 2025, 15:19 IST

भीलवाड़ा के पालरा गांव में देवनारायण मंदिर प्रांगण में गैर नृत्य का आयोजन हुआ, जिसमें तीन पीढ़ियां एक साथ नृत्य करती हैं. यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी जीवित है.X
गैर
गैर नृत्य करते कलाकार

हाइलाइट्स

भीलवाड़ा में गैर नृत्य का आयोजन हुआतीन पीढ़ियां एक साथ गैर नृत्य करती हैंगैर नृत्य तलवारबाजी युद्ध जैसा लगता है

भीलवाड़ा : राजस्थान प्रदेश अपनी प्राचीन धरोहर और अपनी परंपराओं को लेकर पूरी दुनिया में एक विशेष महत्व रखता है ऐसे में आज हम आपको राजस्थान के मेवाड़ की एक ऐसे पारम्परिक नृत्य के बारे  बताने जा रहें हैं जिसे गैर नृत्य कहा जाता हैं. इसकी सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस नृत्य में 3 पीढ़ियां एक साथ नृत्य करती हैं. भीलवाड़ा जिले के पालरा गांव में स्थित देवनारायण मंदिर प्रागंण में गैर नृत्य का आयोजन किया गया. इस नृत्य में पालरा सहित आसपास के गांवों से सैकड़ों कलाकारों ने मनमोहक अंदाज में लाल-सफेद आंगी पहने हुए गैर नृत्य की प्रस्तुतियां दी हैं.

गैर नृत्य को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. यह नृत्य सामूहिक रूप से गोल घेरा करके ढोल, बांकिया, थाली  वाद्य यंत्रों के साथ हाथ में डंडा लेकर किया गया. इसकी सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह गैर नृत्य की परंपरा आज भी परला गांव के युवा और बुजुर्ग पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते हुए आ रहे हैं. इसमें तीन पीढ़ियां एक साथ गैर नृत्य करती हैं.

पीढ़ी दर पीढ़ी खेलते है गैर नृत्यस्थानीय बुजुर्ग के मुताबिक गैर नृत्य सदियों पुराना है और पीढ़ी-दर-पीढी खेलते आ रहे है.  गैर नृत्य दादा, बेटा, पौता एक साथ खेलते नजर आए हैं हमारे जैसे तीन पीढ़ियों वाले परिवार खूब एक साथ गैर नृत्य करते है. 40 सालों से गैर नृत्य करता हूं. पीढ़ी दर पीढी खेलते है. मेरे दादा, पिता खेलते थे. अब बेटा व पोता-पोती एक साथ खेलते है इस नृत्य को देखकर लगता है मानों तलवारों से युद्ध चल रहा है. इस नृत्य की सारी प्रक्रियाएं और पद संचलन तलवार युद्ध जैसी लगती है. मेवाड़ के गैरिए नृत्यकार सफेद अंगरखी, धोती व सिर पर केसरिया, सफेद,पंचरंगी पगड़ी धारण करते है.

ऐसे शुरू हुआ गैर नृत्य – स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब सैकड़ो वर्ष पहले किसान जब खेती-बाड़ी से फ्री हो जाते थे. महिलाएं लूर नृत्य (महिलाएं घेरा बनाकर करती है नृत्य) करती थी. तब महिलाओं की रक्षा के लिए पुरूष हाथ में डंडा लिए हुए होते थे. कुछ लोगों ने डंडा लिए नृत्य करना शुरू किया था. धीरे-धीरे इस नृत्य से लोग जुड़ते गए अब यह परंपरा बन गई. इसके साथ आज हमारी कला-संस्कृति बन गई है.

सैकड़ों सालों से चली आ रही परंपरा – कई दशकों से चला आ रहा गैर नृत्य इसमें गैरियों के पहनने वाली ड्रेस में कई रंगों के परिवर्तन हुए है लेकिन परंपरा आज भी वही है आधी सदी बीतने के बाद भी हमारी पीढ़ियां परंपराएं नहीं भूली है.


Location :

Bhilwara,Rajasthan

First Published :

March 17, 2025, 15:19 IST

homerajasthan

अद्भुत नृत्य! दादा पोता एक साथ करते हैं यहां यह डांस, देखने में है ऐसा…

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj