एक दिन में 6 लाख पौधे लगाकर बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड, अब बंजर है यहां कि पहाड़ियां
जुगल कलाल/डूंगरपुर. माह अगस्त. साल 2009. स्थान डूंगरपुर जिले का खेमारू गांव. यहां जिला प्रशासन ने 24 घंटों में 6 लाख 24 हजार पौधे लगाकर विश्व रिकार्ड बनाया था. माहौल ऐसा बना कि प्रदेश के तात्कालिन व वर्तमान मुख्यमंत्री भी इस विश्व रिकार्ड के साक्षी बने थे.
14 साल बाद यहां पेड़ों का जंगल होना चाहिए था. पर, हकीकत यह है कि यह पहाड़ी आज भी 14 साल पहले की तरह बंजर है. यहां पूर्ववत बारहमासी लगने वाले कुछ बबूल के पेड़ है. पौधे छह लाख 24 हजार लगाने का दावा किया. लेकिन, मौके पर लगाएं गए पौधों में 24 पौधों का भी अस्तित्व नहीं बचा है.
वर्ष 2009 में तत्कालीन जिला कलेक्टर डा. आरुषि ए. मलिक ने जिले पर एक और प्रयोग किया. वह प्रयोग था एक दिन में छह लाख से अधिक पौधे लगाकर पाकिस्तान के पांच लाख 41 हजार पौधे लगाने के रिकार्ड को तोडने का था. राज्य सरकार की ओर से चल रहे हरित राजस्थान अभियान के तहत जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर गड़ामोरैया पंचायत के खेमारू गांव की डूंगरियों पर कीर्तिमानी पौधरोपण का कार्यक्रम बना.
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मुख्यमंत्री भी बने थे साक्षी
पौधरोपण के लिए चिन्हित क्षेत्र को पांच ब्लॉक में विभक्त कर 300 दल बनाए गए. पूरा प्रशासन और सरकारी तंत्र बाकी सारे काम छोड़ इसी मुहिम में जुटा रहा. खेमारू में तकरीबन 68 हैक्टेयर क्षेत्र में फैली डूंगरियों पर गड्ढ़े खुदवाए गए. 12 अगस्त 2009 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में पौधरोपण हुआ. सुबह से शाम तक चली मुहिम में तकरीबन छह लाख 24 हजार पौधे लगाए गए.
एक करोड़ 80 लाख रुपए की स्वीकृतियां जारी
पौधों की सुरक्षा के लिए थूअर की बाढ़ लगाने, पानी के लिए ट्यूबवेल खुदवाने, चौकीदार नियुक्त करने आदि कामों के लिए मनरेगा के तहत करीब एक करोड़ 80 लाख रुपए की स्वीकृतियां जारी की गई थी. प्रशासन ने लोगों को इंगरियां हरी-भरी करने, जनजाति वर्ग को उसकी उपज से आजीविका मुहैया कराने, खेमारू में ही मातृ पौधशाला स्थापित कर पौधों का वितरण करने जैसे सपने दिखाए, लेकिन यह सभी सपने पौधों के साथ ही कुम्हला गए.
अब तो गड्ढों तक के भी नहीं बचे हैं निशान
रिकार्ड बनने के बाद प्रशासन ने उस ओर का रूख नहीं किया. इससे कुछ समय बाद ही रिकार्ड उजड़ने लगा. खेमारू में विश्व रिकार्ड के कोई खास निशान तक नहीं बचे हैं. कुछ साल तक तो मुख्यमंत्री सहित चार-पांच विशिष्ट लोगों द्वारा रोपे गए पौधे थूअर की बाड़ से घिर नजर आते थे, लेकिन अब तो वह भी नहीं दिखते. जिस जगह पर पौधरोपण हुआ, उसके पास अब विवेकानंद मॉडल पब्लिक स्कूल भी बन चुकी है. खेमारू की पहाडियां आज भी उतनी ही उजाड़ हैं, जैसे पहले थी. पहाडियों पर पौधरोपण के लिए किए गए गड्डों के निशान तक मिट्टी में दब चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 05, 2023, 17:48 IST