Rajasthan

Year Ender 2022 Jaipur Greater And Heritage Nagar Nigam | Year Ender 2022: दोनों नगर निगम में जमकर चली खींचतान, हैरिटेज में नहीं बना ‘मंत्रिमंडल’, ग्रेटर में मेयर की कुर्सी का ‘संग्राम’

heritage_samiti.jpgशहरी सरकार (हेरिटेज नगर निगम) ने यह साल भी बिना ‘मंत्रिमंडल’ यानी संचालन समितियों के निकाल दिया। हेरिटेज निगम की प्रथम महापौर मुनेश गुर्जर का 10 नवम्बर को दो साल का कार्यकाल पूरा हो चुका, लेकिन इस बीच संचालन समितियों को गठन भी नहीं हो पाया। हालांकि इस बीच निर्दलीय पार्षदों के साथ कांग्रेसी पार्षद संचालन समितियों के गठन की मांग को लेकर 6 बार विरोध दर्ज करा चुके है। इस साल ही संचालन समितियों की मांग को लेकर पार्षदों को 5 से 6 बार धरना—प्रदर्शन के साथ अनशन तक करना पड़ा, फिर भी शहरी सरकार को ‘मंत्रिमंडल’ नहीं मिला।

कब-कब उठा समिति गठन का मामला… —अप्रेल 2021 में पहली बार मांग उठी तो काेराेना संक्रमण काल में बैठकें नहीं बुलाने की कहकर मामले काे टाला गया।
—जनवरी 2022 में दूसरी बार मांग उठी, तब केबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और विधायक रफीक खान के उत्तर प्रदेश चुनावी दौरे की बात कह मामले को शांत किया गया।
—फरवरी 2022 तीसरी बार संचालन समितियों की मांग उठी, उस समय सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों का मामले को लेकर टाल दिया गया।
—मार्च 2022 में फिर संचालन समितियों के गठन की मांग उठी, लेकन विधानसभा का बजट सत्र चलने से कमेटिया नहीं बन पाई।
—8 नवंबर को गुरूनानक जयंती का अवकाश हाेने के बाद भी करीब 19 पार्षद एकजुट हुए और संचालन समितियों के गठन की मांग उठाई, फिर से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की गई।
—पिछले माह नवम्बर में कांग्रेस के साथ निर्दलीय पार्षदों ने संचालन समितियों के गठन की मांग को लेकर धरना दिया। इस दौरान पार्षदों ने अनशन भी शुरू किया। हालांकि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर विधायकों ने फिर आश्वासन देकर पार्षदों को राजी कर लिया, लेकिन संचालन समितियों का गठन अब तक नहीं हुआ।

mayor_greater.jpgकोर्ट में सरकार की किरकिरी, सौम्या गुर्जर फिर बनी ग्रेटर नगर निगम की महापौरग्रेटर नगर निगम के लिहाज से साल 2022 देखा जाए तो यहां महापौर की कुर्सी की लड़ाई चलती रही। सरकार ने महापौर सौम्या गुर्जर को बर्खास्त कर दिया और 10 नवंबर को महापौर पद के लिए उप चुनाव भी करा लिए। मगर ऐनवक्त पर सौम्या गुर्जर को कोर्ट से राहत मिल गई और प्रत्याशियों का भाग्य आज भी मतपेटियों में कैद है। दरअसल 4 जून 2021 को जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में मेयर सौम्या गुर्जर, तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच एक बैठक में विवाद हुआ था। जिसके बाद आयुक्त बैठक को बीच में छोड़कर जाने लगे ते पार्षदों ने उन्हें गेट पर रोक दिया।

विवाद इतना बढ़ गया कि आयुक्त ने तीन पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया। इसके बाद 6 जून, 2021 को सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा को पद से निलंबित कर दिया। इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी। अगल दिन 7 जून, 2021 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया। इस फैसले के खिलाफ सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकरवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की।

यूं चला घटनाक्रम

—1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर ने वापस महापौर की कुर्सी संभाली थी
—11 अगस्त 2022 को सौम्या और 3 अन्य पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें सभी को दोषी माना गया।
—22 अगस्त को सरकार ने वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा की सदस्यता को न्यायिक जांच के आधार पर खत्म कर दिया
—23 अगसत को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश की और मामले की जल्द सुनवाई की मांग की
—23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कार्यवाही के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण किया
—27 सितम्बर को सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए सौम्या गुर्जर को मेयर पद और पार्षद की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था
—21 अक्टूबर को सौम्या गुर्जर फिर हाईकोर्ट पहुंची और उन्होंने न्यायिक जांच में सुनवाई का मौका नहीं देने के संबंध में याचिका लगाई
—इसी बीच 10 नवंबर को महापौर पद के लिए उप चुनाव की घोषणा हो गई
— 10 नवंबर को मतगणना के दौरान ही कोर्ट ने सौम्या को बड़ी राहत देते हुए उनके बर्खास्तगी आदेशों को रद्द कर दिया

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