नहीं देखा होगा ऐसा महोत्सव, जहां आने को तरस जाएं पर्यटक, जानिए रणकपुर जवाई बांध महोत्सव की खासियत

पाली. जीप सफारी और पर्यटकों की रोमांच भरी आवाज़ के साथ जब रणकपुर जवाई बांध महोत्सव का आगाज़ हुआ तो सभी के चेहरे खुशी से झूम उठे. अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान रखने वाले इस रणकपुर जवाई बांध महोत्सव के आगाज़ होने के साथ ही दो दिनों तक हुए आयोजनों में पर्यटकों ने उत्साह के साथ भाग लिया. महोत्सव के दौरान माना होटल के बाहर हेलीपैड पर काइट फ्लाइंग, हॉट एयर बैलून, पैरासेलिंग, हैंडीक्राफ्ट प्रदर्शनी और कल्चरल इवनिंग जैसी मनोरंजक गतिविधियां आयोजित की गईं.
रणकपुर जैन मंदिर पर दीपोत्सव का आयोजन किया गया. इसके बाद शाम 7 बजे से रात 9 बजे तक स्टार नाइट में कबीर कैफे (म्यूजिक बैंड) और डेजर्ट सिंफनी द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं. शाम ढलते ही भक्ति और आस्था का अनुपम दृश्य देखने को मिला. विश्व प्रसिद्ध रणकपुर जैन मंदिर के कृत्रिम जलस्रोत में दीपदान किया गया. मंदिर परिसर को 2100 दीपों से सजाया गया, जिनकी रोशनी ने मंदिर की अद्भुत नक्काशी में चार चांद लगा दिए.
राजस्थानी कलाकारों की प्रस्तुति ने मोहा पर्यटकों का मन
डेजर्ट सिंफनी राजस्थान लोक संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कलाकारों का ग्रुप है. लंगा और मांगणियार समुदाय के संगीतकार, पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग करके उन्होंने राजस्थानी लोक कला की प्रस्तुति दी. सूर्य मंदिर के मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या सबसे बड़ा आकर्षण रही. कबीर कैफे म्यूजिक बैंड अपने अनूठे फ्यूजन संगीत से दर्शकों को भक्ति और संगीत के नए सफर पर ले गया. वहीं लंगा और मांगणियार कलाकारों ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर राजस्थानी लोक कला का जादू बिखेरा. ‘केसरिया बालम’ सहित लोक गीतों की प्रस्तुति पर दर्शक झूमने को मजबूर हो गए.
दूसरे दिन सजी संगीत की शाम
दूसरे दिन बात करें तो सुबह 10 से शाम 4 बजे तक पतंगबाजी, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, पैरासेलिंग, हॉट एयर बैलूनिंग का आयोजन हुआ. पगड़ी बांधना, रस्साकशी, गोडवाड़ श्री, मिस गोडवाड़, मूंछ, चम्मच-नींबू दौड़ और मटका दौड़ आदि का आयोजन होटल माना के पास हेलीपैड मैदान में सुबह 11 से दोपहर एक बजे तक हुआ, जिसमें पर्यटकों ने खूब आनंद लिया. हनुमान मंदिर के पास रणकपुर रोड सादड़ी में दोपहर 2 से शाम 4 बजे हॉर्स शो भी हुआ. शाम 7 बजे से 9 बजे तक सूर्य मंदिर रणकपुर में मामे खान द्वारा प्रस्तुति दी गई.
जानें कब हुई थी महोत्सव की शुरूआत
विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए 2009 में तत्कालीन कलेक्टर डॉ. पृथ्वीराज ने गोड़वाड़ महोत्सव शुरू किया था, जिसे राज्य स्तरीय दर्जा मिला था. 2015 में इसका नाम बदलकर रणकपुर महोत्सव किया गया. गोड़वाड़ महोत्सव 3 दिन चलता था, वहीं रणकपुर महोत्सव का आयोजन दो दिन किया जाता है.



