Rajasthan

50 लाख खर्च कर 15400 पौधे लगाए! ये शिक्षक क्यों बन गए ‘बरगद मेन’? राज जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे

Last Updated:November 25, 2025, 18:16 IST

Dhaulpur News : बरगद मेन नरेंद्र यादव ने धौलपुर में 15400 से ज्यादा बरगद के पौधे लगाए, 10 बरगद कॉरिडोर बनाए, ग्लोबल ह्यूमैनिटी चेंजमेकर 2023 अवार्ड मिला, परिवार का सहयोग भी मिला.

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सचिन शर्मा/धौलपुर. बरगद मेन नरेंद्र यादव का जन्म जयपुर जिले के चोमू कस्बे के तिगरिया गांव में हुआ.. नरेंद्र यादव पेशे से शिक्षक हैं और धौलपुर जिले के बगचोली लोधा गांव के राजकीय विद्यालय में कार्यरत हैं. बरगद मेन के नाम से मशहूर नरेंद्र यादव अब तक अपने निजी खर्च से 50 लाख रुपए से अधिक राशि लगाकर 15400 से ज्यादा बरगद के पौधे लगा चुके हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनका यह समर्पण उन्हें पूरे प्रदेश में अलग पहचान दिलाता है.

बरगद मेन नरेंद्र यादव बताते हैं कि उन्हें बरगद के पेड़ लगाने की प्रेरणा अपने माता-पिता, बाबा जय गुरुदेव, उमाकांत जी महाराज और अपने शिक्षक थानाराम चौधरी के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जयपुर के प्रांत प्रचारक बाबूलाल जी के आध्यात्मिक विचारों से मिली है. वे कहते हैं कि वे अपने वेतन में से केवल एक रुपया रखते हैं और बाकी पूरा वेतन बरगद के महावृक्ष लगाने में खर्च करते हैं. उन्हें नेशनल इंटरेस्ट फाउंडेशन की ओर से ग्लोबल ह्यूमैनिटी चेंजमेकर 2023 अवार्ड भी मिल चुका है. हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी पर धौलपुर जिला प्रशासन द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया जाता है.

बरगद कॉरिडोर बनाने की पहलनरेंद्र यादव बताते हैं कि उन्होंने धौलपुर जिले में अब तक 10 बरगद कॉरिडोर तैयार किए हैं. पहला कॉरिडोर लवकुश वाटिका में 120 बरगद के पौधे लगाकर शुरू किया गया था. दूसरा कॉरिडोर जय गुरुदेव माता रेहना वाली मंदिर परिसर में बनाया गया. तीसरा कॉरिडोर धौलपुर से बसेड़ी हाईवे पर बनाया गया है. चौथा कॉरिडोर बारूद फैक्ट्री क्षेत्र में स्थापित किया गया. पांचवां कॉरिडोर श्रीराम आश्रम राजाखेड़ा में बनाया गया है.

जेल रोड क्षेत्र में तैयार किया जा रहा 10वां कॉरीडोरछठवां बरगद कॉरिडोर मचकुंड धाम क्षेत्र में विकसित किया गया है. सातवां कॉरिडोर लोंग श्री पहाड़ पर बनाया गया. आठवां कॉरिडोर डाईत परिसर में तैयार किया गया. नौवां कॉरिडोर सागरपाड़ा वन विभाग की भूमि पर विकसित किया जा रहा है. दसवां कॉरिडोर जेल रोड क्षेत्र में तैयार किया जा रहा है. नरेंद्र यादव बताते हैं कि उन्हें बरगद मेन का नाम धौलपुर के तत्कालीन जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने दिया था.

परिवार का साथ और बरगद का महत्वनरेंद्र यादव की पत्नी कहती हैं कि वह स्वयं को भाग्यशाली मानती हैं कि भगवान उनके पति से इतना नेक और पुण्य का कार्य करवा रहे हैं. वहीं नरेंद्र यादव बताते हैं कि उनकी छोटी बहन सीता यादव भी उन्हें बरगद के पेड़ लगाने के लिए आर्थिक रूप से निरंतर सहयोग करती हैं.वे कहते हैं कि वे बरगद के पेड़ इसलिए लगाते हैं क्योंकि पीपल के बाद बरगद सबसे अधिक ऑक्सीजन देने वाला और सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाला वृक्ष है. यह पेड़ पक्षियों के लिए भी अत्यंत अनुकूल माना जाता है. एक बरगद के पेड़ पर लगभग 200 से अधिक पक्षी आराम से रह सकते हैं. यह कारण है कि वे बरगद को पर्यावरण संरक्षण का सबसे मजबूत स्तंभ मानते हुए लगातार इस मिशन में लगे हुए हैं.

Anand Pandey

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें

Location :

Dhaulpur,Rajasthan

First Published :

November 25, 2025, 18:16 IST

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50 लाख से 15400 पौधे लगाए! ये शिक्षक क्यों बन गए ‘बरगद मेन’? कहानी चौंका देगी

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