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आपके AC से गर्म होगा पानी, घर और बाहर रहेंगे ठंडे! भारत में आई ये तकनीक, मचा देगी तहलका refcold exhibition 2025 bharat mandapam

New Technology: आज आपको घर को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशनर लगाना पड़ता है. वहीं पानी गर्म करने के लिए गीजर लगाते हैं. जरा सोचिए कि अगर आपके एसी से निकलने वाली हीट से ही आपको गर्म पानी मिलने लगे या आपका गीजर ही ठंडक देने का काम करने लगे तो कैसा होगा? अभी आपको सुनकर अचंभा हो रहा होगा, लेकिन आने वाले 4-5 सालों में आपको ऐसे ही घरेलू इलेक्ट्रोनिक प्रोडक्ट मिलने लगेंगे. यह तकनीक न केवल भारत में आ चुकी है, बल्कि इस पर काफी काम भी हो रहा है.

अभी इस तकनीक को कमर्शियल प्रोजेक्टों के लिए बड़े स्तर पर इस्तेमाल के लिए तैयार किया जा रहा है. यह तकनीक इसलिए भी तहलका मचाने वाली है कि क्योंकि यह एक पंथ दो काज नहीं बल्कि कई उद्धेश्यों को एक ही लागत में पूरा करने की क्षमता रखती है. उदाहरण के लिए एक एसी की बिजली के खर्च में न केवल कूलिंग बल्कि एसी से निकलने वाली हीट को भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. साथ ही गर्म गैसों के निकलने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान और ग्लोबल वॉर्मिंग को भी कम करने में योगदान दिया जा सकेगा.दिल्ली के भारत मंडपम में लगाई गई तीन दिवसीय रेफ्रिजरेशन और कोल्ड चेन प्रदर्शनी, रेफकोल्ड इंडिया 2025 में शामिल हुए विशेषज्ञों ने बताया कि इस शानदार तकनीक को लेकर इनोवेशंस शुरू हो चुके हैं और इसकी कुछ झलकियां इस प्रदर्शनी में भी देखी जा सकती हैं, जहां दक्षिण एशिया के नेपाल, श्रीलंका से लेकर मिडिल ईस्ट की करीब 200 कंपनियां शामिल हुई हैं.

इस दौरान आईएसएचआरएई (इंडियन सोसायटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग एंड एयर कंडीशनिंग इंजीनियर्स) और इन्फॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया की ओर से बताया गया कि भारत सरकार लगातार कोल्ड-चेन उद्योग को बूस्ट कर रही है. इसी वजह से इसे सनराइज सेक्टर कहा जा रहा है.

भारत सरकार के संयुक्त सचिव, बागवानी प्रिय रंजन ने बताया कि भारत आज विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बागवानी उत्पादक है, जिसकी उत्पादन क्षमता लगभग 365 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी है लेकिन फसल कटाई के बाद होने वाला 15% नुकसान करीब 15 मिलियन मीट्रिक टन बर्बाद हो जाता है. जिससे किसानों और उपभोक्ताओं के अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा बड़ा नुकसान होता है. मंत्रालय और NCCD इस स्थिति को बदलने पर काम कर रहे हैं. सरकार का लक्ष्य 2047 तक नुकसान को 5% से नीचे लाना है और यही वजह है कि कोल्ड चेन और रेफ्रिजरेशन में नई-नई तकनीकों, इनोवेशंस को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

रेफ्रिजरेशन की वजह से जलवायु और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने को लेकर क्‍लाइमेट एक्सपर्ट और डैनफॉस इंडिया के मधुर सहगल ने बताया कि एसी जैसे प्रोडक्ट्स के फायदे के साथ नुकसान ये होता है कि ये गर्म गैसें बाहर छोड़ते हैं और पर्यावरण गर्म होता है लेकिन अब नई तकनीकें इस प्रभाव को घटाने और पर्यावरण को बचाने की ओर ही काम कर रही हैं. भारत में ग्रीन हाउस गैसेज, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों को घटाने वाली तकनीक के इस्तेमाल के लिए 2032 का लक्ष्य रखा गया था लेकिन अच्छी बात है कि यह अभी से हो रहा है और ऐसी नई-नई तकनीकें लाई जा रही हैं जो बेहद सकारात्मक प्रभाव रखती हैं.

इन्फॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने बताया कि खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा रहा कोल्ड चेन सेक्टर अब भारत की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बन चुका है जो 2024 में करीब 10.5 अरब डॉलर का था, अगले आठ साल में 74.5 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.

वहीं रेफकोल्ड इंडिया 2025 के संयोजक आशीष गुप्ता ने कहा कि देश में 32–35 मिलियन टन की कोल्ड स्टोरेज क्षमता तो है, लेकिन पैक-हाउस, रिपनिंग चैम्बर्स और रीफर वाहनों की कमी अब भी चुनौती है. पीएमकेएसवाई जैसी योजनाएं और ऊर्जा दक्षता लेबलिंग टिकाऊ नेटवर्क के लिए बेहतर माहौल बना रही हैं.

एनसीसीडी के मुख्य परिचालन अधिकारी आशीष फोटेदार ने बताया कि यह सेक्टर कृषि से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक हर क्षेत्र को नई दिशा दे रहा है. वहीं ISHRAE के राष्ट्रीय अध्यक्ष-निर्वाचित आर. सर्वनन ने इसे उद्योग के लिए मील का पत्थर बताया.

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