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खाटू श्याम मंदिर का निर्माण किस वंश के राजा ने करवाया? क्यों श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश मांगा दान में, जानें सबकुछ

सीकर: बाबा खाटू श्याम मंदिर देश से लेकर विदेश तक फेमस है. दुनियाभर से श्रद्धालु यहां आकर के माथा टेकते हैं और बाबा के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं. बाबा श्याम अपने हर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. मान्यता है कि कोई भी भक्त उनके दरबार से खाली नहीं लौटता. इसलिए उन्हें हारे का सहारा भी कहा जाता है. लेकिन आज भी ज़्यादातर लोग नहीं जानते हैं कि बाबा खाटू श्याम जी के मंदिर का निर्माण किस राजा ने करवाया था और वह राजा किस वंश से थे.

जैसा की आप जानते है कि द्वापर युग में तीन बाण धारी योद्धा बर्बरीक ही कलियुग के भगवान बाबा खाटू श्याम के रूप हैं. बर्बरीक वीर योद्धा थे. वह महा बलशाली पांडव भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे. उनके पास मात्र तीन बाण थे. उन तीन बाणों में इतनी शक्ति थी की वह एक बार में तीनों लोकों को नष्ट कर सकते थे. पुराणों के अनुसार, जब महाभारत युद्ध हुआ तो बर्बरीक भी युद्ध का हिस्सा बनकर रण भूमि में अपनी योग्यता दिखाने के लिए कुरुक्षेत्र आ गए. बता दें, बर्बरीक ने अपनी मां को वचन दिया था कि युद्ध में जो पक्ष हार रहा होगा मैं उसकी तरफ से युद्ध करूंगा.

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बर्बरीक के शीश को भगवान श्री कृष्ण ने किस नदी मेन बहाया था?
जब भगवान श्री कृष्ण को पता चला कि बर्बरीक भी इस युद्ध का हिस्सा बनने के लिए कुरुक्षेत्र आ पहुंचे हैं, तो उन्होंने बर्बरीक से दान में शीश मांग लिया. जिसके बाद बर्बरीक ने देवी -देवताओं का वंदन किया और माता को नमन कर शीश को धड़ से अलग कर श्री कृष्ण को अर्पित कर दिया. श्री कृष्ण ने शीश को अमर करते हुए एक टीले पर रख दिया और बर्बरीक को वरदान दिया कि कलियुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे. युद्ध खत्म होने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने शीश को रूपवती नदी में बहा दिया और सीकर जिला के खाटू गांव के राजा रूप सिंह चौहान को स्वप्न में आकार के आदेश दिया कि खाटू में इस जगह तुम्हें जमीन के अंदर एक शीश मिलेगा उस शीश को विधि-विधान के साथ खाटू में स्थापित कर मंदिर का निर्माण करवाइए.

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पीपल के पेड़ के नीचे जमीन में दफन था शीश
राजा का सपना सच हुआ सुबह जब वह उठा तो गांव के कुछ लोगों ने आकर के बताया कि पीपल के पेड़ के नीचे एक गाय के थन से काफी देर से अपने आप दूध निकल रहा यह सुन राजा जल्दी से उस स्थान पर पहुंचकर वहां खुदाई कराई खुदाई कराने के बाद उस स्थान पर एक कटा हुआ शीश मिला, राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने उस शीश को विधि-विधान के साथ पुजा कर स्थापित कर वहां एक मंदिर का निर्माण किया. आज हम उस मंदिर को बाबा खाटू श्याम जी के नाम से पूजते हैं.

Tags: Khatu Shyam, Rajasthan news, Sikar news

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