अगर आपके बच्चे भी देखते हैं मोबाइल में ज्यादा रील तो हो जाएं सावधान, भुगतने पड़ सकतें हैं दुष्परिणाम

पीयूष पाठक/अलवर. डिजिटलाइजेशन के युग में आजकल सभी जगह इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है. इसी कड़ी में आजकल छोटे बच्चे भी ज्यादा समय मोबाइल पर व्यक्ति करते हैं. उनके परिवारजन किसी काम में लगते हैं तो अपना मोबाइल उन्हें चलाने के लिए दे देते हैं. इसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ रहा है. अगर आपके साथ भी यह समस्या है तो आप सावधान हो जाए. क्योंकि इससे बच्चों की आंखों की आंखों की रोशनी पर असर पड़ सकता है. अलवर के नेत्र ओपीडी में आने वाले मरीज मे करीम 20 % तक बच्चे हैं. इसका मुख्य कारण देखा गया है ज्यादा समय तक फोन का इस्तेमाल करना.
आंखों की तकलीफों करना पड़ रहा सामना
अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल की नेत्र ओपीडी मेंमरीज प्रतिदिन परामर्श के लिए आते हैं. इसमें करीब 20 % केस में बच्चे देखे गए हैं. डॉक्टर का कहना है कि मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बच्चों को आंखों में कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. आजकल बच्चों को मोबाइल में रील देखने का खुमार है. जो बच्चों की आंखों की रोशनी को कम कर रहा है.
बच्चों के परिवारजन किसी काम में लगने से पहले अपने बच्चों को मोबाइल थमा देते हैं. यह एक गलत आदत है. मोबाइल आते ही बच्चा शांत होकर उसमें लग जाता है. यहीं से उसे मोबाइल की लत लगती है और घंटे तक में मोबाइल में लगा रहता है. जिससे कि उसकी आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ता है.
ज्यादा उपयोग साबित हो सकता है घातक
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. महेश ने बताया कि मोबाइल स्क्रीन की लत बच्चों की आंखों की दृष्टि पर बुरा प्रभाव डाल रही है. मोबाइल की रोशनी से आंखों की रोशनी कम होना, आंखों में रूखापन आना, आंखों में जलन व चुभन जैसी बीमारियां सामने आ रही है. साथ ही निकट दृष्टि के मामले भी कई केसेस में देखे गए हैं.
देखा जाए तो मायोपिया को अनुवांशिक बीमारी के तौर पर जाना जाता है. लेकिन कुछ केसेस में सामने आ रहा है कि सिर्फ बच्चों मे मायोपिया जैसी बीमारी के लक्षण पाए जा रहे हैं. यदि आप भी अपने घर में बच्चों को अधिक समय तक मोबाइल देते हैं. तो सावधान हो जाए. यह मोबाइल बच्चों के लिए घातक सिद्ध साबित हो सकता है. जिससे उनकी आंखों में कई तरह की बीमारियां छोटी उम्र में ही हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : August 27, 2023, 00:35 IST