अनोखी मान्यता! चंद्र ग्रहण में भी इस मंदिर के खुले रहते हैं कपाट, महादेव खुद करते हैं भवानी की रक्षा

राहुल मनोहर/सीकर:- भारत एक आस्था प्रधान देश है. भारत में अनेकों ऐसे देवी-देवता के मंदिर हैं, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपने ईष्ट का दर्शन करने पहुंचते हैं. राजस्थान में भी ऐसे अनेकों मंदिर हैं, जहां भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं.
राजस्थान में खाटूश्याम जी(सीकर), गोविंद देव जी(जयपुर), शक्ति पीठ जीण माता (सीकर), सालासर बालाजी (चूरू) सहित अनेकों ऐसे मंदिर हैं, जिनकी ख्याति भारत में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी है. आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके दरबार में भारत के हर कोने से श्रद्धालु आते हैं. यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसके कपाट चंद्र ग्रहण के दौरान भी बंद नहीं होते हैं.
मां जीण भवानी के कपाट रहते हैं हमेशा खुले
राजस्थान के हर प्रसिद्ध मंदिर के कपाट चंद्र ग्रहण के दौरान बंद रहते हैं. इसका कारण यह है कि चंद्र ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियां बढ़ जाती हैं और सकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है. इसलिए मान्यता है कि अगर मंदिर के कपाट खुले रखेंगे, तो मंदिर में बुरी शक्तियों का वास होगा. लेकिन राजस्थान के सीकर जिले के शक्तिपीठ जीण माता मंदिर के कपाट हमेशा खुले रहते हैं. दावा किया जाता है कि इस मंदिर के कपाट कभी भी बंद नहीं हुए हैं. राजस्थान का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां 24 घंटे भक्त मां जीण भवानी के दर्शन करते हैं.
शक्तिपीठ जीण भवानी कर देती हैं बुरी शक्तियों का नाश
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान बुरी शक्तियां देवों पर भी प्रभाव डाल देती हैं. लेकिन सीकर जिले में स्थित जीण भवानी को शक्तिपीठ का दर्जा दिया गया है. शक्तिपीठ का सम्बंध देवों के देव महादेव से है. इसलिए मां जीण भवानी के साथ भगवान शंकर का साथ होने के कारण इस मंदिर के कपाट कभी भी बंद नहीं होते हैं. यही कारण है कि महाकाल उज्जैन मंदिर और शक्तिपीठ जीण माता मंदिर के कपाट कभी बंद नहीं होते हैं.
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मंदिरों के कपाट क्यों किए जाते हैं बंद
ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य या चंद्र ग्रहण लगता है, तो यह दोनों ग्रह संकट में होते हैं. इस समय सभी नकारात्मक शक्तियां बढ़ जाती हैं. साथ ही दिव्य ऊर्जा की दक्षिणावर्ती गति बाधित हो जाती है और इस वजह से यह मूर्तियों की आभा को बाधित भी करती है. इसलिए ग्रहण के समय पूजा करने का फल प्राप्त नहीं होता है. इसके साथ की सूतक ग्रहण से पहले का समय होता है. इसलिए सूतक काल में भी पूजा नहीं किया जाता है. साथ ही मंंदिर के गर्भ गृह को भी बंद किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : April 5, 2024, 12:35 IST
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