अशोक गहलोत के ये 3 ‘संकटमोचक’ नेता BJP में शामिल, एक की कंपनी पर चुनाव से पहले पड़ी थी ED की रेड | Rajasthan Politics: Two former Cong ministers, other leaders join BJP ahead of LS polls
Lalchand Kataria: यूपीए-2 में मंत्री रहे चुके हैं लालचंद कटारिया
लालचंद कटारिया एक वरिष्ठ जाट नेता हैं और अशोक गहलोत सरकार में कृषि और पशुपालन मंत्री रह चुके हैं। कटारिया पूर्व में जयपुर ग्रामीण सीट से सांसद रहते हुए यूपीए-2 में मंत्री रहे चुके हैं। उनके पिता स्व. रामप्रताप कटारिया आमेर सीट से विधायक रहे चुके हैं। गहलोत के करीबी माने जोन वाले लालचंद कटारिया का निर्वाचन क्षेत्र झोटवाड़ा विधानसभा था, लेकिन इस बार उनके क्षेत्र में काफी विरोध रहा। उसको देखते हुए उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया और यह तर्क दिया कि वह राजनीति की जगह आध्यात्म की ओर ध्यान देंगे।
Rajendra Yadav joined the BJP: गहलोत सरकार में गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं राजेंद्र यादव
राजस्थान के पूर्व गृह राज्यमंत्री एवं कोटपूतली से लगातार दो बार विधायक रह चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र सिंह यादव ने 2008 में कांग्रेस के टिकट से विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। इसके बाद 2013 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर पहली बार विधायक बने।
इसके बाद 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की और गहलोत सरकार में गृह राज्यमंत्री बने। गहलोत खेमे के माने वाले वाले यादव ने गहलोत सरकार पर आए संकट में भी मजबूती से गहलोत के साथ डटे रहे। गहलोत सरकार में अच्छी पकड़ होने के चलते प्रदेश में नए जिलों के गठन में कोटपूतली को जिला घोषित करवाया गया।
पोषाहार घोटाले को लेकर कंपनी पर ईडी की कार्रवाई हुई
2023 के चुनाव में राजेंद्र यादव ने चौथी बार कांग्रेस प्रत्याशी बनकर मैदान में उतरे, लेकिन हार गए। यादव लंबे समय तक जयपुर ग्रामीण कांग्रेस जिलाध्यक्ष भी रहे। विधानसभा चुनाव के बाद से ही पूर्व मंत्री राजेंद्र यादव के भाजपा में शामिल होने की लगातार अटकलें लगाई जा रही थी। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले पोषाहार घोटाले को लेकर भी उनकी कंपनी पर ईडी की कार्रवाई हुई थी।
Alok Beniwal: पूर्व उपमुख्यमंत्री कमला बेनीवाल के पुत्र हैं आलोक बेनीवाल
शाहपुरा के पूर्व विधायक आलोक बेनीवाल भी रविवार को भाजपा पार्टी में शामिल हो गए। पूर्व विधायक आलोक बेनीवाल पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यपाल रही कांग्रेस की दिग्गज नेता डा. कमला के पुत्र है। आलोक बेनीवाल 2008 में चुनावी मैदान में उतरे थे। 2008 व 2013 में कांग्रेस के टिकट से विधायक का चुनाव लड़ा था, लेकिन सफल नहीं हो पाए। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर आलोक बेनीवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़कर पहली बार विधानसभा में पहुंचे थे।
सियासी संकट में संकटमोचक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
कांग्रेस पृष्ठभूमि से होने के चलते निर्दलीय विधायक बेनीवाल ने गहलोत सरकार पर दो बार आए सिायासी संकट में संकटमोचक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया था। लगातार दूसरी बार टिकट नहीं देने से नाराज बेनीवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और हार गए।
2023 के चुनाव में भी टिकट नहीं मिलने पर भाजपा में शामिल होने की अटकलें खूब चली, लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़कर अटकलों पर विराम लगा दिया था। अब लोकसभा चुनाव के ऐलान होने से पहले भाजपा में जाने का फैसला कर सबको चौंका दिया। गौरतलब है कि शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र सर्वाधिक जाट मतदाता है।