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आँखें क्यों हो जाती हैं भारी? जानिए दिलचस्प वजह | Sleepy Eyes? It’s Not Just Fatigue – Science Explains the Heavy Lids

लंबे काम के बाद, हम अक्सर महसूस करते हैं कि हमारी पलकें भारी हो रही हैं, जैसे कोई उन्हें नीचे खींच रहा हो. ऐसा ज़ोरदार वर्कआउट के बाद या दफ्तर में कंप्यूटर स्क्रीन को घूरते हुए घंटों बिताने के बाद भी हो सकता है.

लेकिन जब हम थका हुआ और नींद महसूस करते हैं तो हमारी आंखें भारी क्यों हो जाती हैं? इसे समझने के लिए, हमें सबसे पहले आंख की बुनियादी संरचना को समझना होगा. पलकें त्वचा और मांसपेशियों की पतली परतों से बनी होती हैं जो आंख के नाज़ुक ढांचे को धूल, मलबे और तेज रोशनी जैसे बाहरी तत्वों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. साथ ही ये चेहरे के पूरे रूप और हाव भाव में भी काफी योगदान देती हैं.

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आंखों के आसपास की मांसपेशियां जो हमारी आंखों को उनकी स्थिति में रखती हैं, हमारे शरीर की किसी भी अन्य मांसपेशी की तरह ही काम करती हैं. जब हम लंबे समय तक लगातार इनका इस्तेमाल करते हैं तो ये थक जाती हैं. दूसरे शब्दों में, जिस तरह हमारे हाथ और पैर की मांसपेशियां शारीरिक रूप से थका देने वाले दिन के बाद भारी हो जाती हैं, उसी तरह हमारी आंखों के आसपास की मांसपेशियां भी थक जाती हैं और कमज़ोर पड़ जाती हैं.

यह बात आंखों और भौंहों की मांसपेशियों के लिए विशेष रूप से सच है क्योंकि ये हमारी जागने की अवस्था में सबसे ज्यादा सक्रिय रहती हैं. इसलिए, आमतौर पर स्वस्थ लोगों में पलकों का भारी होना उन्हीं मांसपेशियों की थकान के कारण होता है, जिन्हें हम जागते रहने के दौरान इस्तेमाल करते हैं.

आंखों के थका हुआ दिखने के कई कारण होते हैं:

मांसपेशियों की थकान: पर्याप्त नींद न लेने या लंबे समय तक जागने रहने के बाद, आंखों के आसपास की मांसपेशियां थक कर कमज़ोर पड़ जाती हैं, जिससे पलकों में मजबूती कम हो सकती है और वो झुकने या लटकने लगती हैं.

रक्त प्रवाह में कमी और रक्त का जमना: नसों में खून जम जाता है और इस जमाव के कारण आंखें भारी लगती हैं, आंखों के नीचे थैली बन जाती हैं और नसों के खून का गहरा रंग होने के कारण काले घेरे भी बन जाते हैं.

तनाव और दबाव: लंबे समय तक स्क्रीन टाइम या कंप्यूटर पर काम करना या ज्यादा देर तक पढ़ने जैसी गतिविधियों में आंखों को ज़्यादा इस्तेमाल करने से आंखों के आसपास की मांसपेशियां थक सकती हैं, जिससे थकान और झुकाव की feeling हो सकती है.

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चेहरे के भाव: पलकों में होने वाले सीधे बदलावों के अलावा, थकी हुई आंखें हमारे चेहरे के भाव और हमारे पूरे रूप को भी काफी प्रभावित कर सकती हैं. जब हम थका हुआ महसूस करते हैं, तो हमारे चेहरे की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं, जिससे हमारे हाव भाव कम ज़िंदाद और कम ऊर्जावान हो जाते हैं.

यह सब उम्र बढ़ने के साथ आंखों के आसपास होने वाले बदलावों का भी नतीजा हो सकता है. सूरज की रोशनी और हमारे गैजेट्स की हानिकारक किरणों के लगातार संपर्क में आने से ये बदलाव और तेजी से आ सकते हैं.

(आईएएनएसलाइफ)

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