Rajasthan

आज भी ताजा है यादें…जब बरसों बाद किसी पैदल जत्थे ने पार किया था अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. कहते है कि कुछ घटनाएं ऐसी होती है जिसका जिक्र ही उस समय को जीवंत कर देता है. उन्ही में से एक है, भारत और पाकिस्तान की अंतराष्ट्रीय सरहद पर पूर्व वित्त विदेश एवं रक्षा मंत्री रह चुके जसवंत सिंह की बलूचिस्तान यात्रा है. 3 जनवरी 2024 को जसवंत सिंह जसोल की 86 वीं जयंती है और देश दुनिया मे उनको श्रद्धांजलि अर्पित कर याद किया जाएगा.

भारत के पूर्व विदेश मंत्री और राज्यसभा में भाजपा के नेता रह चुके जसवंत सिंह बाड़मेर से नाता रखते है और इसी बाड़मेर से 30 जनवरी 2006 को लगभग 110 तीर्थयात्रियों के जत्थे के साथ पाकिस्तान के बलूचिस्तान की यात्रा आज भी लोगों को ऐसे याद है मानों कल की बात है.

इस यात्रा में 20 मुस्लिम यात्री भी थे शामिल
देश के विभाजन के बाद यह पहला मौका था जब भारतीय तीर्थयात्रियों को बलूचिस्तान स्थित हिंगलाज मंदिर जाने की अनुमति दी गई थी और वह जत्था दो वाहनों के साथ भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार करता हुआ पाकिस्तान में प्रवेश कर गया. जसवंत सिंह के नेतृत्व में 110 तीर्थयात्रियों का जत्था पाकिस्तान के सड़क के रास्ते गया. इतना ही नहीं माता हिंगलाज के दर्शन के लिए गए इस जत्थे में 20 मुस्लिम तीर्थयात्री भी शामिल थे.

हिंगलाज देवी को बेबी नानी के रूप में पूजते हैं मुस्लिम
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में भाग्य की देवी मानी जाने वाली हिंगलाज देवी का मंदिर हिंगोल नदी के तट पर स्थित है. पाकिस्तान के बलूचिस्तान में इस्लाम को मानने वाले इसे ‘बीबी नानी’ के रूप में पूजते हैं. साल 2006 की इस यात्रा को जसवंत सिंह की निजी यात्रा बताया गया लेकिन इसने अंतराष्ट्रीय स्तर पर खूब सुर्खियां बटोरी.

यह भी पढ़ें : बड़े काम की तुलसी की जड़…नकारात्मक शक्तियों का करे नाश, ग्रहों को रखे शांत, ज्योतिष से लें पूरी जानकारी

पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस यात्रा के लिए भरपूर सहयोग किया. जसवंत सिंह की यह यात्रा बरसों तलक लोगों के जेहन में एक दिन पुराने वाकये की तरह ताजा है. बाड़मेर के रावत त्रिभुवन सिंह बताते है कि साल 2006 में पूर्व वित्त, विदेश एव रक्षा मंत्री रहे जसवंत सिंह जसोल की यह यात्रा पहली यात्रा थी जो देशों के बीच रिश्तों में मिठास खोलने का काम किया है.

आज भी लोगों के जेहन में है यह यात्रा
वहीं बाड़मेर शहर के चंचल प्राग मठ के गादीपति महंत शेम्भुनाथ सैलानी बताते है कि इस यात्रा ने न केवल दो देशों के बीच दूरियों को कम किया था बल्कि दो मुल्कों के बीच शांति व अमन चैन की दुआएं की गई. भारत के मुनाबाव होते हुए पाकिस्तान के हिंगलाज माता मंदिर तक पैदल यात्रा की गई जो कि इतिहास में आज भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित है.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj