Rajasthan

आपकी बात…सरकारी नौकरियों में भर्ती की प्रक्रिया सवालों के घेरे में क्यों है ? | Why is the process of recruitment in government jobs under doubt?

दिलीप शर्मा, भोपाल, मध्यप्रदेश
…………………………………………. पारदर्शिता की कमी है इसका मुख्य कारण
सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया अक्सर कई कारणों से सवालों के घेरे में आ जाती है। मुख्य रूप से पारदर्शिता की कमी, भर्ती में देरी, परीक्षा में धांधली, प्रश्नपत्रों के लीक होने के मामले और आरक्षण संबंधी नीतियों को लेकर उठने वाले विवाद इसके प्रमुख कारण हैं।
अतुल सर्राफ, रीवा मध्यप्रदेश
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भर्ती एजेंसी का ढीला रवैया
इसका मुख्य कारण भर्ती करवाने वाली एजेंसी का ढीला रवैया और एजेंसी के मुख्य नौकरशाह का भ्रष्टाचार में लिप्त होना है। यह युवाओं के सपनों को चकनाचूर कर देते हैं । प्रत्येक सरकारी भर्ती अधिकारी , राजनेता और पेपर माफिया के भ्रष्ट त्रिकोण की भेंट चढ़ जाती है।
भंवरलाल सारण, पाटोदी, बालोतरा
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पेपर लीक होने से भर्ती प्रक्रिया पर सवाल
समय समय पर प्रशासनिक कारणों का हवाला देकर परीक्षा स्थगित हो जाती है। कुछ स्वार्थी तत्व पेपर लीक कर या डमी अभ्यर्थी से पेपर करवा कर नौकरी पा जाते हैं। इस तरह फर्जीवाड़े से पेपर से करोड़ों रुपए कमाए जाते हैं। राजनेताओं की संलिप्तता के बिना यह संभव नहीं है। सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ से लेकर अंत तक पूरी की पूरी संदेहास्पद है।
रविन्द्र कुमार अग्रवाल (बिंदल) जयपुर
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दस्तावेज सत्यापन, अधिक संख्या में आवेदन जैसे कारक जिम्मेदार
यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। इनमें प्रारंभिक परीक्षा, साक्षात्कार, और दस्तावेज़ सत्यापन, अधिक संख्या में आवेदन संख्या, आयु सीमाएं, विभिन्न परीक्षा प्रक्रियाएं, और पूर्णता की मांग शामिल हो सकती है। सरकारी नौकरियों की मांग की संतुष्टि के लिए, उन्हें सही और पात्र उम्मीदवारों को चयन करने के लिए समय लगता है। यह प्रक्रिया विभिन्न स्तरों पर दोषों को कम करने के लिए डिज़ाइन की जाती है, लेकिन कई बार यह समय लेती और जटिल होती है। इसे सुधारने के लिए सरकारें नियमों और प्रक्रियाओं में परिवर्तन करती रहती हैं।
संजय माकोड़े, बैतूल
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भ्रष्ट राजनेताओं व अधिकारियों के गठजोड की वजह से सवालों के घेरे में
राजनेता और भ्रष्ट अधिकारियों के गठजोड की वजह से भर्ती परीक्षा के पेपर लीक करने वाले गिरोह सक्रिय रहते हैं। इससे तैयारी करने वाले लाखों बेरोजगार युवाओं के सपने धराशाही हो जाते हैं। इसकी निष्पक्षता के लिए सरकार को कडी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सजा का प्रावधान करना चाहिए।
शंकर गिरि, रावतसर, हनुमानगढ़ (राजस्थान)
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सिस्टम और पेपर माफियाओं की है मिलीभगत
सिस्टम और पेपर माफियाओं की मिलीभगत के कारण लाखों अभ्यर्थियों व इनके परिवारवालों को इसका खामियाजा भुगतना पडता है। सिस्टम की संलिप्तता के बिना इतने व्यापक स्तर पर पेपर लीक संभव नहीं है। एक के बाद एक पेपर लीक और फर्जी अभ्यर्थियों का सामने आना भर्ती एजेंसियों के साथ-साथ परीक्षा केंद्रों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
नेम बिश्नोई, फलोदी

………………………………………………………………………………… पारदर्शिता की कमी
सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया के पीछे जो तंत्र काम कर रहा है उसमें कोई पारदर्शिता नहीं है। भ्रष्टाचार के दीमक ने किसी भी सरकारी तंत्र को अछूता नहीं छोड़ा है। इतने बड़े पैमाने पर पेपर लीक के घोटाले का उजागर होना। असंवैधानिक तरीके से फर्जी लोगों का पैसे के दम पर उच्च पदों पर सरकारी नौकरी पाना एक साधारण गरीब परीक्षार्थी लिए कई सारे सवाल खड़े करता है ।
एम आर ओझा, बीकानेर

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