इंटरमिटेंट फास्टिंग करती हैं तो महिलाएं हो जाएं सावधान! इससे है इंफर्टिलिटी का खतरा, पीरियड्स पर भी आफत

हाइलाइट्स
इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन तो कम होता है लेकिन कई सारी परेशानियां आने लगती हैं.
शोधकर्ताओं ने बताया कि इससे खासकर महिलाओं में दो हार्मोन प्रभावित होते हैं.
Intermittent Fasting Can Lead Infertility: मोटापा खुद में तो कोई बीमारी नहीं है लेकिन यह कई बीमारियों की जड़ है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक आज दुनिया भर में करीब 2 अरब लोग ज्यादा वजन के शिकार हैं. ज्यादा वजन के कारण सबसे ज्यादा हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा रहता है. इस कारण लोग मोटापा कम करने की भरसक कोशिश करते हैं. इसी क्रम में इन दिनों इंटरमिटेंट फास्टिंग का चलन बढ़ गया है. इंटरमिटेंट फास्टिंग में लोग एक निश्चित समय अंतराल तक कुछ भी नहीं खाते. यह एक तरह से उपवास या फास्टिंग है जिसमें 8 या 10 या 12 घंटे तक कुछ नहीं खाते. कई अध्ययनों में पहले ही कहा जा चुका है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने का स्थायी समाधान नहीं है. इससे कई अन्य परेशानियां हो सकती है और वजन घटाने के लिए सिर्फ एक नियम से परिवर्तन नहीं आता है. इसके बावजूद लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं. अब एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से महिलाओं में फर्टिलिटी की समस्या पैदा कर सकती है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग से टाइप 2 डायबिटीज का भी खतरा
ग्लोबल डायबेट्स कम्युनिटी के मुताबिक हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक इंटरमिटेंट फास्टिंग महिलाओं में मैंन्स्ट्रूएशन यानी पीरियड्स को मैनेज करने वाले हार्मोन को प्रभावित करती है. रिपोर्ट के मुताबिक कुछ महिलाओं में लंबे समय तक इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के कारण पीरियड्स अनियमित होने लगा. अध्ययन में कहा गया है कि जिन महिलाओं ने 8 से 12 घंटे तक की इंटरमिटेंट फास्टिंग की, उनमें इरेगुलर पीरियड्स देखा गया. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के कारण टाइप 2 डायबिटीज, मेंटल हेल्थ और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है.
महिलाएं दिन में न करें इंटरमिटेंट फास्टिंग
इंटरमिटेंट फास्टिंग में एक निश्चित समय तक भूख को जबर्दस्ती रोकना पड़ता है. हालांकि इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन तो कम होता है लेकिन कई सारी परेशानियां आने लगती हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि इससे खासकर महिलाओं में दो हार्मोन प्रभावित होते हैं. एक है ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन (LH) और दूसरा है फॉल्यूक्यूल स्टीमूलेटिंग हार्मोन (FSH). ये दोनों हार्मोन महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित है. इन दोनों हार्मोन के कारण अंडोत्सर्ग में मिलता है. यानी महिलाओं में जब अंडाणु बनता है तब इसे गर्भाशय तक पहुंचाने में मदद मिलती है. अगर इन दोनों हार्मोन का उत्पादन कम होने लगे तो महिलाओं में पीरियड्स रूक सकता है और कंसीव होने में भी मुश्किल हो सकती है और इससे महिलाओं में इंफर्टिलिटी आ सकती है. कई हेल्थ एक्सपर्ट ने सलाह दी है कि महिलाओं को 10 बजे सुबह से लेकर 6 बजे शाम के बीच फास्टिंग नहीं करनी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : August 27, 2023, 14:29 IST