इस नस्ल की ‘गौरी’ गाय को मिला पहला स्थान, देशभर में बढ़ रही मांग, जानिए खासियत

Last Updated:March 11, 2025, 14:31 IST
श्रीगंगानगर के मानकसर में आयोजित पशु मेले में थारपारकर नस्ल की ‘गौरी’ नाम की बछड़ी ने पहला स्थान प्राप्त किया. गौरी के मालिक विनोद नाथ योगी हैं. उन्हें 25 हजार रुपए नगद और ट्रॉफी मिली.X
थारपारकर नस्ल की गौरी
हाइलाइट्स
थारपारकर नस्ल की ‘गौरी’ ने पशु मेले में पहला स्थान प्राप्त किया.गौरी के मालिक विनोद नाथ योगी को 25 हजार रुपए नगद और ट्रॉफी मिली.थारपारकर गाय की मांग देशभर में बढ़ रही है.
अमित दुडी/श्रीगंगानगर. जिले के मानकसर में आयोजित किसान और पशु मेले में थारपारकर नस्ल की ‘गौरी’ नाम की गाय की बछड़ी ने पहला स्थान प्राप्त किया है. गौरी के मालिक सूरतगढ़ (सुखचैनपुरा) गांव के रहने वाले पशुपालक विनोद नाथ योगी हैं, जो खास नस्ल की गायों को पालते हैं. इस व्यापार से उन्हें लाखों की कमाई होती है.
पशु मेले में ‘गौरी’ को पहला स्थान प्राप्त करने पर 25 हजार रुपए नगद और ट्रॉफी मिली है. विनोद नाथ योगी ने बताया कि श्रीगंगानगर में आयोजित मेले में थारपारकर नस्ल की 25 बछड़ियों ने भाग लिया. प्रतियोगिता में 18 माह की ‘गौरी’ ने नस्ल की शुद्धता, शारीरिक बनावट और सुंदरता के आधार पर पहला स्थान प्राप्त किया. इससे पहले नोहर टोपरियां मेले में भी गौरी ने दूसरा स्थान हासिल किया था.
इस वजह से पड़ा थारपारकर नाम….थारपारकर नस्ल की गाय सर्वोत्तम दुग्ध उत्पादन क्षमता और कठोर जलवायु सहनशीलता के लिए प्रसिद्ध है. यह नस्ल राजस्थान, गुजरात और पाकिस्तान के थार इलाके में पाई जाती है, जिसके कारण इसका नाम थारपारकर पड़ा है. इस नस्ल की बछड़ियों का संरक्षण और प्रोत्साहन पशुपालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.
पशुपालन की मिलेगी प्रेरणाविजेता विनोद नाथ योगी जब बछड़ी गौरी के साथ मानकसर चौराहे पर पहुंचे तो ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया. साथ ही गौ रक्षा टीम और स्थानीय पशुपालकों ने फूल मालाएं पहनाई. डॉ. एसके श्योराण ने बताया कि विनोद नाथ योगी की इस उपलब्धि से क्षेत्र के अन्य पशुपालकों को भी गुणवत्तापूर्ण पशुपालन की प्रेरणा मिलेगी.
देशभर में थारपारकर गाय की मांगदेशी नस्ल की थारपारकर गाय की राजस्थान के साथ दूसरे प्रदेशों में भी मांग बढ़ रही है. विभिन्न प्रदेशों के किसान थारपारकर गाय को व्यापारिक दृष्टि से अधिक महत्व दे रहे हैं. इस गाय की कीमत डेढ़ से दो लाख रुपए तक है. गांवों में हुए सर्वे के अनुसार, पिछले कुछ साल में अच्छी नस्ल की गायों का पलायन दूसरे राज्यों में किया जा रहा है. हर साल करीब 20 हजार से अधिक थारपारकर गाय दूसरे राज्यों में जा रही हैं.
दूध में ये तत्व किसान व्यावसायिक दृष्टि से गाय की थारपारकर और साहिवाल नस्ल के प्रति रुझान दिखा रहे हैं. मुख्य कारण यह भी है कि विदेशी नस्ल की जर्सी और एसएफ नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों के दूध में पौष्टिकता और गुणवत्ता कम होती है, जबकि साहिवाल और थारपारकर गाय के दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्निशियम और विटामिन भरपूर होते हैं. इससे पशुपालक डेयरी खोलकर मुनाफा कमा रहे हैं.
Location :
Ganganagar,Rajasthan
First Published :
March 11, 2025, 14:31 IST
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गौरी ने पशु मेले में प्राप्त किया पहला स्थान, देशभर मे भारी मांग, जानें