इस अनोखी नदी का किसी सागर के साथ नहीं होता मिलन, कच्छ के रण से हो जाती है विलुप्त

मनमोहन सेजू/ बाड़मेर. अजमेर की पहाड़ियों से निकल कर कच्छ के रण में गायब होने वाली मरु गंगा लूनी नदी बरसो बाद हिलोरे मारती नजर आ रही है. अजमेर में भारी बारिश के बाद सरहदी बाड़मेर में लूणी नदी का पानी पहुँच चुका है. यह नदी भारत की ऐसी अनोखी नदी है जो निकलती तो पहाड़ियों से है लेकिन किसी भी समुंद्र में इसका संगम नही होता है.
अक्सर आपने और हमने सुना है कि नदी पहाड़ो से निकलकर किसी समुंद्र में समाहित हो जाती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताएंगे जो निकलती तो पहाड़ो से है लेकिन किसी भी समुंद्र में इसका संगम नही होता है, इतना ही नही इसकी एक खासियत यह भी है कि आधे जिलों में इसका पानी मीठा और बाड़मेर के बालोतरा के बाद इसका पानी खारा हो जाता है. इस नदी का नाम है लूनी नदी.
इस नदी की ख़ासियत यह भी है कि बाड़मेर जिले के बालोतरा के बाद इसका पानी खारा हो जाता है. शुरुआती 100 किलोमीटर तक इसका पानी मीठा रहता है और इसी से राजस्थान के कई ज़िलों में सिंचाई की जाती है. इसलिए स्थानीय लोग इसकी पूजा भी करते हैं. लूनी नदी का उदगम अजमेर ज़िले में 772 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाग की पहाड़ियों से होता है. यह नदी अजमेर से निकल कर दक्षिण-पश्चिम राजस्थान नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जालौर ज़िलों से बहती हुई गुजरात के कच्छ ज़िले में प्रवेश करती है और कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है.
यह नदी 495 किलोमीटर लंबी बहती है. राजस्थान में इसकी लम्बाई 330 किलोमीटर है. इस नदी की ख़ासियत यह भी है कि यह नदी का पानी बाड़मेर जिले के बालोतरा के बाद खारा हो जाता है. रेगिस्तान क्षेत्र से गुज़रने पर रेत में मिले नमक के कण पानी में मिल जाते हैं. इस कारण इसका पानी खारा हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : August 01, 2023, 16:21 IST