इस पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से प्राप्त होती है संतान, महिलाएं करती हैं यहां पूजा

निशा राठौड़/उदयपुर : मावली उपखण्ड मुख्यालय से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित साकरिया खेडी ग्राम पंचायत के सुखवाडा गांव में को दशामाता का विशाल मेला प्रारंभ होगा. सुखवाडा गांव में स्थित विशाल प्राचीन पीपल के वृक्ष की दशा माता के रूप में पूजा अर्चना की जाती है. मेले में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हजारों की संख्या में महिलाओं द्वारा दशमी के दिन पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना होगी.
जानकारी के अनुसार सुखवाडा गांव में लगभग 1 हजार वर्ष से अधिक पुराना पीपल का वृक्ष है.जिसकी दशामाता के दिन महिलाओं द्वारा पूजा अर्चना कर मन्नते मांगी जाती है. ग्रामीणों द्वारा विशाल दशामाता का मेले का आयोजन किया जायेगा. इस मेले में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं उमडकर दशामाता के दर्शन करते हैं.
श्रद्धालुओं की यह हैं मान्यताएं
सुखवाडा के दशामाता मेले में दूर दराज के गांवों एवं कस्बों से महिलाएं एवं पुरुष पहुंचते हैं. जो दशामाता के दर्शन कर पीपल वृक्ष की परिक्रमा करते हैं. साथ ही दशामाता से संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर यहां पर स्थित विशाल पीपल वृक्ष को श्रद्धालु कई टनों गुड का प्रसाद चढाते है. संतान की मन्नत पूरी होने पर इस मेले में उदयपुर के साथ साथ कई जिलों से श्रद्धालु पहुंचते है तथा टनों गुड का प्रसाद चढाते हैं. इस पीपल वृक्ष की परिक्रमा एवं पूजा अर्चना कर श्रद्धालु अपने परिवार की सुख एवं समृद्धि की कामना करते है.
मन्नत मांगने पर पुनः हरा भरा हुआ पीपल
गांव के बडे बुजुर्गो का कहना है कि यह एक हजार वर्ष पीपल का वृक्ष कई सालों पहले स्वतः सूख गया था. जिसके बाद महिलाओं द्वारा संतान की मन्नत मांगी जाने के बाद यह वृक्ष पुनः हरा भरा एवं विशालकाय हो गया. बुजुर्गों का कहना है कि इस पीपल वृक्ष की सात बार परिक्रमा करने से संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होती है. मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु गुड चढाते है. प्रतिवर्ष इस दशामाता मेले में पीपल वृक्ष पर करीब 70 से 90 टन गुड चढाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : April 3, 2024, 23:38 IST
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