इस भाई ने गम में शरीर पर लगाई भस्म, इसके बाद ही शुरू हुआ धूलंडी का पर्व, जानिए इतिहास…

पीयूष पाठक/अलवर : रंगों का त्योहार होली सद्भावना और स्नेह का प्रतीक है. धूलंडी का पर्व होलिका दहन के एक दिन बाद मनाया जाता है. इसके पीछे भी कई पौराणिक मान्यता व धारणाएं हैं. धूलंडी के दिन पूरे देश में लोग रंग, गुलाल से धूलंडी का पर्व मनाते हैं. सुबह से ही लोग अपने घरों से निकलकर बड़ों का आशीर्वाद लेकर उन्हें रंग लगाते हैं. दोपहर तक यह माहौल चलता है. हालांकि पुराने जमाने की लोगों को इसकी प्रथा मालूम है. लेकिन आज के युवा वर्ग को इसके पीछे का इतिहास शायद ही पता होगा तो आईए जानते हैं, इस खबर से धूलंडी का इतिहास……..
धूलंडी के पर्व के बारे में लोकल 18 से खास बातचीत में गौरव शर्मा ने बताया कि धूलंडी का पर्व होलिका दहन के 1 दिन बाद मनाया जाता है. इसके पीछे कई पौराणिक मान्यता व धारणाएं हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि होलिका का एक भाई था, जिसका नाम दूल्हासर था, जब होलिका दहन हुआ था, तो वह काफी नाराज हो गया था. जब उसे होलिका दहन की बात पता चली तो उसने उस अग्नि की भस्म थी, उसे अपने शरीर के चारों तरफ लपेट लिया था. क्रोध में आकर दूल्हासर ने भगवान से युद्ध करने का प्रयास किया. होलिका दहन के अगले दिन धूलंडी पर रंगों से खेलने का जो इतिहास है, वो धूल से जुड़कर ही बना हुआ है.
अलग-अलग हैं पौराणिक मान्यताएं
लोकल 18 से खास बातचीत में गौरव शर्मा ने बताया कि यह सब मान्यताएं, कहानी, लोक प्रचलित आस्था है. इसी के चलते होलिका दहन के बाद धूलंडी का पर्व मनाया जाता है. उसके बाद स्नान की परंपरा व नए वस्त्र धारण करने की परंपराएं हैं. गौरव शर्मा ने बताया कि शोक के बाद मंगल क्योंकि होलिका जो दहन है वह एक ऐसी वैचारिक मान्यता है कि अहंकार का नाश होता है, बुराई का नाश होता है. उसके बाद जीवन में मंगल आता है. जो ईश्वर को मानता है वह व्यक्ति किसी भी तरह की बुराई से बच सकता है. राजस्थान में पूरे उत्तर भारत में होली को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. सभी लोग सौहार्द पूर्ण तरीके से इस पर्व को मनाते हैं.
होली को लेकर अलवर शहर के बाजार पहले से ही सज चुके हैं. जहां पर लोग खरीदारी के लिए अच्छी संख्या में पहुंच रहे है. होली से दो दिन पूर्व भी बाजार में रंगों की खरीदारी के लिए लोगों की अच्छी भीड़भाड़ दिखाई दी. लोग रंग, गुलाल व पिचकारी की दुकान पर आकर अपने मन पसंदीदा पिचकारी एवं रंग, गुलाल खरीद कर घर लेकर जा रहे हैं.
.
Tags: Alwar News, Local18, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : March 24, 2024, 21:13 IST