इस मंदिर में दर्शन करने से स्त्रियों को अखण्ड सौभाग्य की होती है प्राप्ति! दूर-दूर से आते हैं लोग
अंकित राजपूत/ जयपुर. जयपुर के हर चौराहे- सड़कों पर कोई न कोई प्राचीन मंदिर जरूर बने हुए है, जिसमें लोगों की खूब आस्था है इसलिए ही जयपुर को छोटी काशी कहा जाता है. यहां एक ऐसा ही मंदिर जो जयपुर के छोटी चौपड़ सर्किल पर स्थित लक्ष्मीनारायण जी (बाईजी) का मंदिर जो वर्षों पुराना है. जिसका निर्माण विक्रम संवत 1794 में जयसिंह सिंह की पुत्री विचित्र कुमारी द्वारा करवाया गया था. यह मंदिर भव्य रूप में सर्किल के कौने में बना हुआ हैं जिसकी सुंदरता दूर से ही दिखाई पड़ती हैं इस मंदिर में जयपुर के स्थानीय लोगों के अलावा विदेशी पर्यटकों खूब आते हैं. इस मंदिर की विशेष मान्यता के कारण यह जयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं.
इस मंदिर में स्थित है लक्ष्मीनारायण की अनोखी प्रतिमामंदिर श्री लक्ष्मीनारायण में लक्ष्मीनारायण की अनोखी प्रतिमा विराजमान हैं. इस प्रतिमा की विशेषता है कि नारायण के हदय से देखती हुई लक्ष्मी माता विराजमान है और लक्ष्मीनारायण भगवान गरूड पर विराजमान है. यह प्रतिमां काले पाषाण के एक ही पत्थर पर निर्मित है. जो बहुत प्राचीन समय पुरानी है इस मंदिर के अंदर के भाग कलात्मक रूप से बना हुआ है जो दिखने में अद्भुत कारीगरी का नमूना पेश करता है दिपावली के समय यहां सबसे ज्यादा लोग लक्ष्मी नारायण के दर्शन के लिए आते हैं.
दर्शन के लिए सुबह 8 बजे खुल जाते है कपाट
अनोखी है इस मंदिर की मान्यता इस मंदिर की मान्यता के बारे में मंदिर के पुजारी और यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) को दर्शन एवं पूजा अर्चना करने से स्त्रियों को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. व पारिवारिक सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है,जिसके कारण यहां लोग इस मंदिर में दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं यह मन्दिर सुंदर 8 बजे खुलता है और दोपहर में भगवान लक्ष्मीनारायण के पट बंद हो जाते हैं फिर शाम को खुलते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 8, 2023, 12:36 IST