उपचुनाव की सियासी जमीन से निकले कई सितारे, बाद में मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी बने| Many stars emerge in Rajasthan from by-elections Bhairon Singh Shekhawat nodark
आइए जानते हैं कि उपचुनाव की छोटी वैतरणी में डुबकी लगाकर किन नेताओं ने न सिर्फ बाद में वर्चस्व जमाया बल्कि सत्ता के शिखर तक पहुंचे. यही नहीं, यह राज्य के सर्वाधिक चर्चित नेताओं की सूची में भी शुमार हुए. राजस्थान में पंडित नवल किशोर शर्मा, माणिक्य लाल वर्मा, शिवचरण माथुर, कमला बेनीवाल, जयनारायण व्यास, भवानी जोशी, कमल मोरारका, कृष्णेंद्र कौर दीपा, अब्दुल हादी, राम निवास मिर्धा, सुरेंद्र व्यास और यशोदा कुमारी सरीखे नेता और नेत्रियां उपचुनावों की ही देन हैं.
शिवचरण माथुर : मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी
शिवचरण माथुर की राजनीति में एंट्री 1964 में भीलवाड़ा सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव में हुई. इस चुनाव में माथुर ने अपने प्रतिद्वंद्वी को भारी मतों से हराया. बाद में वे 1981 में पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद 1989 में उन्होंने फिर प्रदेश की बागडोर संभाली. यही नहीं, बाद में माथुर असम के राज्यपाल भी बने.जयनाराण व्यास : चुनाव हारे, उपचुनाव जीते
जयनारायण व्यास भी उपचुनाव जीतकर ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे.1952 में व्यास ने दो सीटों जोधपुर और जालौर से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही सीटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा थ, तब टीकाराम पालीवाल कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री बने. बाद में व्यास ने किशनगढ़ सीट से उपचुनाव जीता और टीकाराम पालीवाल को हटाकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
नवल किशोर शर्मा : मोरारका के बाद सितारे बदले
पंडित नवल किशोर शर्मा का राजनीति में प्रवेश अत्यंत दिलचस्प रहा. कांग्रेस ने 1969 के उपचुनाव में आरआर मोरारका को स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था. मोरारका के कवरिंग कैंडिडेट के रूप में नवल किशोर शर्मा से फार्म भरवाया गया. मोरारका अंतिम समय में चुनावी मैदान छोड़कर मुंबई चले गए तो नवल किशोर मुख्य प्रत्याशी बने और उपचुनाव जीता. बाद में वे केंद्र की कांग्रेस सरकारों में मंत्री बने. उनकी गिनती कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में हुई और बाद में गुजरात के राज्यपाल बनाए गए.
भैरोसिंह शेखावत : उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचे
भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत की सियासत में सीधी एंट्री भले ही उपचुनाव से न हुई हो, लेकिन वे पहली बार मुख्यमंत्री उपचुनाव जीतने के बाद ही बने. उन्होंने पहला चुनाव 1952 में ही लड़ लिया था, लेकिन 1977 में छबड़ा में पार्टी प्रत्याशी के इस्तीफा देने के बाद उन्होंने छबड़ा से उपचुनाव लड़ा और जीते भी. बाद में वे प्रदेश के मुख्यमंत्री और फिर देश के उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचे.
कमला बेनीवाल : मिजोरम-गुजरात की राज्यपाल बनीं
कांग्रेस की महिला नेत्रियों में जाट राजनीति का मुख्य चेहरा रहीं कमला बेनीवाल ने भी अपनी छाप उपचुनाव से ही अपनी छोड़ी. उन्होंने 1954 में आमेर विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता था. इसके बाद वे राजस्थान की उपमुख्यमंत्री रहीं. इसके बाद उन्हें गुजरात और मिजोरम में उप राज्यपाल भी बनाया गया.
पुष्पेंद्र सिंह बाली : प्रधानी से सीधे विधानसभा में
वसुधंरा राजे ने 2002 के उपचुनाव में पुष्पेंद्र सिंह बाली को टिकट दिया. उन्होंने भीमराज भाटी के खिलाफ उपचुनाव लड़ा था. उस वक्त तक बाली सिर्फ प्रधान ही रह चुके थे. बाली ने यह उपचुनाव जीता और उसके बाद चार बार भाजपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा में पहुंचे. यही नहीं, बाली दो बार भाजपा की सरकार में उर्जा मंत्री भी रहे हैं.