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औषधीय गुणों की खान है अरबी, स्पर्म काउंट बढ़ाने में सहायक और ब्लड शुगर को करता है कंट्रोल

निशा राठौड़/उदयपुर. सर्दियों की शुरुआत के साथ ही बाजारों में कंद सब्जियों की बहार आई हुई है. जमीन के भीतर भी जड़ें और कंद में भी जबरदस्त औषधीय गुणों की खान होते हैं. आज कुछ ऐसे ही पौधों का जिक्र कर रहे हैं जिनके कंद में औषधीय गुण हैं. अदरक, अरबी, रतालू, सुरन हल्दी पौधों के सभी हिस्सों को औषधीय महत्व के हिसाब से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है. आधुनिक विज्ञान भी इस बात को स्वीकारता है कि इनके जमीनी हिस्सों में ज्यादा बेहतर गुण होते है.

अरबी
जहां एक ओर अरबी का कंद शक्ति और वीर्यवर्धक होता है, वहीं इसकी पत्तियां शरीर को मजबूत बनाती हैं. आदिवासी हर्बल वैध शोभालाल की जानकारी के अनुसार, अरबी के कंदों की सब्जी का प्रतिदिन कामियाबतरीन रूप से सेवन करने से हृदय मजबूत होता है. प्रसव के बाद माताओं में दूध की मात्रा कम हो सकती है, और इस स्थिति में अरबी की सब्जी प्रतिदिन देने से बहुत अच्छा होता है. प्रतिदिन अरबी की सब्जी का सेवन उच्च-रक्तचाप में भी काफी उपयोगी है.

सूरनकंद
सुरनकंद का अधिकतर उपयोग बवासीर, स्वास रोग, खांसी, आमवात और कृमिरोगों आदि में किया जाता है. सूरनकंद के प्रमुख गुणों में से एक है कि इसका उपयोग अर्श अथवा बवासीर में किया जा सकता है, और इसी कारण सूरनकंद को “अर्शीघ्न” भी कहा जाता है. आदिवासी लोग इस कंद को काटकर नमक के पानी में धोकर बवासीर के रोगी को इसे कच्चा चबाने की सलाह देते हैं. इसके अलावा, जिन लोगों को लीवर (यकृत) से संबंधित समस्याएं होती हैं, उनके लिए भी सूरनकंद एक वरदान हो सकता है. सूरनकंद की सब्जी बनाकर सेवन करने से यकृत से जुड़ी तमाम समस्याओं में फायदा हो सकता है.

रतालू कंदमूल
रतालू कंदमूल है और भोजन के लिए अनुकूल होता है. इसका सेवन श्वसन प्रणाली को दुरुस्त रख सकता है और इसके गुण श्वसन प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं. इसके साथ ही, रतालू कंदमूल ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और हृदय की गति को भी कंट्रोल में रखने में मदद कर सकता है। यह एक हजारों वर्ष पुराना कंद माना जाता है और उसके गुणों की मान्यता है.

हल्दी
हल्दी मुख्य तौर पर अपने संभावित एंटीऑक्सिडेंट, एंटीडायबिटिक, एंटीप्लेटलेट और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली गतिविधियों के कारण कार्डियोप्रोटेक्टिव असर दिखा सकती है. हल्दी का कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला गुण आंतों में कोलेस्ट्रॉल के कम सेवन और पित्त एसिड में लीवर कोलेस्ट्रॉल के रूपांतरण से जुड़ा हो सकता है.

Tags: Health, Latest hindi news, Lifestyle, Local18, Rajasthan news, Udaipur news

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