कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल के हॉस्टल की दुर्गत, पढ़ने की जगह नाली साफ करती हैं बच्चियां, धमकाती है प्रिंसिपल और वार्डन

अलकेश/राजसमंद: ग्रामीण अंचल में गरीब और जरूरतमंद बालिकाओं को शिक्षित करने और उनका भविष्य उज्जवल बनाने के लिए प्रदेश में कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल संचालित किये जा रहे हैं. लेकिन राजसमंद जिले के नाथद्वारा उपखंड के उपली ओड़न में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय टाइप 4 में बालिकाओं को अपना भविष्य संवारने से पहले हॉस्टल की सूरत सुधारनी पड़ रही है. हॉस्टल में बालिकाओं से ना सिर्फ गंदी नालिया, गंदा किचन और झाड़ू पोछा करवाया जाता है, बल्कि हॉस्टल में बच्चियों को समय पर खाना भी नहीं दिया जाता है.
बच्चियों के लिए स्कूल में खाने का मेन्यू पहले से निर्धारित किया गया है. लेकिन उसे फॉलो नहीं किया जाता. जब खराब खाने की शिकायत की जाती है तब प्रिंसिपल और वार्डन बच्चियों को खाना बनाने के लिए किचन में भेज देती है. इस जिल्लत के कारण कुछ बालिकाएं स्कूल और हॉस्टल छोड़ने का भी मन बना चुकी हैं. बच्चियों के परिजनों की शिकायत पर स्कूल और हॉस्टल में जांच करने पहुंचे शिक्षा विभाग के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक घनश्याम गौड़ के सामने बालिकाओं ने प्रिंसिपल और वार्डन की पोल खोल कर रख दी. जिसे सुनकर एडीपीसी गौड़ भी दंग रह गए. बच्चों से बात करने के बाद उन्होंने व्यवस्था में सुधार करने और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
बच्चियों को हॉस्टल की करनी पड़ती है सफाई
शिक्षा विभाग के एडीपीसी घनश्याम गौड़ के सामने ही बालिकाओं ने प्रिंसिपल राजकुमारी खटीक और वार्डन प्रीति की पोल खोलते हुए कहा कि हॉस्टल में रहने वाली बालिकाओं को कमरा नंबर के हिसाब से अलग-अलग दिन सफाई करनी होती है. बालिकाओं ने बताया कि उनसे गंदी नालियां और गंदे डस्टबिन साफ करवाए जाते हैं. अलग-अलग दिन अलग-अलग कमरे की बच्चियां झाड़ू पोछा और साफ सफाई करती हैं.
धमकाती है प्रिंसिपल और वार्डन
हॉस्टल की बालिकाओं ने बताया कि उन्हें समय पर खाना नहीं दिया जाता है. उनसे किचन में ना सिर्फ साफ-सफाई करवाई जाती है बल्कि कई बार खाना भी बनवाया जाता है. खराब खाने की शिकायत करने पर प्रिंसिपल और वार्डन उन्हें धमकाते हैं और खुद खाना बनाने को कहते हैं. जब अधिकारी निरीक्षण करने आते हैं तो उन्हें समय पर अच्छा खाना दिया जाता है लेकिन रोजाना ऐसा नहीं होता. एडीबीसी घनश्याम गौड के सामने बालिकाओं ने खुलकर कहा कि जब भी किसी अधिकारी का हॉस्टल निरीक्षण का कार्यक्रम बनता है उसके एक दिन पहले उनसे हॉस्टल की साफ सफाई करवाई जाती है.
और भी कई समस्याएं
बच्चों ने बताया कि उनके हॉस्टल में सुरक्षा के लिए कोई गार्ड भी नहीं है. कुछ दिन पहले हॉस्टल के सभी कर्मचारी शादी समारोह में चले गए थे. ऐसे में दो दिन तक बच्चियां अकेले ही हॉस्टल में रही थी. स्टूडेंट्स ने बताया कि परीक्षा नजदीक होने के बावजूद भी उन्हें हॉस्टल में साफ सफाई और किचन में काम करना पड़ता है. सरकार द्वारा हॉस्टल में कार्य करने के लिए कर्मचारी लगाने के निर्देश भी दे रखे लेकिन पैसा बचाने के लिए प्रिंसिपल ऐसा नहीं करती और बच्चियों से काम करवाया जाता है. इसलिए अपना भविष्य सुधारने के लिए कई बच्चियों स्कूल और हॉस्टल छोड़ने का मन बना चुकी है.
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FIRST PUBLISHED : February 2, 2024, 12:55 IST