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कानून बदलता है, शायद सरकार इस बारे में… समलैंगिक विवाह पर क्या बोले जस्टिस कौल?

उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संजय किशन कौल ने शुक्रवार को कहा कि समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) का मामला पूरी तरह कानूनी नहीं है और इसमें सामाजिक मुद्दे शामिल हैं, तथा सरकार भविष्य में संबंधित वैवाहिक अधिकार देने के लिए कानून ला सकती है.

न्यायमूर्ति कौल शीर्ष अदालत की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने मौजूदा कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. शीर्ष अदालत में छह साल से अधिक के कार्यकाल के बाद न्यायमूर्ति कौल 25 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गए.

उन्होंने कहा कि हालांकि संबंधित फैसले के कारण अब समलैंगिक समुदाय के लिए लक्ष्य में देरी हो गई है, लेकिन समाज के दृष्टिकोण में बदलाव से कानून को बदलने के लिए गति मिलेगी. न्यायमूर्ति कौल ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ये सामाजिक मुद्दे हैं. कभी-कभी समाज को किसी बात को स्वीकार करने में अधिक समय लगता है… कानून बदलता है, समाज बदलता है.

उन्होंने आगे कहा, ‘कभी-कभी जब समाज बदलता है तो कानून को भी बदलने की गति देता है. शायद सरकार (भविष्य में) इस बारे में सोचे’. उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था, लेकिन समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी थी.

सभी न्यायाधीश इस बात पर एकमत थे कि ऐसे विवाह को वैध बनाने के लिए कानून में बदलाव करना संसद के दायरे में है, लेकिन अल्पमत में, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति कौल संबंधित मामले में समलैंगिक जोड़ों के अधिकार को मान्यता देने के पक्ष में थे.

कानून बदलता है, शायद सरकार इस बारे में... समलैंगिक विवाह पर क्या बोले जस्टिस कौल?

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि ऐसे मामलों में सफलता ‘एक बार में ही’ हासिल हो जाए, क्योंकि भारतीय दंड संहिता के तहत सहमति वाले समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की राह भी लंबी थी.

Tags: DY Chandrachud, Justice DY Chandrachud, Same Sex Marriage, Supreme court of india

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