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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की सीट, निर्दलीय मैदान में उतरे लिंगायत स्वामी, क्या इस बार बिगड़ेगा खेल?

कर्नाटक में लोकसभा चुनाव 2024 का माहौल देश के उत्तरी राज्यों से थोड़ा अलग नजर आ रहा है. यहां सत्ता में कांग्रेस पार्टी है. बीते साल मई में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां शानदार जीत हासिल की थी. राज्य की कई सीटों पर कांटे की टक्कर बताई जा रही है. एक ऐसी ही सीट है धारवाड़ लोकसभा. यहां से केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी भाजपा के उम्मीदवार हैं. लेकिन, इस बार इस सीट का समीकरण थोड़ा बदला हुआ नजर आ रहा है. यहां से लिंगायत स्वामीजी उनके खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं. इस कारण धारवाड़ के साथ पूरे राज्य में चुनावी समीकरण पर असर पड़ने की संभावना है. धारवाड़ से कांग्रेस पार्टी ने कुरुबा नेता विनोद असुती को मैदान में उतारा है. राज्य में दो चरणों में मतदान होंगे. धारवाड़ में 7 मई को वोटिंग है.

मैदान में लिंगायत धर्मगुरु
दिंगालेश्वर स्वामीजी इस चुनाव को धर्मयुद्ध बता रहे हैं. वह शिराहट्टी फक्किरेश्वर मठ के प्रमुख हैं. वह आरोप लगाते हैं कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने न केवल लिंगायत समुदाय को नजरअंदाज किया है बल्कि उन्होंने हमारा अपमान भी किया है. स्वामीजी एक लोकप्रिय लिंगायत नेता हैं और आसपास लोग उनका बड़ा सम्मान करते हैं. उनकी छवि एक बुद्धिजीवी की है. उनके चाहने वालों की संख्या भी ठीक-ठाक बताई जाती है.

धारवाड़ सीट से प्रह्लाद जोशी चार बार सांसद रह चुके हैं. इस बार वह पांचवी बार मैदान में हैं. ऐसे में दिंगालेश्वर स्वामीजी की निर्दलीय उम्मीदवारी से भाजपा के वोटरों में सेंध लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. दिंगालेश्वर स्वामी कहते हैं कि लोगों को लगता है कि राज्य में चुनाव मैच फिक्सिंग जैसा हो गया है. वह अपने समुदाय के लोगों को न्याय दिलाने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं.

प्रह्लाद जोशी के बारे में दिंगालेश्वर स्वामीजी कहते हैं कि पांच साल पहले 2019 में जब वह मैदान में थे तो उन्होंने उनसे संपर्क किया था और आशीर्वाद मांगा था. उस समय भी उन्होंने उनसे (जोशी से) कहा था कि क्या वह उन्हें केवल चुनाव में याद आते हैं? इस पर प्रह्लाद जोशी ने वादा किया था कि एक अंतिम मौका दीजिए. उन्होंने माफी मांगी और मैंने उन्हें माफ कर दिया था.

लिंगायत भाजपा के साथ!
दरअसल, परंपरागत रूप से कर्नाटक में लिंगायत समुदाय भाजपा का समर्थक रहा है. राजनीतिक रूप से प्रभावी इस समुदाय की कुल आबादी में 17-18 फीसदी भागीदारी है. राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से करीब 100 पर इनका अच्छा प्रभाव है.

बीते विधानसभा सभा में लिंगायत समुदाय ने कांग्रेस का साथ दिया और इस कारण राज्य 135 सीटों पर पार्टी को जीत मिली. धारवाड़ लोकसभा सीट भी एक लिंगायत बहुत सीट है. हालांकि प्रह्लाद जोशी ब्राह्मण समुदाय से आते है. वह बीते तीन बार से यहां से लगातार विजयी हो रहे हैं. इस सीट पर करीब 5.5 लाख लिंगायत, 3.5 लाख मुस्लिम, 2 लाख कुरुबा और 2.7 लाख दलित हैं.

स्वामीजी कहते हैं, ‘स्थानीय लोगों का मानना है कि मौजूदा सांसद ने उनको धोखा दिया है. इस कारण कई स्थानीय नेताओं के अनुरोध पर उन्होंने धारवाड़ से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है.’ न्यूज 18 से खास बातचीत में स्वामीजी ने कहा कि जोशी ने लिंगायत समुदाय की मांगों से नजर मोड़ ली. बार-बार के अनुरोध के बावजूद उन्होंने कुछ नहीं किया. इस कारण उनको अपने लोगों के बीच काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी.

क्यों नाराज हैं स्वामीजी?
उन्होंने कहा कि करीब तीन साल पहले किसी सहायता के लिए हमने उनसे संपर्क किया था. उन्होंने हमारी सहायता करने की बजाय कहा कि आप लोग एक लिंगायत नेता से क्यों नहीं मिलते. क्या कोई इस तरह समुदाय को अपानित करता है? जोशी को याद रखना चाहिए कि अलग-अलग समुदायों के लोगों ने उन्हें वोट किया था.

उधर, हाल ही में भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. दिंगालेश्वर स्वामीजी ने कहा कि बीते विधानसभा चुनाव में ईश्वरप्पा के बेटे का टिकट काटने में प्रह्लाद जोशी ने अहम भूमिका निभाई थी और इस लोकसभा में उन्हें टिकट नहीं मिला. उन्होंने कहा कि उन्होंने ईश्वरप्पा और उनके बेटे को चेताया था कि उन्हें प्रह्लाद जोशी पर भरोसा नहीं करना चाहिए.

दिंगालेश्वर स्वामीजी आगे दावा करते हैं कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने लिंगायत समुदाय को नजरअंदाज किया है. उन्होंने उनके जैसे वीराशैवा समुदाय के नेताओं को चुनावी मैदान में कूदने पर मजबूर किया है. बीते 27 मार्च को दिंगालेश्वर स्वामी के नेतृत्व में धारवाड़ के संतों ने भाजपा नेतृत्व से प्रह्लाद जोशी को टिकट नहीं देने की मांग की थी. उनकी मांग नहीं मानी गई तो मठ के नेताओं ने अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला किया.

हालांकि प्रह्लाद जोशी ने स्वामीजी की बातों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह जो कुछ भी कह रहे हैं मैं उनको अपने लिए आशीर्वाद मानता हूं. कर्नाटक के चुनावी राजनीति पर मठों का अच्छा प्रभाव है. यहां पर लिंगायत, वोक्कालिगा, कुरुबास, वाल्मीकिस, नयाकास और मदिगास समुदाय के मठ प्रभावी बताए जाते हैं. ये प्रत्यक्ष तौर पर राजनीति में नहीं हैं लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये अनुवायियों को किसी खास उम्मीदवार को वोट करने की सलाह देते हैं.

Tags: Karnataka, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections

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