Rajasthan

Ground Report: पोकरण के अस्पताल में लगी आग, तो सच से उठा पर्दा, सरकारी क्वार्टर में छुपाकर रखी गई थी ये चीज

जैसलमेर:- रविवार को पोकरण के उपजिला अस्पताल के एक सरकारी क्वार्टर आग लग गई थी. करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू तो पा लिया गया, लेकिन आग बुझाने के बाद जब हमने उस क्वार्टर की तलाश की, तो वहां महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ की एक नई कहानी नजर आई. दरअसल इस क्वार्टर में 2019 में सरकार द्वारा महिलाओं को वितरण करने के लिए दिए गए हजारों की संख्या में सेनेटरी नैपकीन विद विंग्स पड़े थे, जो 2022 में एक्सपायर भी हो चुके हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा न तो इन्हें समय पर वितरण किया गया और न ही इन खराब नैपकीन को डिस्पोज किया गया.

इन्फेक्शन से महिलाओं को बचाने का उद्देश्यजानकारी के मुताबिक, राजस्थान सरकार द्वारा महिलाओं में जागरूकता फैलाने और पीरियड्स के दौरान होने वाले इन्फेक्शन से महिलाओं को बचाने के उद्देश्य से समय-समय पर सेनेटरी नैपकीन भेजे जाते हैं, जिसको सरकारी विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ केंद्रों के माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं को वितरीत किए जाते हैं. बताया जा रहा है कि पोकरण उपजिला अस्पताल में भी इसी के तहत कुछ साल पहले सेनेटरी नैपकीन विद विंग्स ब्लॉक क्षेत्र के अस्पतालों हेतु वितरण के लिए भेजे गए थे. लेकिन प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह नैपकीन उन महिलाओं तक पहुंचे ही नही, जिन्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी.

शायद ये भी हो सकता है आग लगने का कारणअब आग लगने के बाद जब बंद पड़े सरकारी क्वार्टर में हजारों की संख्या में यह नैपकीन बरामद हुए हैं, तो सवाल उठ रहे हैं कि अस्पताल प्रशासन द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया गया है. सूत्र ये भी बता रहे हैं कि आगामी 21 दिसंबर को जैसलमेर में जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक के आयोजन के कारण अब कई आलाधिकारी जैसलमेर के दौरे पर रहेंगे. ऐसे में पोकरण के उपजिला अस्पताल में भी अधिकारियों के दौरे बढ़ जाएंगे, तो अस्पताल प्रशासन ने अनान-फानन में आवास बंद कर दिए, जिसमें सेनेटरी नैपकीन के अलावा कई दस्तावेज पड़े थे. इनको जानबूझकर सुबह पांच बजे आग लगाकर जलाने का प्रयास किया गया. बाद में इस आवास को जेसीबी से ध्वस्त भी कर दिया गया है.

महिलाओं ने खुलकर कही ये बातपोकरण उपजिला अस्पताल में मिले अवधिपार सेनेटरी नैपकीन पर जब हमने महिलाओं का मत जानना चाहा, तो कुछ महिलाओं ने कैमरे के सामने न आने की शर्त पर कहा कि हम गरीब महिलाओं तक यह नैपकीन पहुंच जाते, तो हमारी बहुत मदद होती, लेकिन हमें तो इसकी जानकारी भी नहीं मिली. ऐसे ही पोकरण की रहने वाली डॉक्टर मीनाक्षी चौहान, जो हाल ही में जोधपुर स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में कार्यरत हैं, उनका कहना है कि “मेरे क्षेत्र में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की यह सूचना मुझे दु:खी कर रही है. अस्पताल प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए जरूरतमंद महिलाओं तक वह नैपकीन पहुंचाने चाहिए थे.

मीनाक्षी ने डॉक्टर होने के नाते सेनेटरी नैपकीन की उपयोगिता पर बात करते हुए कहा कि “महामारी के दौरान इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है , ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कुछ लोग रूढ़िवादी सोच से घिरे हुए हैं, तो वहीं कुछ लोग इसे खरीदने में असमर्थ भी हैं. ऐसे में वे कपड़े का उपयोग करते हैं, जिससे इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है. सरकार इन्हीं सब कारणों को देखते हुए मुफ्त में वितरण के लिए सेनेटरी नैपकीन भेजती है. लेकिन जिम्मेदार उन्हें उन महिलाओं तक नहीं पहुंचा पाते हैं, तो यह उन महिलाओं के स्वास्थ्य के अधिकारी के साथ खिलवाड़ ही है”.

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भ्रष्टाचार की आर रही बूपोकरण के रहने वाले समाजसेवी बलवंत सिंह जोधा का इस मामले पर कहना है कि जिस तरह से बड़ी संख्या में सेनेटरी नैपकीन के कार्टून बरामद हुए हैं, उससे भ्रष्टाचार की बू आ रही है. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. अस्पताल के सरकारी क्वार्टर में मिले एक्सपायर नैपकीन पर जब हमने जैसलमेर मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेंद्र पालीवाल से बात की, तो उन्होंने बताया कि अस्पताल के आवास में सेनेटरी नैपकीन मिलने की सूचना के बाद हमने जांच के लिए कमेटी बिठा दी है.

मंगलवार को टीम पोकरण उपजिला अस्पताल पहुंचकर जांच करेंगी. जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी. अब सवाल यह है कि आखिर इन नैपकिन्स को तीन सालों तक इस तरह क्यों रखा गया? क्यों इन्हें उन महिलाओं तक नहीं पहुंचाया गया, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी? क्या यह उन महिलाओं के स्वास्थ्य के अधिकार के साथ खिलवाड़ नहीं है, जिसकी इन्हें जरूरत थी ?

Tags: Jaisalmer news, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : December 17, 2024, 14:17 IST

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