कैसे स्पर्म से बनता है भ्रूण और फिर तैयार होता है शिशु, छह हफ्ते बाद कैसे आते हैं तेज बदलाव?
Sperm to Baby: सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन की एक याचिका पर सुनवाइ्र करते हुए कहा कि हम इसकी अनुमति देकर अजन्मे बच्चे की हत्या नहीं कर सकते हैं. साथ ही देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अबॉर्शन की अनुमति मांगने वाले याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत अजन्मे बच्चे के अधिकारों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. ऐसे में आपके मन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि स्पर्म से पहले भ्रूण और फिर शिशु कैसे तैयार होता है? भ्रूण में तेजी से बदलाव कब से होने शुरू होते हैं? फिर अजन्मे बच्चे में जीवन कब आता है?
सवाल उठता है कि क्या आपने कभी सोचा है स्पर्म और एग्स कहां से आते हैं? ये एक दूसरे को कैसे ढूंढते हैं? फिर आपस में मिलकर नई जिंदगी की रचना कैसे करते हैं? गर्भ में बच्चा कैसे बनना शुरू होता है? गर्भ में बच्चे का विकास कैसे होता है? ये सब जानने के लिए हमें पहले महिला और पुरुष के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स के बारे में जानना होगा. हमे जानना होगा कि कौन सा रिप्रोडक्टिव ऑर्गन बच्चे के जन्म में कैसी भूमिका निभाता है? जानते हैं कि स्पर्म किसके साथ मिलकर शिशु को आकार देता है.
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कहां से शुरू होती है शिशु बनने की प्रक्रिया?
महिलाओं के शरीर में रिप्रोडक्टिव ऑर्गन में गर्भाशय, ओवरीज, फैलोपियन ट्यूब, यूटरस और वजाइना शामिल हैं. वहीं, पुरुष में मौजूद स्पर्म वो सेल है, जो बच्चे पैदा करने में मदद करता है. ये टेस्टिकल्स में बनते हैं. महिलाओं में बच्चेदानी गर्भ के निचले हिस्से में होती है. इसके दोनों तरफ ओवरी होती है, जो फैलोपियन ट्यूब से जुड़ी होती है. ओवरी में दो छोटे अंडाकार ऑर्गन होते हैं. ओवरीज अंडों से भरी होती है, जो हर लड़की जन्म से ही लेकर पैदा होती है. अंडे उसके शरीर के बाकी ऑर्गन की तरह ही होते हैं, जब मां के गर्भ में कन्या भ्रूण बन रहा होता है, तब भ्रूण के बाकी अंगो के विकास के साथ-साथ अंडे भी बनते हैं. जनन वर्षों में गर्भधारण की प्रक्रिया ओवरीज से शुरू होती है. शिशु बनने की प्रक्रिया को स्पर्म और एग्स मिलकर शुरू करते हैं.
शिशु बनने की प्रक्रिया को स्पर्म और एग्स मिलकर शुरू करते हैं.
कैसे मिलते हैं स्पर्म और एग्स, लंबी है प्रक्रिया
महिला की ओवरीज से हर महीने एग्स रिलीज होते हैं, जिसे ओव्यूलेशन कहा जाता है. इसी तरह पुरुष के स्पर्म को परिपक्व होने में 72 दिन लगते हैं. इसके बाद परिपक्व स्पर्म बाहर निकलते हैं. एग्स तक पहुंचने के लिए स्पर्म को तैरना होता है. स्पर्म को यह दूरी तय करने में करीब 10 घंटे का लंबा वक्त लगते हैं. फैलोपियन ट्यूब में कोई डिंब इंतजार कर रहा होता है तो वह उसमें प्रवेश कर जाता है. इसके बाद ये निषेचित होता है. फिर निषेचित डिंब फैलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय में पहुंचता है. यहीं से भ्रूण बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
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यूरीन टेस्ट से कैसे पता चल जाती है प्रेग्नेंसी?
निषेचित एग गर्भाशय में पहुंचने के बाद कई सेल्स में बंट जाता है. बॉल जैसे दिखने वाले एग को ब्लास्टोकिस्ट कहा जाता है. फिर ये बॉल प्रेग्नेंसी हार्मोन ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन यानी एचसीजी रिलीज करता है. ये हार्मोन ओवरीज को नए अंडे रिलीज नहीं करने का निर्देश देता है. ये क्रिया प्रेग्नेंसी के तीसरे हफ्ते तक पूरी हो जाती है. फिर ये हार्मोन मां के ब्लड और यूरीन में मिल जाता है. इसीलिए ब्लड या यूरीन टेस्ट से प्रेग्नेंसी का पता लगाया जाता है. महिला में एक्स-एक्स क्रोमोसोम्स होते हैं. वहीं, पुरुष में एक्स और वाई दोनों क्रोमोसोम्स होते हैं. अगर वाई क्रोमोसोम वाला स्पर्म एग को निषेचित करता है तो बेबी बॉय जन्म लेता है. वहीं, अगर एक्स क्रोमोसोम वाला स्पर्म एग को निषेचित करता है तो बेबी गर्ल जन्म लेती है.
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कई तरह की कोशिकाओं का होता है संयोजन
एक शिशु के पैदा होने से पहले उसके बनने की पूरी प्रक्रिया हैरतअंगेज कर देने वाली होती है. गर्भ में कई तरह की कोशिकाओं के संयोजन से पहले बहुत ही छोटा मानव शरीर बनता है. फिर ये सूक्ष्म शरीर एक इंच से 50 सेंटीमीटर में तब्दील होकर नवजात शिशु के रूप में बाहर आता है. शुरुआत में एग एक सूई की नोंक जैसा ही होता है, जो धीरे-धीरे विकसित होकर शिशु बनता है. जब एग बन जाता है तो आगे का विकास गर्भाशय में होने लगता है. वहां इसके बनने के बाद तुरंत ज्यागोट का विभाजन शुरू होता है. ये गर्भाशय में पहुंचने के बाद 30 घंटे में ही दो ब्लास्टोमर्स कोशिकाओं की रचना करता है. ये दोनों कोशिकाएं बिल्कुल एक जैसी होती हैं.
गर्भ में कई तरह की कोशिकाओं के संयोजन से पहले बहुत ही छोटा मानव शरीर बनता है.
कब बनते हैं आंख, कान, नाक दिल, दिमाग
बार-बार होने वाले कोशिका विभाजन से ब्लास्टोमर्स की संख्या बढ़ती जाती है. ये सभी कोशिकाएं आपस में मिलती-जुलती नहीं हैं. इनमें से कुछ कोशिकाएं मांसपेशियों, कुछ हड्डियों, कुछ स्नायु, रक्त और इसी तरह की होती हैं. मान लीजिए मानव शरीर जिन चीजों से बनता है, उन सभी की कोशिकाएं गर्भाशय में बनकर मौजूद रहती हैं. इसके दो हफ्ते बाद गर्भाशय में इन कोशिकाओं के जरिये अगले चरण का काम शुरू होता है. अब ये कोशिकाएं मिलकर दिमाग, दिल, फेफड़े औऱ शरीर की शुरुआती रचना करना शुरू कर देती हैं. दो महीने बाद ये संरचना पहले से बड़ी हो जाती है. तब इसमें मुंह, आंख, नाक, कान, हाथ, पैर और शरीर के ऊतकों का निर्माण हो जाता है. यानी बेबी आकार ले लेता है.
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अजन्मे बच्चे की कब बढ़ती है लंबाई, वजन
फिर इसका हृदय पूरा बन जाता है. इसमें धड़कन आ जाती है. इस शरीर में हृदय के जरिये खून का प्रवाह भी शुरू हो जाता है. गर्भाशय में मौजूद ये बहुत छोटा सा शरीर हरकत में आने लगता है. इस समय शरीर का आकार 1 इंच से भी कम होता है और वजन कुछ ग्राम होता है. अब शरीर बड़ा और विकसित होना शुरू होता है. इसकी यही अवस्था भ्रूण कहलाती है. ये शिशु अगले सात महीनों तक मां के शरीर में रोज 1.5 मिमी की दर से बढ़ता है. इस तरह अगले तीन महीने में ये अपने आकार का दोगुना हो जाता है. पांचवें महीने इसकी लंबाई पूरी तरह विकसित बच्चे की आधी यानि 25 सेंटीमीटर के आसपास पहुंच जाती है. सातवें महीने में शिशु का वजन बढ़ता है.
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अजन्मे बच्चे की पूरी लंबाई कब होती है?
सातवें महीने में ही अजन्मे बच्चे के पूरे शरीर में त्वचा के नीचे सामान्य श्वेत चर्बी जमा होनी शुरू हो जाती है. इसके अलावा अंतिम कुछ हफ्तों में विशेष किस्म की भूरी चर्बी शरीर के अन्य भागों में जमा होनी शुरू हो जाती है. नौवें महीने के आखिर तक शिशु का वजन 3 से 4 किलो के बीच हो जाता है. वहीं, इसकी लंबाई 50 सेंटीमीटर के आसपास पहुंच जाती है. इस तरह एक सूई के नोंक जैसे एग से शिशु बनता है औऱ उसका जन्म होता है.
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FIRST PUBLISHED : October 13, 2023, 14:18 IST