कोई इंसान नहीं ….यहां बालाजी भगवान हैं उद्योगपति, इनके दर्शन करने से मिलता है रोजगार!

रवि पायक/ भीलवाड़ा. भीलवाड़ा में सिर्फ उद्योग में काम करने वाले व्यापारी ही उद्योगपति नहीं है. बल्कि यहां के भगवान भी उद्योगपति होते हैं जी हां सुनने में तो थोड़ा अजीब लगता है मगर भीलवाड़ा शहर के पांसल चौराहे के निकट एक ऐसा हनुमान मंदिर है. जिसकी स्थापना पौराणिक दौर में आसपास के फैक्ट्री और मिल में काम करने वाले श्रमिकों-मजदूरों ने करवाई थी आज आलम यह है कि यह मंदिर बन गया उद्योगपति बालाजी मंदिर जहां श्रमिक से लेकर बड़े सेठ भी दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं कहा जाता है कि यहां पर स्थापित भगवान हनुमान जी की प्रतिमा अति प्राचीन है और इस प्रतिमा के दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है कारण यही है कि यहां श्रमिक जब भी फैक्ट्री जाते हैं तब सबसे पहले भगवान के दर्शन कर निकलते हैं.
भीलवाड़ा शहर के पांसल चौराहा के निकट श्री उद्योगपति बालाजी मंदिर के पुजारी भंवरलाल कहते हैं कि यह मंदिर करीब 60 से अधिक साल पुराना है और यहां पर स्थापित बालाजी की प्रतिमा अति प्राचीन है. इस मंदिर की स्थापना पृथ्वीराज जी महाराज द्वारा करवाई गई थी उसे समय में पृथ्वीराज जी महाराज पास में एक फैक्ट्री में काम किया करते थे और बाद में उन्होंने यहां पर प्रतिमा देखी तो यहां पूजा पाठ करने लगे और बाद में आसपास के कुछ फैक्ट्री श्रमिकों ने मिलकर यहां मंदिर की स्थापना करवाई और इसके बाद में प्रताप जी महाराज ने इसका पूर्ण निर्माण करवाया तब से ही मंदिर की ख्याति आसपास के क्षेत्र में फैल गई.
मंदिर में मान्यता यह है कि यहां पर उसे समय में जितनी भी मिल और फैक्ट्री चला करती थी वहां के तमाम श्रमिक और मजदूर यहां पर आकर भगवान के धोक लगाकर जाते थे. कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से श्रमिकों को रोजगार और दंपति को संतान प्राप्ति भी होती है. इसके साथ ही यहां पर दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर उसे श्रमिको द्वारा करवाई गई इस मंदिर की स्थापना और आसपास के क्षेत्र में कई फैक्ट्री होने के चलते इस मंदिर का नाम उद्योगपति बालाजी पड़ गया.
मंदिर के पुजारी भंवरलाल यह भी कहते हैं कि मैं खुद पहले यहां फैक्ट्री में काम किया करता था और बाद में फैक्ट्री बंद होने के बाद भगवान के आस्था से जुड़ कर भगवान की सेवा में लग गया हूं. वहीं दूसरी तरफ श्रमिक भक्ति सुखदेव कहते हैं कि जब मैं फैक्ट्री में 1976 में काम किया करता था तब से यहां पर मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहा हूं. यहां मान्यता ऐसी है कि मंदिर के वजह से लोगों को यहां रोजगार मिलता है और उन्हें की बदौलत उनकी फैक्ट्री में आमदनी अच्छी रहती है. पहले यहां पर मंदिर नहीं होकर सिर्फ भगवान की प्रतिमा थी और पूरे क्षेत्र में बबूल के पेड़ थे मगर धीरे-धीरे सभी लोगों ने मिलकर यहां मंदिर बनवाया और बालाजी की स्थापना करवाई आज यहां पर बड़े-बड़े स्तर पर आयोजन भी किए जाते हैं जिसमें सब लोग शामिल होते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2023, 13:40 IST