Sri Ganganagar news: देवांश सारस्वत ने बींझबायला गांव से यूपीएससी में 374वीं रैंक हासिल कर गांव को गर्वित किया.

Last Updated:April 29, 2025, 13:22 IST
Sri Ganganagar news: देवांश सारस्वत ने बींझबायला गांव से यूपीएससी में 374वीं रैंक हासिल कर गांव का नाम रोशन किया. उनकी सफलता ने गांव में खुशी और उत्साह का माहौल बना दिया.X
श्रीगंगानगर के देवांश ने UPSC में 374 वीं रैंक हासिल की है.
हाइलाइट्स
देवांश सारस्वत बने बींझबायला के पहले IAS अधिकारी.देवांश ने यूपीएससी में 374वीं रैंक हासिल की.गांव में ढोल-नगाड़ों से देवांश का भव्य स्वागत हुआ.
श्रीगंगानगर. जिले के छोटे से गांव बींझबायला में 2024 का यूपीएससी परिणाम एक ऐतिहासिक पल लेकर आया. गांव के युवा देवांश सारस्वत ने यूपीएससी परीक्षा में 374वीं रैंक हासिल कर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे गांव को गौरव प्रदान किया. बींझबायला के पहले आईएएस बनने की इस उपलब्धि ने गांव में उत्साह और खुशी का माहौल पैदा कर दिया. ढोल-नगाड़ों, फूल-मालाओं और गर्मजोशी भरे स्वागत के साथ देवांश का गांव में स्वागत किया गया, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन गया.
देवांश, पदमपुर बार संघ के पूर्व अध्यक्ष दयाराम सारस्वत के पुत्र हैं. उनकी इस सफलता के पीछे वर्षों की मेहनत, अनुशासन और परिवार का अटूट समर्थन है. गांव में पहुंचते ही जगह-जगह उनके स्वागत समारोह आयोजित किए गए. फूलों की मालाओं से लदे देवांश ने अपनी उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया. उन्होंने कहा, “मेरे परिवार और शिक्षकों ने हर कठिनाई में मेरा हौसला बढ़ाया. उनकी आस्था और मेरे निरंतर प्रयासों ने मुझे यह मुकाम दिलाया. देवांश की विनम्रता और समर्पण ने सभी का दिल जीत लिया.
मेहनत का कोई विकल्प नहीं होतादेवांश की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो छोटे गांव या सीमित संसाधनों के बीच बड़े सपने देखता है. यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करना आसान नहीं, लेकिन देवांश ने अपनी लगन और दृढ़ संकल्प से यह साबित किया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं. उनकी यात्रा उन तमाम युवाओं के लिए मिसाल है, जो परिस्थितियों से हार मान लेते हैं. देवांश ने दिखाया कि छोटा परिवेश या संसाधनों की कमी सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकती.
जिले के लिए गर्व की बातगांव के लोग देवांश को न केवल गर्व की नजर से देख रहे हैं, बल्कि उनके नक्शेकदम पर चलने की प्रेरणा भी ले रहे हैं. बींझबायला का यह सपूत अब पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है. उनकी कहानी सिखाती है कि अगर मन में जुनून, लक्ष्य स्पष्ट और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मंजिल असंभव नहीं. देवांश की यह उपलब्धि न केवल गांव, बल्कि पूरे श्रीगंगानगर के लिए गर्व का विषय है.
Location :
Ganganagar,Rajasthan
First Published :
April 29, 2025, 13:22 IST
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परेशानियां नहीं रोक सकी सपनों की उड़ान, देवांश बने गांव के पहले IAS अधिकारी