Rajasthan

क्या अब अब भारत-पाक सरहद पर होगी खेती, जानिए किस बात के लिए तरस रहे थे किसान। good news farmers can now cultivate beyond India Pakistan border BSF ready– News18 Hindi

प्रेम दान.

बाड़मेर. पश्चिमी राजस्थान के किसानों के लिए खुश खबरी है. अब वे पंजाब के किसानों की तरह ही भारत-पाकिस्तान सीमा की तारबंदी के उस पार खेती कर सकेंगे. इन किसानों को भी सीमा पर फंसी अपनी जमीन पर खेती करने का अधिकार मिल पाएगा. राज्य के बाड़मेर के किसान लंबे समय से इस बात का इंतजार कर रहे थे. सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने इसके लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं.

बाड़मेर में BSF की पहल से 28 साल बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर तारबंदी और जीरो पॉइंट के बीच फंसी हजारों किसानों की लाखों बीघा जमीन का हक अब किसानों को मिल पाएगा. राजस्थान में साल 1992 में शुरू हुई तारबंदी के बाद हजारों किसानों की जमीन जीरो पॉइंट और तारबंदी के बीच चली गई. अब BSF ने किसानों को उनकी जमीन पर खेती के लिए छूट दे दी है. इसके लिए बीएसएफ द्वारा नए गेट भी बनाए गए हैं. भारत पाकिस्तान बॉर्डर तारबंदी पर लगे गेट अब खुलेंगे और किसान BSF की ओर से जारी किए गए अपने आईडी कार्ड दिखाकर खेती के लिए जा सकेंगे.

पैनी सुरक्षा के बीच होगी खेती

बता दें, खास बात तो यह है कि सिर्फ बरसाती खेती ही नहीं, बल्कि ट्यूबवैल से खेती के लिए तारबंदी के अंदर से पाइपलाइन भी ले जा सकेंगे. सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण इस इलाके में खेती के लिए जाने और वापस आने वाले किसानों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी. उनकी जांच की जाएगी. पंजाब की तर्ज पर अब चौहटन के जाटों का बेरा, सारला इलाके में किसानों को खेती करने के लिए गेट खोलने की छूट दी जा रही है.

100 में 4 मीटर जमीन का ही मिला मुआवजा

भारत ने अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर 100 मीटर अंदर तारबंदी की थी, लेकिन किसानों को महज तारबंदी के नीचे आई 4 मीटर जमीन का मुआवजा मिला था. शेष जमीन 28 साल से किसानों की खातेदारी में दर्ज है, लेकिन किसान यहां खेती के लिए नहीं जा सकते थे. BSF डीआईजी विनित कुमार ने कुछ दिन पूर्व सारला इलाके में किसानों के साथ बैठक की और उन्हें खेती के लिए तारबंदी के उस पार जाने के लिए आवेदन करने को कहा. उन्होंने कहा कि वो आवेदन कर पास बनाएं और तय रूल्स के अनुसार तारबंदी के पार खेती और सिंचाई भी करें.

सुबह 9 बजे होगी एंट्री, शाम 5 बजे रवानगी

बॉर्डर तारबंदी और जीरो लाइन के बीच करीब 11468 बीघा जमीन फंसी हुई है. किसान उनकी जमीन का हक लेने के लिए केंद्र व राज्य सरकार से लेकर हाईकोर्ट तक गए हैं. 2013 में हाईकोर्ट ने किसानों के हक में फैसला करते हुए किसानों को जमीन या मुआवजा देने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक किसानों को हक नहीं मिला है. बीएसएफ के जारी पास दिखाकर सुबह 9 बजे एंट्री दी जाएगी. शाम 5 बजे कड़ी जांच-पड़ताल होगी और उसके बाद घर वापसी होगी. इस तरह 8 घंटे बॉर्डर तारबंदी पार खेती के लिए छूट रहेगी. महिला किसानों की महिला जवान चेकिंग करेगी. बॉर्डर तारबंदी पर हर 4-5 किमी पर एक गेट है. अब किसानों के लिए गेट खुलेंगे तो 28 साल बाद तारबंदी के पार पड़ी जमीन पर किसान खेती के लिए उस पार जा सकेंगे.

जानकारी के मुताबिक पिछले साल 15 जून को गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था कि तारबंदी के गेट नं . 97 व 98 के बीच एक नया गेट बनाया जाए. अब गेट बनकर तैयार कर दिया गया है. उससे भी पहले गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन प्रभाग ने 27 सितंबर 2019 को कहा था कि जमीन पर किसानों का ही हक है. डीआईजी विनीत कुमार के मुताबिक किसानों को खेती करने के लिए गेट खोलेंगे. बाड़मेर के किसान जीरो पॉइंट पर खेती के लिए डिमांड कर रहे थे. इसके बाद किसानों के साथ मीटिंग की गई और फैसला लिया गया.

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