क्षेमंकरी माता का मंदिर है भक्तों की आस्था का केंद्र, उत्तमौजा नामक राक्षस के संहार से जुड़ा है इतिहास

मेघाराम मेघवाल/जालोर. जिले के भीनमाल कस्बे से 2 किलोमीटर दूर पहाड़ी की चोटी पर स्थित क्षेमंकरी माता का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है. यह मंदिर कई शताब्दियों के इतिहास का साक्षी और प्राचीन समय की धरोहर है. सैकड़ों सालों पहले स्थापित इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर के बारे में अनके मान्यताएं प्रचलित है. माना जाता है कि पौराणिक काल में दैत्यों से बचाने के लिए इस मंदिर में माता क्षेमंकरी स्वयं प्रकट हुई थी.
मंदिर के पुजारी अशोक माहराज बताया कि पौराणिक काल में भीनमाल क्षेत्र में उत्तमौजा नामक एक दैत्य रहता था, जो रात के समय लोगों को मारता और विनाश के कार्य करता था. उसके उत्पात से क्षेत्रवासी आतंकित थे. उससे मुक्ति पाने हेतु क्षेत्र के ब्राह्मण ऋषि गौतम के आश्रम में सहायता मांगने के लिए पहुंचे. आश्रम में पहुंचे लोगों ने उस दैत्य के आतंक से बचाने हेतु ऋषि गौतम से याचना की.ऋषि गौतम ने उनकी याचना पर गायत्री मंत्र से अग्नि प्रज्ज्वलित की, जिसमें से देवी क्षेमंकरी प्रकट हुई. ऋषि गौतम की प्रार्थना पर देवी ने क्षेत्रवासियों को उस दैत्य के आतंक से मुक्ति दिलाने हेतु पहाड़ को उखाड़कर उस दैत्य उत्तमौजा के ऊपर रख दिया.
कहा जाता है कि उस दैत्य को वरदान मिला हुआ था वह कि किसी अस्त्र- शस्त्र से नहीं मरेगा. अतः देवी ने उसे पहाड़ के नीचे दबा दिया. लेकिन क्षेत्रवासी इतने से संतुष्ट नहीं थे. उन्हें दैत्य की पहाड़ के नीचे से निकल आने आशंका थी. ऐसे में क्षेत्रवासियों ने देवी से प्रार्थना की कि वह उस पर्वत पर बैठ जाये जहां वर्तमान में देवी का मंदिर बना हुआ है तथा उस पहाड़ी के नीचे नीचे दैत्य दबा हुआ है. इसके बाद देवी ने उनकी बात मान ली और वहीं विराजित हो गई. कालांतार में यहां मंदिर का निर्माण हुआ.
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FIRST PUBLISHED : July 20, 2023, 23:28 IST