गीत-संगीत पर बड़ा अध्ययन : चार दशक में अर्थपूर्ण गीतों की जगह एग्रेसिव गीतों ने ले ली | big study on song and music

सुनने के तरीके भी बदलते गए
शोधकर्ताओं ने बताया कि 40 वर्षों के अध्ययन में पता चला कि कैसे संगीत सुनने के तरीकों में बदलाव आया। 1980 के दशक में रिकॉर्ड प्लेयर से कैसेट का दौर आया तो 90 के दशक में सीडी आईं। इसके बाद इंटरनेट के आगमन से एल्गोरिद्म संचालित स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म गीत-संगीत सुनने का जरिया बन गए।
सपाट और दोहराव वाले गीतों का बोलबाला
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने गीतों में व्यक्त भावों को देखा। साथ ही यह भी देखा कि कितने अलग और जटिल शब्दों का इस्तेमाल किया गया और कितनी बार इनका दोहराव था। जेंगरले के मुताबिक विश्लेषण में पाया गया कि गीतों में अधिक सरल (सपाट) और दोहराव की प्रकृति थी। जेंगरले ने बताया, इन नतीजों ने पिछले शोध को भी पुष्ट किया, जिसमें समय के साथ सकारात्मक, आनंददायक गीतों में कमी और क्रोध, घृणा या दुख व्यक्त करने वाले गीतों में वृद्धि देखी गई। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि कितने संगीत प्रेमियों ने किस शैली के गीतों को ज्यादा सुना या देखा।
ये भी निष्कर्ष सामने आए
-रैप में दोहराई जाने वाली पंक्तियों की संख्या बढ़ी।
-रैप संगीत, अन्य शैलियों की तुलना में ज्यादा लोकप्रिय हुआ।
-रॉक गीतों में नए की बजाय पुराने गीतों के बोल ज्यादा।
-कोरस वाले गीत ज्यादा लोकप्रिय हो रहे।
-बैकग्राउंड म्यूजिक पहले से ज्यादा पसंद किया जाने लगा।