गृहमंत्री अमित शाह के अथक प्रयासों के बाद मणिपुर में शांति के एक नए युग की शुरुआत

नई दिल्ली. एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में, भारत सरकार और मणिपुर सरकार ने घाटी स्थित मणिपुर के सबसे पुराने हथियारबंद समूह, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) के साथ शांति समझौते पर नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए. केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सर्व-समावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. गृह मंत्री ने कहा कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में UNLF का स्वागत करते हैं और शांति व प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं.
2014 में केन्द्र में सत्ता संभालने के बाद से एक दशक में पीएम नरेन्द्र मोदी के विजन और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में भारत सरकार ने उग्रवाद समाप्त करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए 2014 से पूर्वोत्तर के कई सशस्त्र समूहों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. पहली बार घाटी स्थित मणिपुरी हथियारबंद समूह हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने और भारत के संविधान और देश के कानून का सम्मान करने पर सहमत हुआ है.
दीर्घकालिक चिंताओं को दूर करने का अवसर
यह समझौता न केवल UNLF और सुरक्षा बलों के बीच विरोध को समाप्त करेगा, जिसने पिछली कई दशकों से अधिक समय से दोनों पक्षों की ओर से बहुमूल्य लोगों को खोया है बल्कि समुदाय की दीर्घकालिक चिंताओं को दूर करने का अवसर भी प्रदान करेगा. गृहमंत्री को भरोसा है कि मुख्यधारा में UNLF की वापसी से घाटी स्थित अन्य सशस्त्र समूह भी आने वाले समय में शांति प्रक्रिया में भाग लेने के लिए आगे आएंगे. मोदी सरकार की संघर्ष विराम को लेकर की गयी पहल के बाद उत्तर पूर्व के कई जातीय सशस्त्र समूहों के साथ राजनीतिक समझौतो को अंतिम रुप दिया है.अब जमीनी नियमो के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए शांति निगरानी समिति का गठन किया जाएगा.
शांति, स्थिरता की तरफ बढ़ता और सुरक्षित हो रहा उत्तर पूर्व
मोदी सरकार के पिछले नौ वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा किए गए सुरक्षा संबंधी व्यय को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 2878 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. देश के विकास की मुख्य धारा से जुड़ने के बाद और अमित शाह के शांति के प्रयासों से 2014 से अब तक पूर्वोत्तर के राज्यों में 8,000 से अधिक उग्रवादी सरेंडर कर चुके हैं.
समझौतों से समाधान के तहत अब तक कुल 09 महत्वपूर्ण शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं.
**एएनवीसी समझौता(2014), एनएलएफटी/एसडी समझौता (2019),
**ब्रू समझौता (2020), बोडो समझौता(2020), कार्बी समझौता (2021),
**आदिवासी शांति समझौता (2022), डीएनएलए समझौता(2023),
**असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा समझौता(2022),
**असम-अरुणाचल प्रदेश अंतरराज्यीय सीमा समझौता(2023)
नार्थ ईस्ट के राज्यों का विकास, मोदी सरकार की प्राथमिकता
नार्थ ईस्ट के राज्यों का विकास और उन्हे देश की मुख्यधारा से जोड़ना मोदी सरकार की प्राथमिकता रही है. इसी कड़ी में सभी राज्योंं में मंत्रियों के लगातार दौरे चलते रहे हैं. खुद अमित शाह ने पूर्वोत्तर के राज्यों में चुनावी प्रचार को अलग छोड़ते हुए इन राज्यों के लगातार दौरे किए हैं. ये अमित शाह की ही पहल का नतीजा है कि नार्थ ईस्ट के कई राज्यों में आर्मड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट में लगातार ढील दी जाती रही है.
AFPSA की परिधि में कमी
**असम:अब 70% से अधिक असम AFSPA से मुक्त
**मणिपुर: के 7 जिलों के 19 पुलिस स्टेशनों को अशांत क्षेत्र की परिधि से बाहर किया गया
**अरूणाचल प्रदेश : में अब केवल 3 जिलों और 1 अन्य जिले के 3 पुलिस स्टेशन क्षेत्रों में AFSPA बचा
**नागालैंड: नागालैंड में 8 जिलों के 18 पुलिस स्टेशनों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटाया गया
**त्रिपुरा और मेघालय: पूरी तरह से हटा लिया गया
मणिपुर हिंसा रोकने आगे आए थे गृहमंत्री अमित शाह
जाहिर है मणिपुर हिंसा ने मोदी सरकार की चिंता बढ़ा दी थी. खुद गृहमंत्री अमित शाह आगे आए थे और चार दिन इंफाल में बिताए थे. शांति के लिए तमाम स्टेक होल्डरों से बात की थी. मोदी सरकार से पहले इन पूर्वोत्तर के इन राज्यों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश कम ही हुई. लेकिन मोदी सरकार ने मिशन मोड में सड़क, रेल और इंप्रास्ट्रक्चर का ऐसा जाल बिछाना शुरु किया है कि अब दिल्ली से न तो कोहिमा दूर है, न ही अगलतला और ना ही इंफाल. अब इन राज्यों में पेट्रोल पंपों पर कतारें नहीं लगती. गृह मंत्री अमित शाह के प्रयास अब रंग लाने लगे हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 30, 2023, 22:59 IST