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गोवर्धन पूजा आज या कल? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और अन्नकूट का भोग लगाने का सही विधान

रवि पायक/भीलवाड़ा. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है, जो दिवाली के अगले दिन होता है. इस पर्व को अन्नकूट भी कहा जाता है. गोवर्धन पूजा में लोग गोवर्धन पर्वत, भगवान श्रीकृष्ण, और गौ माता की पूजा करते हैं. इस दिन, लोग अपने घरों की आंगन में या बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं और उसे पूजा करते हैं. इस दिन, भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. लोग अन्न, फल, मिठाई, दही, घी, चावल, दाल, और अन्य प्रकार के भोजन की एक बड़ी सामग्री संग्रहित करके भगवान के समक्ष रखते हैं. इसे “अन्नकूट” कहा जाता है. बाद में, यह भोजन भक्तों में  जाता है, और लोग इसे आशीर्वाद के रूप में ग्रहण करते हैं.

गोवर्धन पूजा का यह पर्व हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और भक्तों के बीच इसे बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. यह पर्व गौ माता की पूजा के माध्यम से गौ सेवा का भी संदेश देता है और सामाजिक एकता और सेवा की भावना को समर्थन करता है.

पंडित हरिओम शास्त्री ने बताया कि 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 52 मिनट तक है. इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है. इस तिथि का समापन अगले दिन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा. उदया तिथि को देखते हुए गोवर्धन पूजा 14 नवंबर मंगलवार को मनाई जाएगी.

गोवर्धन पूजा पर बन रहे ये योग
इस बार गोवर्धन पूजा के दिन शुभ योग बन रहे हैं. गोवर्धन पूजा पर शोभन योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक है. उसके बाद से अतिगंड योग शुरू हो जाएगा. अतिगंड योग शुभ नहीं होता है, हालांकि शोभन योग को एक शुभ योग माना जाता है. इसके अलावा, गोवर्धन पूजा के दिन सुबह से ही अनुराधा नक्षत्र होगा.

गोवर्धन पूजा विधि:
1) गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें.
2) शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं.
3) धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें.
4) भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें.
5) अन्नकूट का भोग लगाएं.
इस शुभ दिन को धार्मिक रूप से निष्काम सेवा, भक्ति, और सामाजिक एकता के साथ मनाएं.

गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा की शुरुआत की थी. श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से बचाने के लिए गिरिराज की पूजा की थी.  इस घटना ने ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी. इसलिए, गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का विशेष महत्व है.

Tags: Bhilwara news, Dharma Aastha, Govardhan Puja, Latest hindi news, Local18, Rajasthan news

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